शिव नवरात्रि महापर्व प्रारम्भ, दूसरे दिन शेषनाग श्रृंगार
उज्जैन। प्रथम दिन विधिवत पूजन-अर्चन कर भगवान श्री महाकाल को नवीन वस्त्र धारण कर श्रृंगारित किया गया। नौ दिन पूर्व से शिव नवरात्रि उत्सव मनाया जाना प्रारंभ हो गया है।
प्रथम दिन नैवेद्य कक्ष में श्री चन्द्रमौलेश्वर भगवान की पूजा, कोटितीर्थ पर स्थित श्री कोटेश्वर महादेव का पूजन-अर्चन करने के बाद प्रारम्भ हुआ। प्रात: लगभग 9.30 बजे मुख्य पुजारी पं. घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में तथा अन्य 11 ब्राह्मणों के द्वारा देश एवं प्रदेश की सुख-समृद्धि एवं खुशहाली की कामना के साथ रूद्राभिषेक प्रारम्भ किया गया।
इसके बाद अपराह्न में 3 बजे पूजन के पश्चात भगवान श्री महाकाल को नवीन वस्त्र धारण कर श्रृंगारित कर पूजा-अर्चना की गई। नौ दिवस में उपासना, तपस्या एवं साधना के लिए शिव नवरात्रि महापर्व मनाया जाता है। इन नौ दिनों तक भगवान श्री महाकाल अपने भक्तों को अलग-अलग स्वरूपों में दर्शन देकर उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।
शिव नवरात्रि उत्सव के दूसरे दिन शेषनाग श्रृंगार होगा। शिव नवरात्रि उत्सव के दूसरे दिन 22 फरवरी को भगवान श्री महाकाल का शेषनाग से श्रृंगार कर उन्हें कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुंडमाल, छत्र आदि से श्रृंगारित किया जाएगा। उत्सव के नौवें दिन 1 मार्च को महाशिवरात्रि पर भगवान महाकाल को जलधारा चढ़ाई जाएगी। महाशिवरात्रि के दूसरे दिन 2 मार्च को भगवान महाकाल को सप्तधान श्रृंगार से श्रृंगारित किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में श्री महाकालेश्वर मन्दिर स्थित है। इसे भारत के बारह प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। पुण्य सलीला शिप्रा तट पर स्थित उज्जैन प्राचीनकाल में उज्जयिनी के नाम से विख्यात था। इसे अवन्तिकापुरी भी कहते थे। यह स्थान हिन्दू धर्म की सात पवित्र पुरियों में से एक है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ज्योतिष में जिसका विशेष महत्व है। इसी के साथ ही श्री महाकालेश्वर मन्दिर के गर्भगृह में माता पार्वती, भगवान गणेश व कार्तिकेय की मोहक प्रतिमाएं हैं। गर्भगृह के सामने विशाल कक्ष में नन्दी की प्रतिमा विराजित है।
- जन संपर्क कक्ष, श्री महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन।