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महाशिवरात्रि
shivratri vrat vidhi in hindi
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क्या है महाशिवरात्रि व्रत का पौराणिक विधि-विधान
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30 साल बाद 29 मार्च 2025 को है 4 महासंयोग, 5 कार्य अवश्य करेंगे तो होगा फायदा ही फायदा
Saturn Transit in Pisces 2025: इस बार 30 साल बाद 29 मार्च 2025 शनिवार को 4 महासंयोग घटित होने वाले हैं। सारे ज्योतिषियों की नजर इस पर टिकी हुई है। माना जा रहा है कि इससे देश और दुनिया में बड़े परिवर्तन होने वाले हैं। इसी के साथ कुछ राशियों को लाभ होगा तो कुछ के जीवन में परेशानी खड़ी होगी। आओ जानते हैं कि कौनसे 4 योग संयोग बन रहे हैं और कौनसे 5 कार्य करने से होगा फायदा ही फायदा।
सूर्य का मीन राशि में गोचर, 12 राशियों का राशिफल
Sun transit 2025: सूर्यदेव 14 मार्च 2025 शुक्रवार के दिन शनि की मूल त्रिकोण राशि कुंभ राशि से निकलकर बृहस्पति की मीन राशि में प्रवेश करेंगे। मीन राशि में पहले से विराजमान राहु के कारण ग्रहण योग भी बनेगा। इसके चलते कुछ राशियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है तो कुछ के लिए यह गोचर शुभ माना जा रहा है। आओ जानते हैं सूर्य का मीन में गोचर फल 12 राशियों का राशिफल।
Shani gochar 2025: सूर्य ग्रहण वाले दिन शनि का बृहस्पति की मीन राशि में होगा गोचर, 3 राशियों के लिए है अशुभ
solar eclipse effects on zodiac signs 2025 : 14 मार्च को सूर्य कुंभ से निकलकर मीन राशि में गोचर करने लगेंगे और 29 मार्च 2025 को शनि ग्रह खुद की कुंभ राशि से निकलकर बृहस्पति की मीन राशि में प्रवेश करेगा। यानी सूर्य और शनि एक ही राशि में रहेंगे और यह भी संयोग है कि 29 मार्च को वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण भी होगा। इस खगोलीय संयोग का कुछ राशियों पर विशेष प्रभाव पड़ सकता है। 3 राशियों के जातकों को सलाह दी जाती है कि वे इस अवधि में विशेष सतर्कता बरतें, नियमित रूप से शनि से संबंधित उपाय करें और अपने स्वास्थ्य व आर्थिक मामलों पर ध्यान दें।
बसौड़ा 2025: शीतलाष्टमी का व्रत कब रखा जाएगा?
Sheetala Ashtami 2025 : हर साल चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर शीतला अष्टमी पर्व मनाया जाता है। यह दिन होली के त्योहार के 8 दिन बाद पड़ता है। हिन्दू शास्त्रों में शीतला अष्टमी के दिन माता शीतला का व्रत रखकर विधि-विधानपूर्वक देवी शीतला माता की पूजा-आराधना की जाती है। शीतला सप्तमी को बसौड़ा भी कहा जाता है। आइए जानते हैं 2025 में शीतलाष्टमी व्रत कब है...
29 मार्च 2025 को होने वाला है सबसे बड़ा परिवर्तन, 3 राशियां रहें बचकर
Saturn transit Solar Eclipse 2025: साल 2025 को ग्रह नक्षत्रों के परिवर्तन के चलते बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसी साल ग्रह नक्षत्रों के चलते ही प्रयागराज में महाकुंभ मेले का आयोजन हुआ और अब मार्च माह में ग्रहण और ग्रहों का बड़ा गोचर होने वाला है। इसी दिन शनि अमावस्या भी है। इससे देश दुनिया में बड़े प्रभाव की आशंका व्यक्त की जा रही है। आओ जानते हैं कि 29 मार्च 2025 को क्या खास होने वाला है कि जिसके चलते 3 राशियों को सावधान रहना होगा।
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हिंदू नववर्ष को किस राज्य में क्या कहते हैं?
Traditions and customs of Hindu New Year: चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष प्रारंभ होता है। इस हिंदू नववर्ष को प्रत्येक राज्य में अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है परंतु है यह नवसंवत्सर। इस बार यह नववर्ष 30 मार्च 2025 रविवार से होगा और इसका समापन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा 19 मार्च 2026 गुरुवार को होगा। इस वर्ष विक्रम संवत 2082 का प्रारंभ होगा।
रंग पंचमी पर आजमा लें ये 5 अचूक उपाय, पूरा साल रहेगा खुशियों भरा
Rang Panchami Remedy 2025: रंग पंचमी रंगों तथा खुशियां बिखेरने का पर्व है। यह दिन भी उपाय के लिहाज से काफी लाभकारी माना जाता है। आइए जानते हैं यहां रंग पंचमी पर किये जाने वाले सरल उपायों के बारे में....
पान के बीड़े से करते हैं लड़की को प्रपोज, भीलों के भगोरिया मेले का शिव और पार्वती से क्या है संबंध?
Bhagoriya Mela Interesting story in hindi: फागुन के रस में भिगोने जब आ जाता है भगोरिया, तो गांव-गांव, शहर-शहर मस्ती की धूम में डूब जाते हैं और भगोरिया, फागुन के दामन पर प्रेम की मुहर लगा देता है। एक अनुरागी कामना लिए, उमंग और उल्लास का उत्सव, भागोरिया, होली के एक सप्ताह पहले ही विशेष चर्चा में रहता है।
होली या रंगपंचमी पर रंग छुड़ाने के 5 आसान तरीके
how to remove Holi colour: होली या रंगपंचमी पर कई लोग पक्के रंग से होली खेलते हैं जोकि आसानी से एक बार में निकलता नहीं है। रंगों को जबरदस्ती नहीं निकालता चाहिए क्योंकि इससे त्वचा खराब हो सकती है। यदि प्राकृतिक रंग होगा तो जल्दी से निकल जाएगा लेकिन यदि केमिकल रंग होगा तो देर लगेगी। केमिकल रंगों को जबरन निकालने का प्रयास ना करें। वह वक्त के साथ खुद ब खुद ही निकल जाएंगे। जबरन निकालने में त्वचा को नुकसान पहुंचेगा।
इन 5 कारणों से मनाते हैं होली के बाद रंग पंचमी, रंगपंचमी का महत्व और कहां-कहां है इसका प्रचलन
क्यों मनाते हैं रंगपंचमी | Why celebrate Rangpanchami: पौराणिक मान्यता के अनुसार रंगों का यह उत्सव फाल्गुन पूर्णिमा से लेकर चैत्र मास की कृष्ण पंचमी तक चलता है। धुलेंडी यानी होली की तरह ही इस दिन दिन शोभा यात्राएं निकाली जाती है और लोग एक दूसरे पर रंग और अबीर डालते हैं। इसी दिन शाम को श्रीखंड और गिलकी के पकोड़े खाते हैं। आओ जानते हैं कि रंगपंचमी क्यों मनाते हैं क्या है इसके 5 कारण और यह खासकर देश के किन क्षेत्रों में मनाई जाती है।