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Last Updated : शुक्रवार, 24 सितम्बर 2021 (21:42 IST)

टिहरी बांध का जल स्तर पहली बार 830 आरएल मीटर पहुंचा, टीएचडीसी ने जताई खुशी

टिहरी बांध का जल स्तर पहली बार 830 आरएल मीटर पहुंचा, टीएचडीसी ने जताई खुशी - Tehri Dam's water level reached 830 RL meter for the first time, THDC expressed happiness
टिहरी। एशिया के सबसे बड़े बांध टिहरी का जल स्तर आज पहली बार 830 आरएल मीटर पहुंच गया है, जिसको लेकर टीएचडीसी (टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड) ने ख़ुशी का इजहार किया है। जब से टिहरी बांध बना है, तब से आज पहली बार टिहरी झील का जल स्तर उत्तराखंड सरकार की अनुमति के बाद 830 आएल मीटर तक भरा गया है।

एक बार साल 2010 में ज्यादा बारिश के कारण झील का जल स्तर 830 मीटर हो गया था जिसे शीघ्र घटाया गया था। झील का जल स्तर 830 आरएल मीटर होने से टिहरी बांध से बिजली उत्पादन भी बढ़ेगा और राजस्व भी ज्यादा प्राप्त होगा।साल 2010 व 2013 की आपदा के समय भारी मात्रा में भागीरथी व भिलंगना नदी में आए पानी से आपदा आने से बचाने का काम भी टिहरी बांध ने किया।

माना जाता है कि उस दौरान यह पानी टिहरी डैम में नहीं रुकता तो देवप्रयाग, ऋषिकेश, हरिद्वार आदि मैदानी इलाकों में भयंकर तबाही हो सकती थी।टिहरी बांध परियोजना 9 राज्यों को बिजली के साथ-साथ अब जल स्तर बढ़ने से ज्यादा बिजली का उत्पादन करके नॉर्दन ग्रिड को दे सकेगी।

टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक यूके सक्सेना ने बताया कि टिहरी झील के कारण 865 आरएल मीटर से ऊपर रहने वाले परिवारों को जलभराव से नुकसान होगा, उसके लिए राज्य सरकार व टीएचडीसी के अधिकारियों के साथ मिलकर एक विशेषज्ञ समिति परीक्षण के बाद उन परिवारों का विस्थापन पुनर्वास नीति के आधार पर करेगी।

इससे पहले टिहरी झील का जल स्तर 828 आरएल मीटर भरने की अनुमति थी, जिसमें टिहरी और कोटेश्वर डैम दोनों मिलाकर हम 20 मिलियन यूनिट के हिसाब से प्रतिदिन बिजली का उत्पादन कर रहे थे।एक अनुमान के अनुसार टिहरी झील में 830 आरएल मीटर पानी भरने से अब सालभर में 16 से 15 मिलियन यूनिट अतिरिक्त बिजली का उत्पादन होगा।

इससे लगभग 30 से 40 लाख प्रतिदिन अतिरिक्त राजस्व मिलेगा। टिहरी झील का जल स्तर अक्टूबर तक 830 आरएल मीटर तक बने रहने की संभावना है।टीएचडीसी के अधिकारियों के अनुसार, टिहरी झील का जल स्तर बढ़ने से किसी को घबराने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि टिहरी डैम का डिजाइन इस तरह से बनाया गया है कि इससे सभी सुरक्षित रह सकते हैं।

इसमें दो मॉर्निंग ग्लोरी बनाई गई हैं, जो कभी बारिश में ज्‍यादा पानी आ जाए तो वह स्वत: ही मॉर्निंग ग्लोरी से निकल जाता है। तेजी से आ रहे पानी के बहाव को भी ये कम कर देता है।टिहरी डैम की सुरक्षा को लेकर कुछ दिन पहले सीडब्ल्यूसी (सेंट्रल वाटर कमीशन) की टीम ने  बारीकी से निरीक्षण कर इसे अपनी रिपोर्ट में पूरी तरह सुरक्षित बताया था।

टिहरी बांध विश्व का चौथा और एशिया का पहला ऐसा बांध है, जो रॉकफिल आधार पर बना है।इसकी ऊंचाई 260.5 मीटर, लंबाई 585 मीटर, टॉप की चौड़ाई 20 मीटर है। भले ही आज टीएचडीसी अधिकारी टिहरी जलाशय में 830 आरएल मीटर पानी भरने से खुश हैं।

लेकिन भिलंगना घाटी के पिलखी, ननगांव और उत्थड़ जैसे कई गांवों में स्थानीय लोग मकानों में दरार पड़ने की शिकायतें दर्ज कराने लगे हैं। 42 वर्ग किलोमीटर में फैले टिहरी बांध के जलाशय में पानी के लेवल को बढ़ाने की यह करतूत कितना क्षेत्र को रास आएगी यह अभी प्रश्न बना हुआ है।

मुख्यमंत्री ने कराई पहले 'अंतरराष्ट्रीय सेब महोत्सव' की शुरुआत : उत्तराखंड में पहले अंतरराष्ट्रीय सेब महोत्सव की शुरुआत आज देहरादून के रेंजर ग्राउंड में हुई। तीन दिवसीय इस अंतरराष्ट्रीय एप्पल महोत्सव का शुभारम्भ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया। मुख्यमंत्री ने महोत्सव की शुरुवात कराते हुए कहा कि प्रदेश में उद्योगों के साथ ही उद्यान एवं बागवानी के विकास हेतु अनुकूल नीति बनाई जाएगी।

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने प्रदेश में सेब उत्पादन को बढ़ावा देने तथा राज्य के सेब को पहचान दिलाने के लिए एप्पल मिशन को दी जाने वाली धनराशि दुगुनी किए जाने की घोषणा की।मुख्यमंत्री ने प्रदेश में नए उद्यानों की स्थापना तथा उनके बेहतर प्रबन्धन पर ध्यान देने पर बल दिया।
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