कुंभ मेले में हादसों का क्या है इतिहास, जानिए कब कब मची थी महाकुंभ में भगदड़ और कितने लोगों की गई जान
History of stampede on Mauni Amavasya in Maha Kumbh: कुंभ मेले के दौरान जब भी शाही स्नान का समय रहता है तब हर कोई स्नान करना चाहता है। ऐसे में कुंभ में देश और दुनिया से आने वाले लोगों की संख्या करोड़ों पहुंच जाती है। एक ही जगह पर करोड़ों लोगों के एकत्रित हो जाने से शासन और प्रशासन के लिए इंतजाम करना एक कठिन चुनौती भरा कार्य होता है। अफवाह के कारण कई बार भगदड़ मचती है तो कई बार किसी हादसे के कारण ऐसा होता है। आओ जानते हैं कुंभ में हुए हादसों का इतिहास।
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कुंभ 1954 का हादसा: प्रयाग में आयोजन 1954 के कुंभ मेले में भीड़ की भगदड़ में 800 से अधिक लोग मारे गए, और 2000 से अधिक लोग घायल हुए थे। विभिन्न स्रोतों के अनुसार त्रासदी के आंकड़े अलग-अलग हैं। यह घटना मौनी अमावस्या के मुख्य स्नान के समय हुई। उस वर्ष मेले में 4-5 मिलियन तीर्थयात्रियों ने भाग लिया था। विक्रम सेठ द्वारा 1993 में लिखे गए उपन्यास ए सूटेबल बॉय में 1954 के कुंभ मेले में हुई भगदड़ का संदर्भ है। उपन्यास में, इस घटना को "कुंभ मेला" के बजाय "पुल मेला" कहा गया है। यह घटना दो कारणों से हुई। पहला जवाहरलाल नेहरू सहित बड़ी संख्या में राजनेताओं की कुंभ मे उपस्थिति और दूसरा गंगा के द्वारा अपना मार्ग बदल लेने था और बंड (तटबंध) और शहर के करीब आ गई थी, जिससे अस्थायी कुंभ शिविर में पानी भरा गया था। दहशत में भी लोग इधर से उधर भागने लगे थे।
हरिद्वार कुंभ 1986 का हादसा: सन् 1986 के हरिद्वार महाकुंभ में हुई भगदड़ में करीब 200 लोग मारे गए थे। यह भगदड़ 14 अप्रैल, 1986 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्री एवं दो दर्जन से ज्यादा सांसदों के स्नान करने आ जाने के कारण हुई थी। इस दुर्घटना की जांच के लिए बनी श्री वासुदेव मुखर्जी रिपोर्ट में कहा गया था कि मुख्य स्नान पर्व पर अतिविशिष्ट लोगों को नहीं आना चाहिए। इससे पहले हरिद्वार में 1927 में बैरीकेडिंग टूटने से काफी बड़ी दुर्घटना हो गई थी।
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नासिक कुंभ 2003 में हादसा: सन् 2003 के नासिक सिंहस्थ कुंभ में अंतिम शाही स्नान के दौरान हुए हादसे में 39 श्रद्धालु मारे गए थे। 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। यह हादसा कुछ संतों द्वारा चांदी के सिक्के लुटाने के कारण हुआ था, जिसे लूटने के लिए श्रद्धालु एक-दूसरे पर टूट पड़े और भगदड़ में कई महिलाओं, बच्चों व बुजुर्गों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
हरिद्वार कुंभ 2010: 14 अप्रैल 2010 को हरिद्वार कुंभ में शाही स्नान के दौरान साधुओं और श्रद्धालुओं के बीच हुई कहासुनी के चलते अफवाह फैल गई जिसके चलते मची भगदड़ में 7 लोगों की मौत हो गई थी और 15 लोग घायल हो गए थे। डर के मारे लोग इधर-उधर भागने लगे थे।
प्रयाग कुंभ 2013 का हादसा: मौनी अमावस्या पर इलाहाबाद स्टेशन पर हुए हादसे में जहां तीन दर्जन के लगभग लोगों की मौत हो गई थी, वही कई दर्जन श्रद्धालुओं को चोटें आईं थी। मौत का आंकड़ा उस दौरान 42 बताया गया था, जिसमें 29 महिलाएं, 12 पुरुष और 1 आठ साल की बच्ची शामिल थी। उन दौरान भी मौनी अमावस्या पर उम्मीद से ज्यादा श्रद्धालुओं के संगम पर पहुंचने से मेला प्रशासन व रेलवे प्रशासन की व्यवस्था धरी रह गई थी और तीन दर्जन से ज्यादा श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर एक फुटब्रिज पर रेलिंग गिरने के बाद भगदड़ मची थी।
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