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Last Modified: नई दिल्ली , मंगलवार, 20 मार्च 2018 (15:58 IST)

ऐसे होगा सुशील कुमार का अधूरा सपना पूरा

ऐसे होगा सुशील कुमार का अधूरा सपना पूरा - Sushil Kumar Wrestler Commonwealth Games
नई दिल्ली। भारत के सितारा पहलवान सुशील कुमार को कुछ साबित नहीं करना है, लेकिन वे बहुत कुछ कर दिखाना चाहते हैं और उनके लिए अगले महीने होने वाले राष्ट्रमंडल खेल तीसरे ओलंपिक पदक का ‘अधूरा’ सपना पूरा करने की कवायद में पहला कदम है।



राष्ट्रमंडल खेलों में गत दो बार के चैंपियन 34 बरस के सुशील का मानना है कि इन खेलों से उनका करियर और लंबा होगा। ओलंपिक रजत और कांस्य पदक विजेता 66 किलो फ्री स्टाइल पहलवान को उम्मीद है कि इन खेलों से उन्हें पता चल जाएगा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वे कहां ठहरते हैं। उन्होंने कहा कि मैंने जब से कुश्ती खेलना शुरू किया, तभी से मेरा लक्ष्य देश के लिये पदक जीतने का रहा है।

मैंने मैट पर हमेशा अपना शत-प्रतिशत दिया है। मैं लोगों की मानसिकता नहीं बदल सकता। मुझे किसी को कुछ साबित नहीं करना है। सुशील के शब्दों में छलकती इस तल्खी का कारण चयन से जुड़े अतीत के विवाद हैं। रियो ओलंपिक से ठीक पहले नरसिंह यादव को औपचारिक ट्रायल के बिना सुशील पर तरजीह दी गई। डोप टेस्ट में नाकाम रहने के कारण नरसिंह बाद में निलंबित हो गए लेकिन सुशील भी लगातार तीसरा ओलंपिक पदक हासिल करने का मौका नहीं पा सके।


राष्ट्रमंडल खेलों के लिए भी उनका चयन तनावपूर्ण ट्रायल के बाद हुआ जब उनके प्रतिद्वंद्वी प्रवीण राणा और उनके समर्थक आपस में भिड़ गए थे। सुशील ने कहा कि मैंने दो ओलंपिक पदक जीते हैं। मुझे किसी को कुछ साबित नहीं करना है लेकिन मेरा एक अधूरा सपना है। मैं 2012 में उसे पूरा करने के करीब पहुंचा (लंदन ओलंपिक में जब उन्होंने रजत पदक जीता) ।

मेरा मानना है कि मुझे ओलंपिक में देश के लिये स्वर्ण पदक जीतना है। सुशील को सरकार की टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना से बाहर कर दिया गया लेकिन उन्हें कोई शिकायत नहीं है।  उन्होंने कहा कि मैं इस बारे में नहीं सोचता कि लोग क्या कहते हैं। मेरा काम अपना शत-प्रतिशत देना है। मैंने जीवन में सब कुछ हासिल किया है और मुझे राष्ट्रीय चैम्पियनशिप के जरिए वापसी करने की कोई जरूरत नहीं है। राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी के लिए सुशील जार्जिया जा रहे हैं जिनके साथ उनके साथी पहलवान हरपूल और कोच ब्लादीमिर एम होंगे। सुशील अपना खर्च खुद उठा रहे हैं लेकिन ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट हरपूल का खर्च उठाएगा। सुशील ने कहा कि टाप्स में नहीं होने का मुझे खेद नहीं है।

मेरा काम चयन होने पर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना है। मैं हरपूल और कोच के साथ इस सप्ताह जॉर्जिया जा रहा हूं जहां 10 दिन अभ्यास करूंगा। इस उम्र में आलोचक जहां उनका बोरिया बिस्तर बांधने की बात करते हैं, वहीं सुशील का मानना है कि शरीर का बखूबी ध्यान रखने पर पहलवान 40 बरस तक खेल सकता है। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि शरीर सही रहने पर पहलवान 40 साल तक खेल सकता है। सब कुछ व्यक्ति विशेष और उसकी जीवनशैली पर निर्भर करता है। (भाषा)
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