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Last Modified: रविवार, 2 अप्रैल 2023 (16:07 IST)

बेमौसम बारिश से तबाह हुआ किसान, 3 राज्‍यों में गेहूं की फसल हुई प्रभावित

बेमौसम बारिश से तबाह हुआ किसान, 3 राज्‍यों में गेहूं की फसल हुई प्रभावित - Wheat crop affected in 3 states due to unseasonal rains
नई दिल्ली/चंडीगढ़/भोपाल/जयपुर। बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवा ने 3 राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में 5.23 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में गेहूं की फसल को प्रभावित किया है। इससे किसानों के लिए उपज के भारी नुकसान और कटाई का संकट पैदा हो गया है।पंजाब और हरियाणा में गेहूं की फसल को हुए नुकसान का आकलन किया जा रहा है।

भारत गेहूं के प्रमुख उत्पादकों में से एक है। यह देश की एक बड़ी आबादी के लिए प्रमुख भोजन है। भू-राजनीतिक अनिश्चितता के बीच ऊंची मुद्रास्फीति और खाद्य सुरक्षा की चिंता पहले से है। ऐसे में गेहूं की फसल के नुकसान से स्थिति और खराब हो सकती है।

अधिकारियों के अनुसार, खराब मौसम के कारण तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में लगभग 5.23 लाख हेक्टेयर गेहूं की फसल खराब होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा में गेहूं की फसल को हुए नुकसान का आकलन किया जा रहा है।

इस साल गेहूं का रकबा करीब 34 लाख हेक्टेयर है। अधिकारियों ने कहा कि सरकार चालू फसल वर्ष (जुलाई, 2022-जून 23) में रिकॉर्ड 11.22 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगा रही है। केंद्रीय कृषि सचिव मनोज आहूजा ने कहा कि केंद्र पिछले दो से तीन दिन में हुई बेमौसम बरसात के कारण गेहूं और अन्य रबी फसलों को हुए नुकसान की सोमवार को राज्य सरकारों के साथ समीक्षा करेगा।

गेहूं एक प्रमुख रबी (सर्दियों) फसल है। बेमौसम बारिश ऐसे समय में आई है जब फसल कटाई के लिए लगभग तैयार थी। मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकारी खरीद भी शुरू हो गई है।पिछले दो सप्ताह से प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ के कारण आंधी, ओलावृष्टि और तेज हवा के साथ बेमौसम बारिश हुई है। इसके अभी कुछ और दिन तक जारी रहने के आसार हैं।

पंजाब के मोहाली जिले के बदरपुर गांव के किसान भूपेंद्र सिंह ने कहा, खराब मौसम की वजह से गेहूं की फसल को भारी नुकसान हुआ है। गेहूं की उपज औसतन 20 क्विंटल प्रति एकड़ रहती है। लेकिन इस बार यह घटकर 10-11 क्विंटल रह जाएगी। बदरपुर में 34 एकड़ में गेहूं उगाने वाले भूपेंद्र सिंह ने कहा कि उनके खेतों में कुछ जगह पर तेज हवा के कारण फसल बर्बाद हो गई है।

उन्होंने कहा कि बेमौसम बारिश और तेज हवाओं के कारण गेहूं की फसल में औसतन 50 प्रतिशत उपज का नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि अगर बारिश अधिक दिन तक जारी रही, तो फसल पूरी तरह से ‘डूब’ जाएगी। मध्य प्रदेश के एक किसान अजय सिंह ने कहा, अधिक नमी के कारण हम गेहूं की फसल में फफूंद रोग देख रहे हैं। अनाज की गुणवत्ता प्रभावित होगी। उनके पास खजुराहो में दो एकड़ जमीन है।

मध्य प्रदेश में गेहूं की खेती का कुल क्षेत्रफल 95 लाख हेक्टेयर है। राज्य के कृषि विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि इसमें से ‘लगभग एक लाख हेक्टेयर’ हाल की बारिश और ओलावृष्टि से प्रभावित हुआ है। अधिकारी ने कहा, फसल का नुकसान बहुत अधिक नहीं है और प्रभावित क्षेत्रों में भी फसल की चमक थोड़ी प्रभावित हुई है।

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि राजस्थान में भी 29.65 लाख हेक्टेयर के कुल गेहूं क्षेत्रफल में से लगभग 3.88 लाख हेक्टेयर गेहूं की फसल बेमौसम बारिश के कारण प्रभावित हुई है। राजस्थान में गेहूं के अलावा सरसों, चने, जौ और अन्य सब्जियों की फसलें प्रभावित हुई हैं। सूत्रों ने कहा कि राज्य में बारिश के कारण करीब 1.54 लाख हेक्टेयर और 1.29 लाख हेक्टेयर में क्रमश: सरसों और चने की फसल को नुकसान पहुंचा है।

उत्तर प्रदेश के राहत आयुक्त कार्यालय द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, राज्य में हाल में हुई बेमौसम बारिश से 35000 हेक्टेयर से अधिक गेहूं की फसल बर्बाद हो गई है। सबसे ज्यादा नुकसान राज्य के नौ जिलों आगरा, बरेली, चंदौली, हमीरपुर, झांसी, ललितपुर, प्रयागराज, उन्नाव और वाराणसी में हुआ है।

राहत आयुक्त प्रभु एन सिंह ने कहा, करीब 1.25 लाख गेहूं किसान बारिश से प्रभावित हुए हैं। नुकसान के आंकड़े दर्ज किए जा रहे हैं। अब तक इनमें से 43,142 किसानों की जानकारी हमारी प्रणाली में आ चुकी है। उन्होंने कहा कि आंकड़े जुटने के बाद प्रभावित किसानों की मदद की जाएगी।

इस बीच, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने संबंधित अधिकारियों को फसल नुकसान का आकलन करने के लिए विशेष गिरदावरी का निर्देश दिया है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के वैज्ञानिक राजबीर यादव के अनुसार, ओलावृष्टि प्रभावित क्षेत्रों में गेहूं की फसल का नुकसान निश्चित है। नुकसान की सीमा का पता तभी लगाया जा सकता है, जब किसान अपनी उपज मंडियों में पहुंचाएंगे।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)
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