शिक्षिका की अभिनव पहल, स्कूल को ही बना दिया 'रेल'
डिंडोरी। डिंडोरी जिले में भले ही रेल न चले, लेकिन स्कूल की प्रधान पाठिका ने स्कूल को ही रेल (एजुकेशन एक्सप्रेस) बना दिया है। इससे बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी तो हुई ही, साथ ही बच्चों का पढ़ाई की तरफ रुझान भी बढ़ने लगा है। इस स्कूल को देखने अधिकारी सहित ग्रमीण भी आते हैं।
आदिवासी जिला डिंडोरी के खजरी गांव का एक ऐसा स्कूल इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रहा है। दरअसल, इस स्कूल की महिला प्रधान पाठिका संतोष उइके को स्कूल में बच्चों की दर्ज संख्या और पढ़ाई के प्रति आसपास के माहौल को सुधारने की जिज्ञासा मन में आई।
इसके बाद उन्होंने इस बारे में लगातार विचार किया। मन में विचार आया कि क्यों न स्कूल को ट्रेन की शक्ल ही दे दी जाए जिससे कि स्कूल सुंदर और आकर्षक लगने लगे।
बस फिर क्या था? शिक्षिका ने गूगल पर सर्च किया और ट्रेन और स्टेशन के चित्र को हूबहू स्कूल में शक्ल दे डाली। इतना ही नहीं, स्कूल परिसर का नाम 'खजरी जंक्शन' भी रख दिया गया और अलग-अलग कमरों में अलग-अलग नाम भी लिखा गया।
शिक्षिका के इस प्रयास से जहां बच्चों की दर्ज संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, वहीं बच्चों में पढ़ाई के प्रति ललक भी बढ़ती दिखाई दे रही है। शिक्षिका के इस प्रयास से ग्रामीण और अभिभावक भी खुश हैं।
खजरी गांव डिंडोरी जिले के अमरपुर विकासखंड क्षेत्र के अंतर्गत आता है और यह पहाड़ियों में बसा हुआ है। उइके ने गांव में बरसों पुराने शासकीय माध्यमिक स्कूल को 'एजुकेशन एक्सप्रेस' में तब्दील कर दिया है।
इनके प्रयासों के बाद स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे नियमित समय से पूर्व स्कूल आते हैं। स्कूल में घंटी बजते ही सबसे पहले प्रार्थना होती है। प्रार्थना के बाद बारी-बारी से बच्चे अपनी क्लास के अंदर जाकर पढ़ाई में लग जाते हैं।
बच्चों का कहना है कि अब पहले से ज्यादा स्कूल आना अच्छा लगता है और अब पढ़ाई में भी मन लगता है, वहीं शिक्षिका की इस अभिनव पहल पर ग्रामीण भी बेहद खुश हैं।
हालांकि जिले में अब तक ट्रेन नहीं पहुंच पाई है लेकिन महिला शिक्षिका के प्रयास से जरूर 3 कक्षाओं के 96 बच्चे और 3 शिक्षक रोजाना 'एजुकेशन एक्सप्रेस' (Education Express) में सफर कर शिक्षा की अलख जगा रहे हैं।