भारतीय संस्कृति का विशेष वस्त्र कुर्ता एवं पायजामा, जानिए कितना है स्टाइलिश
भारतीय सनातन संस्कृति का विशेष वस्त्र है कुर्ता एवं पजामा (पायजामा)। यह प्रत्येक प्रांत में अलग-अलग स्टाइल में पहना जाता है। कुर्ते को अफगानिस्तान में पैरहन, कश्मीर में फिरान और नेपाल में दौरा के नाम से जाना जाता है। राजस्थानी, भोपाली, लखनवी, मुल्तानी, पठानी, पंजाबी, बंगाली, हर कुर्ते की डिजाइन अलग होती है।
सलवार एवं कुर्ती : जिस तरह पुरुष कुर्ता और पायजामा पहनते हैं उसी तरह महिलाएं कुर्ती और पायजामे (सलवार) के साथ चुनरी, ओढ़नी या दुपट्टा भी पहनती हैं। यह महिलाओं के लिए अलग शैली में निर्मित होता है। पंजाबी शैली, उत्तर भारतीय शैली (स्टाइल) आदि में निर्मित सलवार-कुर्ती महिलाओं के लिए सबसे उत्तम वस्त्र माना गया है।
जम्मू और कश्मीर में ठंड अधिक होने के कारण वहां की महिलाएं व पुरुष 'पैरहन' पहनते हैं। यह पोशाक पहाड़ी इलाकों में काफी प्रसिद्ध है। कश्मीर की महिलाएं सिर को दुपट्टे से ढंककर पीछे से बांध लेती हैं। हालांकि वर्तमान में कट्टरपंथ के चलते वहां कश्मीरियत को छोड़कर अरबी संस्कृति के पहनावे पर जोर दिया जा रहा है।
'सलवार' नामक चौड़े पायजामे से पैर ढंका रहता था जबकि ऊपरी हिस्से में पूरे बांह की कमीज पहनी जाती थी। इसके ऊपर एक छोटा अंगरखा कोट होता था जिसे सदरी कहते थे। बाहरी लबादे को चोगा कहते थे, जो नीचे टखनों तक आता था। इसकी एक लंबी, ढीली आस्तीन होती थी और एक कमरबंद होता था। सर की पोशाक एक छोटे कपड़े से ढंकी छोटी चुस्त टोपी से बनी होती थी। इसी से पगड़ी बनती थी।
कुर्ता और पायजामा पहनने से शरीर के चारों ओर दीर्घ वृत्ताकार (दीप की ज्योति समान) कवच निर्मित होता है। इसे पहनने से व्यक्ति आरामदायक अनुभव (कंफर्ट फिल) करता है। सेहत, शांति और मन की प्रसन्नता के लिए यह सबसे उत्तम वस्त्र है। कुर्ते सूती, ऊनी और रेशमी सभी तरह के सामग्रियों में मिलते हैं। कुर्ते के कई परिवर्धित रूप हैं जिनमें शेरवानी, पठानी सूट इत्यादि प्रचलित हैं।