शनिवार, 27 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. अन्य त्योहार
  4. Skanda Shashti Information
Written By

मासिक स्कन्द षष्ठी 7 जनवरी को, भगवान कार्तिकेय के पूजन से होगा रोग, दुःख और दरिद्रता का अंत

मासिक स्कन्द षष्ठी 7 जनवरी को, भगवान कार्तिकेय के पूजन से होगा रोग, दुःख और दरिद्रता का अंत - Skanda Shashti Information
वर्ष 2022 में पौष मास के शुक्ल पक्ष में इस वर्ष का पहला स्कन्द षष्ठी (skand sasthi 2022) मनाया जा रहा है। इस बार यह तिथि 7 जनवरी, शुक्रवार को पड़ रही है। मान्यतानुसार यह व्रत मुख्य रूप से दक्षिण भारत के राज्यों में मनाया जाता है, तथा यह वहां अधिक लोकप्रिय व्रत है।
 
ज्योतिष के अनुसार षष्ठी तिथि के स्वामी भगवान कार्तिकेय है और दक्षिण दिशा में उनका निवास स्थान है। अत: भगवान कार्तिकेय (Lord kartikeya) को स्कन्द षष्ठी अधिक प्रिय होने से इस दिन व्रत अवश्य करना चाहिए। कार्तिकेय षष्ठी तिथि और मंगल ग्रह के स्वामी हैं। इस दिन ब्राह्मण भोज तथा स्नान के बाद कंबल, गरम कपड़े आदि दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
 
महत्व- हिन्दू धर्म के अनुसार हर महीने की शुक्ल पक्ष षष्ठी के दिन स्कन्द षष्ठी व्रत रखा जाता है। यह व्रत भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। शिव पुत्र कार्तिकेय को चंपा के फूल अधिक पसंद होने के कारण ही इस दिन को स्कन्द षष्‍ठी के अलावा चंपा षष्ठी (Champa Sashthi) के नाम से भी जाना जाता है। इनका वाहन मोर है।
 
इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के बड़े पुत्र कार्तिकेय kartikeya की विधि-विधानपूर्वक पूजा की जाती है। माना जाता है कि कार्तिकेय के पूजन से रोग, दुख-दरिद्रता का अंत होता है। 
 
कार्तिकेय को ही स्कन्ददेव, मुरुगन, सुब्रह्मन्य आदि नामों से भी जाना जाता है। स्कन्द या चंपा षष्ठी व्रत दक्षिण भारत, कर्नाटक, महाराष्ट्र आदि में प्रमुखता से मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिकेय अपने माता-पिता और छोटे भाई श्री गणेश से नाराज होकर कैलाश पर्वत छोड़कर मल्लिकार्जुन, जो कि शिव जी का ज्योतिर्लिंग है, वहां आ गए थे और कार्तिकेय ने स्कन्द षष्ठी को ही दैत्य तारकासुर का वध किया था तथा षष्ठी तिथि को ही कार्तिकेय देवताओं की सेना के सेनापति बने थे।
 
ज्ञात हो कि स्कन्द पुराण कार्तिकेय को ही समर्पित है। स्कन्द पुराण में ऋषि विश्वामित्र द्वारा रचित कार्तिकेय 108 नामों का भी उल्लेख हैं। षष्‍ठी तिथि पर भगवान कार्तिकेय के दर्शन करना बहुत शुभ माना जाता है। भगवान कार्तिकेय की आराधना और पूजन करने वालों भक्तों के जीवन से दुख-दरिद्रता तथा रोगों का नाश होकर मनुष्य निरोग रहता है तथा अच्छा जीवन जीता है।

स्कन्द षष्ठी (Skanda Sashti) के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा से जहां जीवन में आने वाली हर तरह की बाधाएं दूर होती हैं, वहीं व्रतधारी को सुख, वैभव तथा उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। अगर आपकी संतान को कोई कष्ट हैं तो यह व्रत संतान के कष्टों को कम करने और उसके सुख की कामना से भी किया जाता है। 

 
ये भी पढ़ें
घर के वास्तु दोष को बिना तोड़-फोड़ के कैसे सुधारें : 10 Vastu Ideas