राफेल नडाल यूं ही नहीं बने 'लाल बजरी के बादशाह', कामयाबी के पीछे है लगन-मेहनत की लंबी दास्तान
राफेल नडाल को 'लाल बजरी का बादशाह' कहा जाता है। अमेरिकी ओपन (Us open) के हार्डकोर्ट वे रातोरात सफल नहीं हुए हैं, बल्कि इसके पीछे उनके जुझारूपन, लगन और मेहनत की लंबी दास्तान है।
उन्होंने रूस के दानिल मेदवेदेव को हराकर चौथा अमेरिकी ओपन खिताब जीता। वे ओपन युगल में फ्लशिंग मीडोस पर 5 बार खिताब जीतने वाले रोजर फेडरर, पीट सम्प्रास और जिम्मी कोनोर्स से एक खिताब पीछे हैं।
अमेरिकी ओपन में पहले 5 बार में सेमीफाइनल तक भी नहीं पहुंच सके नडाल ने करियर की शुरुआत में कठिन दौर देखा है और मैच हारे हैं। उस दौरान नडाल ने दूसरे ग्रैंडस्लैम भले ही जीते लेकिन अमेरिकी ओपन में 8वें प्रयास में सफलता मिली।
घुटने की चोट को धता बताकर इस उम्र में खिताब जीतने वाले नडाल अब फेडरर के 20 ग्रैंडस्लैम खिताबों से एक खिताब ही पीछे हैं। यह चोट उनके करियर के लिए खतरा बन गई थी। आंकड़ों की बाजीगरी में पड़ने से इंकार करते हुए उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर मैं सबसे ज्यादा ग्रैंडस्लैम जीतना चाहता हूं लेकिन नहीं भी जीतूंगा तो भी चैन की नींद सो सकूंगा।
वे अभी तक 10 फ्रेंच ओपन, 4 अमेरिकी ओपन, 2 विंबलडन और 1 ऑस्ट्रेलियाई ओपन जीत चुके हैं। उन्होंने 8 बरस की उम्र में अंडर-12 क्षेत्रीय खिताब जीता और 15 वर्ष में पेशेवर बन गए। उन्होंने 19 साल में पहला फ्रेंच ओपन खिताब 2005 में पदार्पण के साथ ही जीता। आंद्रे अगासी के अलावा नडाल ही ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने करियर ग्रैंडस्लैम और ओलंपिक एकल स्वर्ण जीता है। नडाल ने 2008 में बीजिंग में ओलंपिक स्वर्ण जीता था।
घुटने और कलाई की चोट के कारण वे 9 बार ग्रैंडस्लैम नहीं खेल सके थे। वे 2015 और 2016 में ग्रैंडस्लैम फाइनल नहीं खेल सके थे तो लोगों को लगा कि अब उनका करियर खत्म हो चुका है। इसके बाद वे 2017 में ऑस्ट्रेलियाई ओपन फाइनल में पहुंचे हालांकि फेडरर से हार गए। लेकिन जून में रिकॉर्ड 10वीं बार फ्रेंच ओपन खिताब जीतकर वापसी की।