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Last Updated : मंगलवार, 18 जनवरी 2022 (17:58 IST)

Mandir Mystery : भक्ति के स्पर्श मात्र से हिल जाता है विशालकाय त्रिशूल

Keyword : gopeshwar mahadev temple in chamoli district Uttarakhand
Gopeshwar Mahadev Temple
नमस्कार! 'वेबदुनिया' के मंदिर मिस्ट्री चैनल में आपका स्वागत है। इस चैनल में हम आपको मंदिरों के अनसुलझे रहस्यों के बारे में बताते रहे हैं। इस बार हम बताते हैं उत्तराखंड के चमोली जिले में गोपेश्वर नामक प्राचीन मंदिर में स्थित चमत्कारी त्रिशूल की अद्भुत कहानी। इस मंदिर और यहां के त्रिशूल के बारे में जानकर आपको भी आश्चर्य होगा।
 
 
नहीं हिलता ताकत से गोपेश्‍वर महादेव मंदिर का चमत्कारी त्रिशूल
 
स्कंदपुराण में उल्लेख है इस मंदिर : स्कंदपुराण के केदारखंड में बताया गया है कि शिवजी, मां पार्वती से कहते हैं कि यह गोस्थल नाम का दर्शनीय स्थल है। जहां मैं तुम्हारे साथ नित्य निवास करता हूं, वहां मेरा नाम पश्वीश्वर है। इस स्थान में भक्तों की भक्ति विशेष बढ़ती जाती है। वहां हमारा चिह्न स्वरूप जो त्रिशूल है, वह हैरान करने वाला है। मान्यता है कि पश्वीश्वर महादेव, देवी पार्वती के साथ यहां साक्षात रूप में मंदिर में निवास करते हैं। 
 
रतिकुंड : मान्यता है कि शिवजी ने अपने तीसरे नेत्र से कामदेव को इसी स्थान पर भस्म कर दिया था इसीलिए शिवजी को इस क्षेत्र में झषकेतुहर भी कहा जाता है। इसी स्थान पर भगवान शिव का नाम रतीश्वर भी पड़ा, क्योंकि कामदेव की पत्नी रति ने यहां एक कुंड के निकट घोर तप किया और भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया कि कामदेव प्रद्युम्न के रूप में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र बनकर जन्म लेंगे और वहीं तुम्हारी उनसे भेंट होगी। जहां रति ने तप किया, उस कुंड का नाम रतिकुंड पड़ा जिसे वैतरणीकुंड भी कहा जाता है।
 
वृक्ष पर फूल रहते हैं सदा हरे-भरे : इस प्राचीन मंदिर के ठीक बगल पर एक वृक्ष है, जो हर ऋतु में एक जैसा सदा फूलों से लदा रहता है। इसके हर मौसम में फूल आते रहते हैं और यह वृक्ष सदा ही हरा-भरा और फूलों से लदा रहता है। इसे वृक्ष को देखकर अद्भुत अनुभूति होती है।
 
भक्ति की अंगुली से हिलता है त्रिशूल : यहां के स्थानीय लोगों और पुजारियों का कहना है कि यहां स्थित जो विशालकाय त्रिशूल है, उसे आप ताकत से नहीं हिला सकते। यदि ताकत के साथ इस त्रिशूल को हिलाने का प्रयास किया जाए तो वह बिल्कुल भी कंपित नहीं होगा, लेकिन भक्ति के साथ कनिष्ठा अर्थात हाथ की सबसे छोटी अंगुली से भक्तिपूर्वक इसका स्पर्श किया जाए तो त्रिशूल में बार-बार कंपन होने लगता है। लोगों के लिए यह आश्चर्य और किसी चमत्कार से कम नहीं है।
 
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