मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. श्राद्ध पर्व
  4. Pitra dosh se mukti ke upay
Written By अनिरुद्ध जोशी

श्राद्ध पक्ष 2021, पितृ दोष से मुक्ति के लिए कर लें ये खास 5 उपाय

श्राद्ध पक्ष 2021, पितृ दोष से मुक्ति के लिए कर लें ये खास 5 उपाय - Pitra dosh se mukti ke upay
इस बार पितृ पक्ष 20 सितंबर 2021 से प्रारंभ हो रहे हैं। प्रतिवर्ष भाद्रपद की पूर्णिमा से श्राद्ध पक्ष शुरू होते हैं जो 16 दिनों तक चलते हैं। यदि आपकी कुंडली में पितृदोष है, हर तरह से प्रगति रुकी हुई है या आप जीवन में मृत्यु तुल्य कष्ट झेल रहे हैं तो इस बार श्राद्ध पक्ष में लाल किताब के 5 अचूक उपाय आजमा लेंगे तो तुरंत ही पितृदोष समाप्त हो जाएगा।
 
 
पंचबलि कर्म : श्राद्ध में पंचबलि कर्म किया जाता है। अर्थात पांच जीवों को भोजन दिया जाता है। बलि का अर्थ बलि देने नहीं बल्कि भोजन कराना भी होता है। श्राद्ध में गोबलि, श्वान बलि, काकबलि, देवादिबलि और पिपलिकादि कर्म किया जाता है। पितृ पक्ष के दौरान कोओं को प्रतिदिन खाना डालना चाहिए। मान्यता है कि हमारे पूर्वज कौवों के रूप में धरती पर आते हैं। इसके बाद ही ब्राह्मण भोज कराएं।
 
1. पहला उपाय : परिवार के सभी सदस्यों से बराबर मात्रा में सिक्के इकट्ठे करके उन्हें मंदिर में दान करें। मतलब यह कि यदि आप अपनी जेब से 10 का सिक्का ले रहे हैं तो घर के अन्य सभी सदस्यों से भी 10-10 के सिक्के एकत्रित करने उसे मंदिर में दान कर दें। यदि आपके दादाजी हैं तो उनके साथ जाकर दान करें। यह दान गुरुवार को करें।
 
2. दूसरा उपाय : 16 दिनों तक लगातार कौए, चिढ़िया, कुत्ते और गाय को रोटी खिलाते रहना चाहिए। उक्त चारों में से जो भी समय पर मिल जाए उसे रोटी खिलाते रहें।
 
3. तीसरा उपाय : 16 दिनों तक लगातार सुबह और शाम घर में संध्यावंदन के समय कर्पूर जलाएं और गुड़ में घी मिलाकर उसकी धूप दें।
 
 
4. चौथा उपाय : पीपल या बरगद के वृक्ष में जल चढ़ाते रहना चाहिए। केसर का तिलक लगाते रहना चाहिए। विष्णु भगवान के मंत्र जाप, श्रीमद्‍भागवत गीता का पाठ करने से पितृदोष चला जाता है। एकादशी के व्रत रखना चाहिए कठोरता के साथ।
 
5. पांचवां उपाय : पितृ पक्ष में प्रतिदिन नियमित रूप से पवित्र नदी में स्नान करके पितरों के नाम पर तर्पण करना चाहिए। इसके लिए पितरों को जौ, काला तिल और एक लाल फूल डालकर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके जल अर्पित करना चाहिए। पितरों के लिए किए गए मुक्ति कर्म को श्राद्ध तथा तंडुल या तिल मिश्रित जल अर्पित करने की क्रिया को तर्पण कहते हैं।
 
पितृ पक्ष के दौरान पिंडदान भी किया जाता है। पितृ पक्ष में पिंडदान का भी महत्व है। सामान्य विधि के अनुसार पिंडदान में चावल, गाय का दूध, घी, गुड़ और शहद को मिलाकर पिंड बनाए जाते हैं और उन्हें पितरों को अर्पित किया जाता है। यह पिंडदान भी कुछ प्रकार का होता है। धार्मिक मान्यता है कि चावल से बने पिंड से पितर लंबे समय तक संतुष्ट रहते हैं।