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Written By सुरेश डुग्गर
Last Modified: शनिवार, 6 अक्टूबर 2018 (22:06 IST)

कश्मीर में नेकां कार्यकर्ताओं की हत्या के बाद चुनाव रुकवाने के लिए हमले तेज हुए

कश्मीर में नेकां कार्यकर्ताओं की हत्या के बाद चुनाव रुकवाने के लिए हमले तेज हुए - jammu and Kashmir NC workers elections
श्रीनगर। राज्य में निकाय चुनाव के पहले चरण के तहत 8 अक्टूबर को होने जा रहे मतदान से 3 दिन पहले शुक्रवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस के 2 कार्यकर्ताओं की हत्या का कश्मीर में असर नजर आने लगा है। इस हमले के कुछ ही देर बाद वादी के विभिन्न हिस्सों से कई और प्रत्याशियों ने चुनाव प्रक्रिया से अपना नाम वापस ले लिया। कई उम्मीदवार चुनाव लड़ने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने लगे हैं।
 
दरअसल, इन 2 हत्याओं के बाद हमलों और हत्याओं का सिलसिला तेज हो गया है। आतंकियों ने 2 उम्मीदवारों के घरों पर हमले किए हैं और मतदाताओं को डराने की खातिर एक अगवा व्यक्ति को मार डाला है। एक हफ्ते में 2 दर्जन प्रत्याशियों ने नाम वापस लिया है। नेकां के 2 कार्यकर्ताओं की हत्या के बाद उत्तरी कश्मीर में 2 अन्य प्रत्याशियों के घर पर हमला किया गया। हाजिन में कांग्रेस और बारामूला में भाजपा प्रत्याशी के घर पर हमले किए गए। उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा जिले के हाजिन में एक कांग्रेस प्रत्याशी के घर पर पेट्रोल बम से हमला किया गया।
 
बारामूला जिले के ओल्ड टाउन की भाजपा की महिला प्रत्याशी रुबीना के घर पर ग्रेनेड दागा गया। रुबीना ने फोन पर बताया कि उनके घर पर शुक्रवार रात करीब 8.30 बजे ग्रेनेड दागा गया लेकिन इसमें कोई नुकसान नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि यह उन्हें डराने की कोशिश है, लेकिन वे डरने वाली नहीं हैं।
 
पहले चरण के निकाय चुनाव से पहले श्रीनगर में हुए आतंकी हमले के बाद घाटी में कई प्रत्याशियों ने नाम वापस ले लिए। शुक्रवार को हुई इस घटना के बाद डल गेट वार्ड नंबर 4 से मुजम्मिल जॉन, बारामूला जिले के पट्टन से शबनम रफीक और ताबिया रशीद ने नाम वापस ले लिया।
 
मतदाताओं को डराने की खातिर आतंकियों ने एक अगवा व्यक्ति की भी हत्या कर दी है। आतंकियों द्वारा गत बुधवार को अगवा किए गए एक दुकानदार का गोलियों से छलनी शव शनिवार को सोपोर के हारवन इलाके में बरामद हुआ। मृतक की पहचान तुज्जर शरीफ सोपोर के रहने वाले तौसीफ अहमद पुत्र अफजल अहमद गनई के रूप में हुई है। वह यूनिसा कस्बे में कसाई की दुकान चलाता था। उसे गत बुधवार को स्वचालित हथियारों से लैस 3 से 4 आतंकियों ने उसकी दुकान से अगवा कर लिया था।
 
पुलिस ने उसी दिन से उसे आतंकियों की चंगुल से मुक्त कराने के लिए एक अभियान भी चला रखा था। उसके परिजनों ने भी सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर आतंकियों से उसे रिहा करने की अपील की थी। उसकी मां ने आतंकियों से कहा था कि अगर उसके बेटे ने कोई गलती की है तो वह उसके लिए माफी मांगती है, उसका बेटा दोबारा कोई गलती नहीं करेगा। लेकिन न पुलिस को आतंकियों का कोई सुराग मिला और न आतंकियों ने तौसीफ को रिहा किया।
 
अलबत्ता शनिवार को हारवन सोपोर के एक बाग में तौसीफ की गोलियों से छलनी लाश मिली।
स्थानीय लोगों ने बाग में शव को देखते ही पुलिस को सूचित कर दिया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को अपने कब्जे में लिया और आवश्यक कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करने व उसका पोस्टमॉर्टम कराने के बाद उसे उसके वारिसों के हवाले कर दिया।
 
याद रहे, आतंकी संगठनों ने चुनाव बहिष्कार का फरमान सुनाते हुए प्रत्याशियों को नाम वापस न लेने पर मरने के लिए तैयार रहने की चेतावनी दे रखी है। आतंकियों के डर से पहले ही कश्मीर में कई वार्डों में उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं। जिन्होंने नामांकन जमा कराया, उनमें से भी करीब 12 लोगों ने बीते एक सप्ताह के दौरान अपने नामांकन वापस ले लिए थे। अधिकारियों के मुताबिक, 2 दर्जन से अधिक उम्मीदवार मैदान से हट गए हैं।
 
हालांकि प्रशासन ने उम्मीदवारों की सुरक्षा यकीनी बनाने का पूरा प्रयास किया, लेकिन श्रीनगर में 2 नेकां कार्यकर्ताओं की हत्या के चंद मिनटों बाद श्रीनगर नगर निगम में डल गेट की रहने वाली मुजम्मिल जॉन ने चुनाव से हटने का ऐलान करते हुए आधिकारिक तौर पर अपना नामांकन वापस ले लिया। वे श्रीनगर नगर निगम के वार्ड 4 से बतौर निर्दलीय मैदान में थीं।
 
इसके अलावा श्रीनगर नगर निगम के लिए भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे मेहराजुदीन ने भी माफी मांगते हुए चुनाव प्रक्रिया से हटने का ऐलान किया है। श्रीनगर के वार्ड 73 से चुनाव लड़ रहीं निर्दलीय उम्मीदवार शहजादा बेगम भी चुनाव प्रक्रिया से पीछे हट गईं। इसके अलावा पट्टन में 2 और दक्षिण कश्मीर के आंचीडूरा से भी एक उम्मीदवार ने अपना नाम वापस ले लिया है।
 
गौरतलब है कि 74 वार्डों पर आधारित श्रीनगर नगर निगम में चुनाव प्रक्रिया 4 चरणों में 8 से 16 अक्टूबर तक चलेगी। अलगाववादियों ने इन चुनावों का बहिष्कार करने का आह्वान किया है। आतंकी संगठनों ने भी चुनाव बहिष्कार का समर्थन करते हुए लोगों से कहा कि यह चुनाव कश्मीर में जारी जिहाद के खिलाफ है। इनमें भाग लेने वाला इस्लाम और कश्मीर का दुश्मन है।
 
आतंकियों की धमकियों, अलगाववादियों के चुनाव बहिष्कार और नेशनल कांफ्रेंस व पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी जैसे प्रमुख राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव प्रक्रिया से हटने के बावजूद श्रीनगर नगर निगम में 216 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन जमा कराया है। अधिकांश सीटों पर त्रिकोणीय और बहुकोणीय मुकाबला है और सभी प्रत्याशी मतदाताओं को रिझाने के अपने प्रचार में जुटे हैं। हालांकि आतंकियों के खौफ से अब प्रत्याशी भी पीछे हटने को मजबूर हो रहे हैं।
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