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श्रावण मास विशेष
108 Name of Lord Shiva
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भगवान शिव के 108 पौराणिक नाम (अर्थ सहित)
शास्त्रों और पुराणों में भगवान शिव के अनेक नाम है। जिसमें से 108 नामों का विशेष महत्व है। यहां अर्थ सहित नामों को प्रस्तुत किया जा रहा है।
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Dev uthani ekadashi deep daan: देव उठनी एकादशी पर कितने दीये जलाएं
Tulsi vivah par kitne diye jaate hai: देवउठनी एकादशी (प्रबोधिनी एकादशी) तुलसी विवाह पर आप 1, 5, 11, 21, 51 या 108 दीये जला सकते हैं, हालांकि 5 दीये जलाना बहुत शुभ माना जाता है। मुख्य रूप से गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए और इसे तुलसी के पौधे के पास जलाना चाहिए।
यदि आपका घर या दुकान है दक्षिण दिशा में तो करें ये 5 अचूक उपाय, दोष होगा दूर
Dakshin disha ke makan and Dukan ka vastu: हिन्दू धर्म, ज्योतिष और वास्तु शास्त्र में दक्षिण दिशा को अशुभ माना गया है। इस दिशा में घर या दुकान का मुख्य द्वार है तो उससे नुकसान होने की संभावना बनी रहती है। दक्षिण दिशा को यम और मंगल की दिशा माना गया है। यह दिशा स्त्रियों के लिए अत्यंत अशुभ तथा अनिष्टकारी होती है। इस दिशा से सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों का प्रभाव ज्यादा रहता है जो शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए ठीक नहीं है। दक्षिण दिशा में मुख्य द्वार या खिड़की है तो दक्षिण के बुरे प्रभाव से बचना जरूरी है। इसके लिए जानिए 5 खास अचूक उपाय।
Dev Uthani Ekadashi 2025: देव उठनी एकादशी की पूजा और तुलसी विवाह की संपूर्ण विधि
Dev Uthani Ekadashi 2025: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस दिन को कुछ लोग छोटी दिवाली और देव दिवाली भी मानते हैं। देव उठनी एकादशी पर भगवान विष्णु को योगनिद्रा से जगाने और तुलसी विवाह करने का प्रचलन है। आओ जानते हैं दोनों ही परंपरा के संबंध में विस्तार से पूजन और विवाह विधि।
काशी के मणिकर्णिका घाट पर चिता की राख पर '94' लिखने का रहस्य: आस्था या अंधविश्वास?
Kashi Manikarnika Ghat: काशी (वाराणसी/बनारस) को मोक्षदायिनी नगरी कहा जाता है, जहाँ गंगा तट पर स्थित मणिकर्णिका घाट पर जीवन और मृत्यु का संगम सदियों से होता रहा है। यह महाश्मशान, जहाँ राजा हरिशचंद्र के समय से अंतिम संस्कार की अग्नि निरंतर धधक रही है, हाल ही में सोशल मीडिया पर एक रहस्यमय परंपरा के कारण चर्चा में आया है। Quora और Instagram पर लाखों यूजर्स यह सवाल पूछ रहे हैं: दाह संस्कार के बाद चिता की राख पर '94' क्यों लिखा जाता है?
Vishnu Trirat Vrat: विष्णु त्रिरात्री व्रत क्या होता है, इस दिन किस देवता का पूजन किया जाता है?
Trirat Vrat 2025: विष्णु त्रिरात्री व्रत एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है, जो तीन रातों और तीन दिनों तक चलने वाला उपवास या विशेष धार्मिक अनुष्ठान होता है। 'त्रिरात्री' का शाब्दिक अर्थ ही 'तीन रातें' होता है। इस व्रत का संबंध मुख्य रूप से भगवान विष्णु और उनके विभिन्न रूपों से होता है।
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06 November Birthday: आपको 6 नवंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!
06 November Happy Birthday: जन्मदिन की शुभकामनाओं के साथ आपका स्वागत है वेबदुनिया की विशेष प्रस्तुति में। यह कॉलम नियमित रूप से उन पाठकों के व्यक्तित्व और भविष्य के बारे में जानकारी देगा जिनका उस दिनांक को जन्मदिन होगा। पेश है दिनांक 06 को जन्मे व्यक्तियों के बारे में जानकारी।
Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 06 नवंबर, 2025: गुरुवार का पंचांग और शुभ समय
06 November 2025 Today Shubh Muhurat: क्या आप आज कोई नया काम शुरू करने की सोच रहे हैं? या कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाले हैं? ज्योतिष और पंचांग के अनुसार, किसी भी शुभ कार्य को सही मुहूर्त में करने से सफलता की संभावना बढ़ जाती है। 'वेबदुनिया' आपके लिए लेकर आया है 06 नवंबर, 2025 का विशेष पंचांग और शुभ-अशुभ मुहूर्त
वक्री बृहस्पति: 11 नवंबर से अगले 25 दिन इन 5 राशियों के लिए बेहद कठिन रहेंगे
vakri brihaspati ka fal: देवगुरु बृहस्पति 18 अक्टूबर 2025 से अपनी उच्च की राशि कर्क राशि में गोचर कर रहे हैं और अब 11 नवंबर 2025 की रात को 10 बजकर 11 मिनट पर वक्री चाल चलेंगे। गुरु 11 मार्च 2026 तक इसी अवस्था में रहेंगे, लेकिन 5 दिसंबर 2025 को वे पुन: मिथुन में लौट आएंगे। इसका अर्थ है कि गुरु के कर्क में रहने तक 5 राशियों के लिए करियर, वित्त और निजी जीवन में विशेष चुनौतियां खड़ी हो सकती है।
Kaal Bhairav Puja 2025: काल भैरव अष्टमी पर करें इस तरह भगवान की पूजा, सभी संकट होंगे दूर
How to please Lord Bhairav: काल भैरव अष्टमी, जिसे भैरव जयंती या कालाष्टमी भी कहा जाता है भगवान शिव के उग्र और शक्तिशाली स्वरूप, काल भैरव को समर्पित एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान काल भैरव का प्राकट्य हुआ था, जो काल के स्वामी और संकटों के संहारक हैं।
Kaal Bhairav Jayanti 2025: अष्ट भैरव में से काल भैरव के इस मंत्र से मिलेगा उनका आशीर्वाद
Kaal Bhairav Mantra: भगवान शिव के उग्र और दयालु स्वरूप, काल भैरव को समय का अधिपति और आपत्तियों का संहारक माना जाता है। उनकी उपासना साधक को भयहीनता, सुरक्षा और सभी नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति प्रदान करती है। यहां पढ़ें आध्यात्मिक उन्नति, शक्ति और सुरक्षा देन तथा नकारात्मक ऊर्जा का नाश करने वाला पावरफुल मंत्र...