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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 23 दिसंबर 2024 (10:16 IST)

Rukmini Ashtami Katha: रुक्मिणी अष्टमी व्रत की पौराणिक कथा

Rukmini Ashtami
Rukmini Ashtami 2024 : इस बार 23 दिसंबर 2024, दिन सोमवार को रुक्मिणी अष्टमी व्रत किया जा रहा है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार हर साल यह पर्व पौष कृष्ण अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता हैं कि द्वापर युग में इसी दिन देवी रुक्मिणी का जन्म हुआ था, जो विदर्भ नरेश भीष्मक की पुत्री थी। 
 
शास्त्रों के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि पर तथा राधा जी भी अष्टमी के दिन ही जन्मीं थी और माता लक्ष्मी के समान ही लक्षण वाली (लक्ष्मीस्वरूपा) रुक्मिणी जी का जन्म भी अष्टमी तिथि को हुआ था। अत: हिन्दू धर्म में अष्टमी तिथि बहुत ही शुभ मानी गई है। इस दिन माता लक्ष्मी, कृष्ण और रुक्मिणी का पूजन करना चाहिए। 
 
Highlights
 
  • आज है रुक्मणी अष्टमी व्रत।
  • कृष्ण और रुक्मिणी की कहानी क्या है?
  • कृष्ण का विवाह रुक्मणी से क्यों हुआ था?
आइए यहां जानते हैं रुक्मिणी अष्टमी की कथा...
 
रुक्मिणी अष्टमी व्रत कथा के अनुसार देवी रुक्मिणी भगवान श्री कृष्ण की 8 पटरानियों में से एक थी। वे विदर्भ नरेश भीष्मक की पुत्री तथा प्रत्यक्ष लक्ष्मी की अवतार थीं। 
 
रुक्मिणी दिखने में अतिसुंदर एवं सर्वगुणों से संपन्न थीं। उनके भाई उनका विवाह शिशुपाल से करना चाहते थे, लेकिन देवी रुक्मिणी श्री कृष्ण की भक्त थी, वे मन ही मन भगवान श्री कृष्ण को अपना सबकुछ मान चुकी थी। 
 
जिस दिन शिशुपाल से उनका विवाह होने वाला था, उस दिन देवी रुक्मिणी अपनी सखियों के साथ मंदिर गई और पूजा करके जब मंदिर से बाहर आई, तो मंदिर के बाहर रथ पर सवार श्री कृष्ण ने उनको अपने रथ में बिठा लिया और द्वारिका की ओर प्रस्थान कर गए और उनके साथ विवाह किया। 
 
अत: आज के दिन भगवान श्री कृष्ण और मां रुक्मिणी पूजन, उनके मंत्रों का उच्चारण तथा तुलसी मिश्रित खीर का भोग लगाने और रात्रि जागरण करके पारण करने का विशेष महत्व है। इस तरह पूजन-अर्चन करने से समस्त मनोकामना पूर्ण होकर घर सुख-समृद्धि तथा धन-संपत्ति से भरा रहता है तथा वैवाहिक जीवन में सर्वसुखों की प्राप्ति होती है। 

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