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सोम प्रदोष का क्या है महत्व, जानिए शिव पूजा के सबसे शुभ मुहूर्त, कथा, मंत्र और उपाय

सोम प्रदोष का क्या है महत्व, जानिए शिव पूजा के सबसे शुभ मुहूर्त, कथा, मंत्र और उपाय - Som Pradosh Vrat 21 November
हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) का बहुत महत्व है। यह व्रत प्रतिमाह की कृष्ण और शुक्ल दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि के दिन किया जाता है। त्रयोदशी तिथि या प्रदोष व्रत भगवान शिव जी के पूजन का खास दिन है। वर्ष 2022 में प्रदोष व्रत 21 नवंबर 2022, सोमवार को पड़ रहा है। अत: इस दिन सायंकाल के समय शिव पूजन किया जाता है, इसलिए इसे प्रदोष व्रत कहा जाता है। 
 
आइए जानें यहां प्रदोष व्रत की खास जानकारी... 
 
सोम प्रदोष व्रत का महत्व- धार्मिक ग्रंथों में प्रदोष व्रत की बहुत महिमा बताई गई है। इस दिन सच्चे मन से प्रदोष काल में भगवान शिव जी की पूजा करने से समस्त कष्टों से मुक्ति तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। अत: इस दिन भोलेनाथ जी को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत पूरे मन से करना चाहिए।
 
धार्मिक मान्यतानुसार एक प्रदोष व्रत करने का फल दो गायों का दान करने के बराबर मिलता है। प्रदोष में बिना कुछ खाए ही व्रत रखने का विधान है। ऐसा करना संभव न हो तो एक बार फल खाकर उपवास कर सकते हैं। सोम प्रदोष व्रत रखने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है तथा चंद्र ग्रह के दोष दूर होते है। जिन जातकों के कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो, उन्हें सोम प्रदोष व्रत अवश्य ही करना चाहिए। 
 
ज्ञात हो कि प्रदोष व्रत सर्व सुखों को देने वाला माना गया है। अत: मार्गशीर्ष माह में इसका महत्व अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि मार्गशीर्ष माह भगवान श्री कृष्ण का महीना माना जाता है। इस दिन व्रतधारी को सुबह स्नान करने के बाद शिव जी की पूजा करनी चाहिए। पूजन के समय भगवान शिव, माता पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगा जल से स्नान कराकर बिल्व पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं। त्रयोदशी के दिन सायंकाल यानी प्रदोष काल में भी पुन: स्नान करके सूर्यास्त से 3 घड़ी पूर्व शिव जी का पूजन करना चाहिए। फिर शिव जी को घी और शकर मिले मिष्ठान्न अथवा मिठाई का भोग लगाएं। 8 दीपक 8 दिशाओं में जलाएं। तत्पश्चात शिव जी की आरती करें, रात्रि जागरण करें। इस तरह व्रत करने वालों की हर इच्छा पूरी हो सकती है।
 
सोम प्रदोष व्रत के शुभ मुहूर्त-Pradosh 2022 date n puja time
 
21 नवंबर 2022, सोमवार
मार्गशीर्ष कृष्ण त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ- 21 नवंबर को 10.07 ए एम पर 
समापन- 22 नवंबर 2022 को 08.49 ए एम मिनट पर। 
सोम प्रदोष व्रत पूजन का शुभ समय- 05.25 पी एम से 08.06 पी एम तक।
त्रयोदशी पूजन की कुल अवधि : 02 घंटे 41 मिनट्स। 
 
दिन का चौघड़िया
अमृत- 06.48 ए एम से 08.08 ए एम,
शुभ- 09.28 ए एम से 10.47 ए एम,
चर- 01.26 पी एम से 02.46 पी एम,
लाभ- 02.46 पी एम से 04.06 पी एम,
अमृत- 04.06 पी एम से 05.25 पी एम।
 
