पश्चिम बंगाल में स्थित भारत सेवा आश्रम क्या है?
भारत सेवा आश्रम संघ के देशभर में कई आश्रम है। भारत सेवाश्रम संघ की स्थापना सन्त आचार्य श्रीमद् स्वामी प्रणवानन्द जी महाराज ने सन् 1917 में की थी। यह संन्यासियों और नि:स्वार्थ कार्य करने वाले सेवकों का संघ है जो मानवता, लोक सेवा और राष्ट्र रक्षार्थ कार्य करता है। कहा जाता है कि इसके देशभर में लगभग 46 से ज्यादा केंद्र है और इसका मुख्यालय पश्चिम बंगाल के कोलकाता में है।
देश में किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा या अन्य किसी प्रकार की आपदा के समय यह संघ कैम्प लगाकर सेवा और सहायता करता है। मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद सहित देश के तीर्थ स्थलों पर इसके केंद्र है। यह कई ग्रामीण क्षेत्रों में रोगियों का नि:शुल्क इलाज और भोजन आदि उपलब्ध भी करवाता है। इसके साथ-साथ भारत सेवाश्रम संघ शिक्षा के प्रसार तथा आदिवासियो एवं वनवासियों के उत्थान के लिए सतत् कार्यरत है। संघ के संन्यासियों ने एकांतवास की अपेक्षा लोग सेवा और देशसेवा को ज्यादा महत्व दिया। संघ का प्रमुख उद्देश्य महान राष्ट्रीयता का निर्माण करना है। और संघ का दृढ़ विश्वास है कि इस लक्ष्य को पूर्ण करने का सबसे महत्वपूर्ण चरण होगा दृढ़ और व्यवहारकुशल हिंदू संस्थाओं का पुन: संगठन और पुनर्निर्माण।
संघ का प्रमुख केंद्र कोलकाता बालीगंज में है और उसकी अनेक शाखाएं गया (बिहार), वाराणसी, प्रयाग वृंदावन (उत्तर प्रदेश), कुरुक्षेत्र (पश्चिमी पंजाब), पुरी (उड़ीसा), सूरत, अहमदाबाद (गुजरात), हैदराबाद (आंध्र) में हैं और इन शाखाओं के दर्जनों केंद्र और अनेक हिंदू मिलन मंदिर पूर्वी बंगाल के विभिन्न जिलों और अन्य प्रांतों में हैं।
भारत सेवाश्रम संघ के संस्थापक स्वामी प्रणवानन्द (14 मई 1896- 8 मई 1941) ने भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में भी भाग लिया। वे बाबा गंभीरनाथ जी के शिष्य थे। उनके अनुयायी उन्हें भगवान शिव का अवतार मानते हैं। उनका जन्म बंगाल के बाजितपुर गांव में हुआ था जो अब बांग्लादेश में है। उनके बचपन का नाम बिनोद था। बचपन से ही वे गहन चिन्तन करते-करते ध्यान-मग्न हो जाते थे। उनके जन्मस्थान बाजितपुर में उनकी समाधि है।