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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 13 जनवरी 2025 (13:43 IST)

अखाड़े के नियम तोड़ने पर साधुओं को मिलती है ये कठोर सजा, सुनकर खड़े हो जाएंगे रोंगटे

अखाड़े के नियम तोड़ने पर साधुओं को मिलती है ये कठोर सजा, सुनकर खड़े हो जाएंगे रोंगटे - Mahakumbh 2025,
Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ में लाखों साधु संतों का जमावड़ा लगता है। ये साधु संत विभिन्न अखाड़ों से आते हैं और इन अखाड़ों में एक अनुशासित वातावरण बनाए रखने के लिए कई सख्त नियम होते हैं। खाड़ी में साधुओं की अपनी नियमावली और न्याय व्यवस्था होती है। नियमों को तोड़ने पर साधुओं को कड़ी सजा दी जाती है। नियमों को तोड़ने पर साधुओं को गोलालाठी से लेकर अन्य सजाएं दी जाती हैं। जानिए महाकुंभ के अखाड़ों में चलने वाली न्याय व्यवस्था के बारे में।

अखाड़े में अनुशासन बनाए रखने के लिए कोतवाल
महाकुंभ में बने किसी भी अखाड़े के शिविर में कोतवाल होते हैं। ये कोतवाल अखाड़े में अनुशासन बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होते हैं। उनके पास एक चांदी की मुठिया लगी एक छड़ी होती है, इसीलिए इन्हें छड़ीदार भी कहा जाता है।

गोलालाठी की सजा
अनुशासनहीनता या अखाड़े के नियम तोड़ने पर साधुओं को गोलालाठी की सजा दी जाती है। इसमें अनुशासनहीन साधु का हाथ-पैर बांधकर पिटाई की जाती है।

अन्य सजाएं
  • गंगा में 108 डुबकी: नियम तोड़ने वालों को कोतवाल गंगा में 108 डुबकी लगाने के लिए बोलते हैं।
  • गुरु कुटिया की सेवा: नियम तोड़ने वाले साधु को गुरु कुटिया की सेवा करनी पड़ती है।
  • रसोई की चाकरी: रसोई में काम करना भी एक तरह की सजा होती है।
  • मुर्गा बनना: साधु को मुर्गे की तरह घूमना होता है।
  • कपड़े उतारकर खड़े रहना: साधु को कपड़े उतारकर खुले आसमान के नीचे खड़ा रहना पड़ता है।

अखाड़े में जाजिम न्याय व्यवस्था
महाकुंभ क्षेत्र में जैसे ही अखाड़े की धर्म ध्वजा फहरती है, अखाड़े में जाजिम न्याय व्यवस्था लागू हो जाती है। अखाड़े की धर्म ध्वजा जिन चार तनियों पर टिकी होती है, उसे धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतीक माना जाता है। इन्हीं तनियों के नीचे जाजिम (दरी) बिछी होती है, इस पर बैठकर अखाड़े की न्याय व्यवस्था संचालित होती है इसलिए इसे जाजिम न्याय व्यवस्था कहते हैं।

कोतवाल का चयन
हर अखाड़े में दो से चार कोतवाल तैनात किए जाते हैं। इनका चयन महाकुंभ के दूसरे शाही स्नान के बाद किया जाता है। जिनका कार्यकाल अच्छा होता है, उन्हें सर्वसम्मति से थानापति या अखाड़े का महंत भी बनाया जाता है।

क्यों जरूरी है अनुशासन?
अखाड़े में अनुशासन बनाए रखना बहुत जरूरी है क्योंकि लाखों साधु संत एक साथ रहते हैं। अनुशासन के बिना अराजकता फैल सकती है।

प्रयागराज महाकुंभ में अखाड़ों में साधुओं के लिए कड़े नियम होते हैं। इन नियमों का पालन करना सभी साधुओं के लिए अनिवार्य होता है। इन नियमों को तोड़ने पर साधुओं को कड़ी सजा दी जाती है। यह अनुशासन बनाए रखने और अखाड़े के वातावरण को पवित्र रखने के लिए किया जाता है।

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