रात्रि का चौघड़िया
लाभ- 22 नवंबर, 10.27 पी एम से 12.07 ए एम, 
शुभ- 22 नवंबर, 01.48 ए एम से 03.28 ए एम,
अमृत- 22 नवंबर, 03.28 ए एम से 05.09 ए एम,
चर- 22 नवंबर, 05.09 ए एम से 06.49 ए एम।
 
सोम प्रदोष कथा-Som Pradosh Katha
 
सोम प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का स्वर्गवास हो गया था। उसका अब कोई आश्रयदाता नहीं था इसलिए प्रात: होते ही वह अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी। भिक्षाटन से ही वह स्वयं व पुत्र का पेट पालती थी। एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो उसे एक लड़का घायल अवस्था में कराहता हुआ मिला। ब्राह्मणी दयावश उसे अपने घर ले आई। वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था। 
 
शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को बंदी बना लिया था और राज्य पर नियंत्रण कर लिया था इसलिए वह मारा-मारा फिर रहा था। राजकुमार ब्राह्मण-पुत्र के साथ ब्राह्मणी के घर रहने लगा। एक दिन अंशुमति नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गई।
 
अगले दिन अंशुमति अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने लाई। उन्हें भी राजकुमार भा गया। कुछ दिनों बाद अंशुमति के माता-पिता को शंकर भगवान ने स्वप्न में आदेश दिया कि राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दिया जाए। उन्होंने वैसा ही किया। ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करती थी। उसके व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और पिता के राज्य को पुन: प्राप्त कर आनंदपूर्वक रहने लगा।
 
राजकुमार ने ब्राह्मण-पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया। ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के महात्म्य से जिस तरह राजकुमार और ब्राह्मण-पुत्र के का जीवन खुशहाल हो गया वैसे ही सभी पर शिव जी की कृपा प्राप्त होती है। अत: सोम प्रदोष व्रत के दिन यह कथा अवश्य पढ़नी अथवा सुननी चाहिए। 
 
मंत्र-Mantra 
 
- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।।
- ॐ ह्रीं नमः शिवाय ह्रीं ॐ।
- ॐ ऐं ह्रीं शिव गौरीमय ह्रीं ऐं ऊं।
- ॐ शिवाय नम:।
- ॐ सों सोमाय नम:। 
- ॐ नम: शिवाय।
 
खास उपाय- Som Pardosh ke Upay 
 
1.- सोम प्रदोष व्रत के दिन सबसे पहले भगवान श्री गणेश तत्पश्चात शिव जी का पूजन करें, इससे संतान पक्ष को लाभ तथा उसके जीवन में चल रही परेशानियां दूर होंगी।
 
2.- सोम प्रदोष व्रत के दिन सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले दोनों समय शिव जी का विधिपूर्वक पूजन करें, जाने-अनजाने हुए पापों का प्रायश्चित होगा। 
 
3.- आज के दिन शिव जी को जौ अर्पित करें, संतान सुख प्राप्त होगा। 
 
4.- आज पूजन के शुभ योग में गाय के दूध से शिवाभिषेक करके शिव मंत्रों का जाप करें, घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
 
5.- सोम प्रदोष व्रत पूरे मनपूर्वक करें, मनोवांछित फल प्राप्त होता है।
 
6.- सोम प्रदोष पर शिव जी को बेला तथा हरसिंगार के पुष्‍प अर्पित करें, सुशील, सुंदर पत्नी मिलेगी तथा सुख-संपत्ति भी बढ़ेगी। 
 
7.- सोम प्रदोष के दिन शिव जी को अक्षत चढ़ाए, शुक्र मजबूत होकर धन, सुख-ऐश्‍वर्य की प्राप्ति होगी।  
 
8.- प्रदोष के दिन गाय के शुद्ध घी से शिवाभिषेक करें, सेहत में सुधार होगा। 
 
9.- प्रदोष पर काले तिलयुक्त जल शिव जी पर चढ़ाएं तथा काले तिल का दान करें, पितृ दोष दूर होगा, उनके आत्मा को शांति मिलेगी।

 
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