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Written By WD Feature Desk
Last Modified: बुधवार, 2 जुलाई 2025 (14:32 IST)

आज तक अनसुलझे हैं बांके बिहारी मंदिर के ये रहस्य, जानिए क्यों दिव्य है ये मंदिर

बांके बिहारी मंदिर
banke bihari temple miracles: बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन का एक ऐसा पवित्र धाम है, जहाँ कण-कण में भगवान श्रीकृष्ण का वास महसूस होता है। यह मंदिर सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि स्वयं में कई रहस्यों को समेटे हुए है। हर कृष्ण भक्त को इन अनसुनी बातों के बारे में अवश्य पता होना चाहिए। आइए जानते हैं बांके बिहारी जी से जुड़े कुछ ऐसे रहस्य, जो आपको हैरान कर देंगे और आपकी आस्था को और गहरा करेंगे।

कैसे प्रकट हुई थी बांके बिहारी की मूर्ति?
यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर सुनकर हर कोई आश्चर्यचकित रह जाता है। माना जाता है कि बांके बिहारी जी की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी। मंदिर के संस्थापक, महान भक्त स्वामी हरिदास जी महाराज निधिवन राज में भजन-कीर्तन किया करते थे। एक दिन उनके भजन से प्रसन्न होकर भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी स्वयं प्रकट हुए। स्वामी जी ने उनसे प्रार्थना की कि वे भक्तों के लिए यहीं वास करें, जिसके बाद राधा-कृष्ण की युगल छवि एक सुंदर मूर्ति में समा गई। यह मूर्ति आज भी बांके बिहारी मंदिर में विराजमान है। यह घटना अपने आप में एक चमत्कार है और इसी कारण यह मूर्ति अत्यंत पूजनीय मानी जाती है।

क्यों नहीं होती है मंगला आरती
दुनिया के लगभग सभी कृष्ण मंदिरों में भोर में मंगला आरती की जाती है, जो भगवान को जगाने का प्रतीक है। लेकिन बांके बिहारी मंदिर में यह परंपरा नहीं है! इसका कारण यह है कि यहां भगवान को एक बालक के रूप में माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि बिहारी जी रातभर अपनी लीलाओं में लीन रहते हैं, और उन्हें सुबह जल्दी जगाना उचित नहीं है। इसलिए यहां भगवान को देर से जगाया जाता है, और दिन की पहली आरती (श्रृंगार आरती) थोड़ी देर से होती है। यह अनूठी परंपरा बिहारी जी के प्रति भक्तों के वात्सल्य भाव को दर्शाती है।

आंखें खोलकर करने चाहिए दर्शन
आपने अक्सर सुना होगा कि भगवान के दर्शन करते समय आँखें बंद करके ध्यान लगाना चाहिए। लेकिन बांके बिहारी मंदिर में इसके ठीक विपरीत, भक्तों को आंखें खोलकर दर्शन करने चाहिए! ऐसा माना जाता है कि बिहारी जी की छवि इतनी मनमोहक है कि यदि आप पलकें झपकाएंगे, तो उनके दर्शन का एक भी पल चूक सकते हैं। उनकी मोहिनी छवि को एकटक निहारना ही उनके प्रति सच्ची भक्ति है।

हर दो मिनट के बाद लगता है पर्दा
यह मंदिर की सबसे आश्चर्यजनक और प्रसिद्ध परंपराओं में से एक है। बांके बिहारी मंदिर में बिहारी जी के सामने हर दो मिनट के बाद पर्दा लगा दिया जाता है और फिर हटा दिया जाता है। यह सिलसिला लगातार चलता रहता है। इस परंपरा के पीछे कई मान्यताएं हैं। कुछ लोग कहते हैं कि बिहारी जी की छवि इतनी शक्तिशाली है कि यदि कोई भक्त उन्हें लंबे समय तक बिना पलक झपकाए निहारे, तो वह उनके प्रेम में पूर्ण रूप से लीन होकर अपने होश खो सकता है। पर्दा लगाने से भक्तों को इस तीव्र अनुभव से बचाया जाता है।

कहा जाता है कि करीब 400 साल पहले यह परंपरा नहीं थी लेकिन एक बार एक साधक बांके बिहारी जी के दर्शन करने के लिए मंदिर आया। तब वह अधिक देर तक बहुत प्रेम से मन लगाकर बांके बिहारी जी के दर्शन करने लगा। उस दौरान भगवान साधक के प्रेम से खुश होकर उनके साथ ही चलने लगे। जब यह दृश्य पंडित जी ने देखा तो मंदिर में बांके बिहारी जी की मूर्ति नहीं है। तो उन्होंने भगवान से वापस मंदिर में चलने के लिए विनती की। तभी से हर 2 मिनट के गैप पर बांके बिहारी जी के सामने पर्दा डालने की परंपरा शुरू हुई।

सिर्फ अक्षय तृतीया को होते हैं चरण दर्शन
पूरे वर्ष में केवल एक ही दिन ऐसा आता है, जब भक्तों को बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होता है, और वह दिन है अक्षय तृतीया। इस दिन बिहारी जी की विशेष सेवा की जाती है और उनके चरणों का दर्शन करवाया जाता है। यह दर्शन अत्यंत दुर्लभ और शुभ माने जाते हैं, और लाखों भक्त इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं।

साल में केवल एक बार बंसी और मुकुट धारण करते हैं बांके बिहारी
बिहारी जी को वर्ष में केवल एक बार, शरद पूर्णिमा के अवसर पर, बंसी और मुकुट धारण कराया जाता है। आमतौर पर, उनके श्रृंगार में बंसी और मुकुट शामिल नहीं होते हैं। यह विशेष अवसर भक्तों के लिए एक अद्वितीय अनुभव होता है, जब वे अपने प्रिय बिहारी जी को उनके पारंपरिक रूप में देखते हैं।
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