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Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Modified: शनिवार, 6 अगस्त 2022 (14:59 IST)

अनुच्छेद 370 हटाने के 3 साल बाद भी कश्मीर को नहीं मिली हिंसा से मुक्ति

अनुच्छेद 370 हटाने के 3 साल बाद भी कश्मीर को नहीं मिली हिंसा से मुक्ति - kashmir not free from violence after removing article 370
जम्मू। अगस्त की 5 तारीख को कश्मीर में जिस अनुच्छेद 370 को हिंसा का प्रमुख कारण बताते हुए हटा दिया गया था उसके 3 साल बीत जाने के बाद भी कश्मीर को हिंसा से मुक्ति नहीं मिल पाई है। हिंसा में कमी तो है पर आज भी कश्मीर प्रतिदिन एक मौत को देखने को मजबूर है। इसकी पुष्टि खुद सरकारी आंकड़े करते थे।
 
पुलिस द्वारा जारी आंकड़े बताते हैं कि 5 अगस्त 2019 से लेकर 5 अगस्त 2022 तक के तीन साल के अरसे में कश्मीर ने 873 मौतें देखी हैं। इनमें हालांकि सबसे बड़ा आंकड़ा आतंकियों का ही था जिनके विरूद्ध कई तरह के आप्रेशन चला उन्हें मैदान से भाग निकलने को मजबूर किया गया लेकिन नागरिकों व सुरक्षाबलों की मौतें भी यथावत हैं।
 
आंकड़े कहते हैं कि 588 आतंकी इस अवधि में ढेर कर दिए गए। तो इसी अवधि में 174 सुरक्षाकर्मियों को शहादत देकर इस सफलता को प्राप्त करना पड़ा। आतंकियों द्वारा नागरिकों को मारने का सिलसिला भी यथावत जारी था। हालांकि पुलिस के दावानुसार, इस अवधि में कोई भी नागरिक कानून व्यवस्था बनाए रखने की प्रक्रिया के दौरान नहीं मारा गया बल्कि इन तीन सालों में जो 111 नागरिक मारे गए उन्हें आतंकियों ने ही मार डाला।
 
इतना जरूर था कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद आतंकियों के सबसे अधिक हमले प्रवासी नागरिकों के साथ साथ हिन्दुओं पर भी हुए हैं। जो लगातार जारी हैं। 5 अगस्त की बरसी की पूर्व संध्या पर भी आतंकियों ने पुलवामा मे ग्रेनेड हमला कर एक बिहारी श्रमिक की जान ले ली थी।
 
अगर इन आंकड़ों पर जाएं तो कश्मीर ने प्रतिदिन औसतन एक मौत देखी है और आतंकियों व अन्य मौतों के बीच 2:1 का अनुपात रहा है। अर्थात अगर दो आतंकी मारे गए तो एक सुरक्षाकर्मी व नागरिक भी मारा गया। पहले यह अनुपात 3:2 का था। इतना जरूर था कि 5 अगस्त की कवायद के उपरांत कश्मीर में आतंकवाद का चेहरा भी बदल गया है। अब कश्मीर हाइब्रिड आतंकियों की फौज से जूझने को मजबूर है जो सुरक्षाबलों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रहे हैं।
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