मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में रामनवमी मनाई जाती है जो कि भगवान विष्णु के 7वें अवतार थे। प्रत्येक साल हिन्दू कैंलेडर के अनुसार चैत्र मास की नवमी तिथि को श्रीराम नवमी के रूप मनाया जाता है। चैत्र मास की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक नवरात्रि भी मनाई जाती है। इन दिनों कई लोग उपवास भी रखते हैं।
रामनवमी उत्सव
श्री रामनवमी हिन्दुओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है जो देश-दुनिया में सच्ची श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार वैष्णव समुदाय में विशेषतौर पर मनाया जाता है।
1.
आज के दिन भक्तगण रामायण का पाठ करते हैं।
आज के दिन भक्तगण रामायण का पाठ करते हैं।
2.
रामरक्षा स्त्रोत भी पढ़ते हैं।
रामरक्षा स्त्रोत भी पढ़ते हैं।
3.
कई जगह भजन-कीर्तन का भी आयोजन किया जाता है।
कई जगह भजन-कीर्तन का भी आयोजन किया जाता है।
4. भगवान राम की मूर्ति को फूल-माला से सजाते हैं और स्थापित करते हैं।
5.
भगवान राम की मूर्ति को पालने में झुलाते हैं।
भगवान राम की मूर्ति को पालने में झुलाते हैं।
राम नवमी की पूजा विधि
राम नवमी की पूजा विधि कुछ इस प्रकार है:
1.
सबसे पहले स्नान करके पवित्र होकर पूजा स्थल पर पूजन सामग्री के साथ बैठें।
सबसे पहले स्नान करके पवित्र होकर पूजा स्थल पर पूजन सामग्री के साथ बैठें।
2.
पूजा में तुलसी पत्ता और कमल का फूल अवश्य होना चाहिए।
पूजा में तुलसी पत्ता और कमल का फूल अवश्य होना चाहिए।
3. उसके बाद श्रीराम नवमी की पूजा षोडशोपचार करें।
4.
खीर और फल-मूल को प्रसाद के रूप में तैयार करें।
खीर और फल-मूल को प्रसाद के रूप में तैयार करें।
5.
पूजा के बाद घर की सबसे छोटी बालिका/महिला सभी लोगों के माथे पर तिलक लगाएं।
पूजा के बाद घर की सबसे छोटी बालिका/महिला सभी लोगों के माथे पर तिलक लगाएं।
पौराणिक मान्यता
श्री रामनवमी की कहानी लंकाधिराज रावण से शुरू होती है। रावण अपने राज्यकाल में बहुत अत्याचार करता था। उसके अत्याचार से पूरी जनता त्रस्त थी, देवतागण भी, क्योंकि रावण ने ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान ले लिया था। उसके अत्याचार से तंग होकर देवतागण भगवान विष्णु के पास गए और प्रार्थना करने लगे। फलस्वरूप प्रतापी राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या की कोख से भगवान विष्णु ने राम के रूप में रावण को परास्त करने हेतु जन्म लिया। तब से चैत्र की नवमी तिथि को रामनवमी के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई। नवमी के दिन ही स्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना शुरू की थी।
