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Last Updated : सोमवार, 16 मई 2016 (01:05 IST)

शासक नहीं स्‍वयं को सेवक मानता हूं : शिवराज सिंह

शासक नहीं स्‍वयं को सेवक मानता हूं : शिवराज सिंह - Ujjain Simhastha, Simhastha 2016, Ujjain, Shivraj Singh Chouhan
उज्जैन। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मैं स्वयं को शासक नहीं सेवक मानता हूं। चौहान ने यहां जूना पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर आचार्य स्वामी अवधेशानन्द गिरि के आश्रम में भागवत कथा सुनी।
चौहान ने श्रद्धालुओं को 'राम भजन सुखदायी' भजन भी सुनाया। उन्होंने कहा कि सदा यह प्रार्थना करता हूं कि सदमार्ग पर चलता रहूं और सद्बुद्धि बनी रहे। उन्होंने गुरु के मार्गदर्शन को हितकर बताया। इस मौके पर राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया, महिला बाल विकास मंत्री माया सिंह और पूर्व मंत्री ध्यानेन्द्र सिंह भी उपस्थित थे। 
विचार महाकुंभ के अमृत बिंदुओं पर रावतपुरा सरकार का अमल : सिंहस्थ में सम्यक जीवनशैली पर अंतरराष्ट्रीय विचार महाकुंभ के अंतिम दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा विचार मंथन के उपरांत रावतपुरा सरकार रविशंकर महाराज ने अमृत संदेशों के बिंदुओं पर अमल करते हुए उनके आश्रम में आने वाले भक्तों को शपथ दिलाकर पानी एवं भोजन की जूठन न छोड़ने तथा एक पौधा लगाने का संकल्प दिलवाया। 
     
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, बनारस के कपाली, अवधुत चंडेश्वर, रावतपुरा सरकार, रविशंकर महाराज तथा योगदर्शन परमार्थ संस्था नई दिल्ली के योगगुरु स्वामी हर्षानन्द महाराज ने विचार महाकुंभ के अमृत संदेशों पर चर्चा करते हुए इन्हें मानव कल्याण के लिए उपयोगी माना। संतों ने मौके पर उपस्थित श्रद्धालुओं को एक पौधा लगाकर उसके स्वावलंबी होने तक संरक्षण करने तथा जल संरक्षण के लिए पानी बर्बाद न करने की हाथ उठाकर प्रतिज्ञा दिलवाई।
     
स्वामी वासुदेव ने कहा कि प्रकृति के असंतुलन को रोकने के लिए वृक्षों का होना जरूरी है। हम संकल्प लें कि हम नदियों के आसपास, सड़क के दोनों किनारों पर तथा जहां भी खाली जगह हो, वहां पौधे अवश्य लगाएं। उन्होंने लोगों को संदेश दिया कि वे कुंभ से घर पहुंचकर एक पौधा जरूर लगाएं और उसके स्वावलंबी होने तक संरक्षण करें।