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Last Modified: मंगलवार, 11 फ़रवरी 2025 (16:02 IST)

क्या होते हैं ‘म्यूल’ अकाउंट, जिनकी पहचान के लिए AI उपयोग की योजना बना रही है केन्द्र सरकार

क्या होते हैं ‘म्यूल’ अकाउंट, जिनकी पहचान के लिए AI उपयोग की योजना बना रही है केन्द्र सरकार - What are mule accounts, for which central government is planning to use AI to identify them
Identification of mule accounts: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि सरकार कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का इस्तेमाल कर उन ‘म्यूल’ खातों की पहचान करने की योजना बना रही है, जिनमें साइबर जालसाज ठगी की रकम जमा करते हैं। शाह ने सोमवार को ‘साइबर सुरक्षा और साइबर अपराध’ विषय पर गृह मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह भी कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से सरकार की साइबर अपराध निगरानी और इसका पता लगाने वाली शाखा, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) की सिफारिशों के आधार पर 805 ऐप एवं 3,266 वेबसाइट लिंक को ‘ब्लॉक’ कर दिया गया है।
 
19 लाख से अधिक खाते पकड़े गए : उन्होंने कहा कि इसके अलावा 399 बैंक और वित्तीय मध्यस्थ इसमें शामिल हैं, 6 लाख से अधिक संदिग्ध डाटा प्वाइंट साझा किए गए हैं, 19 लाख से अधिक ‘म्यूल’ खातों को पकड़ा गया है और 2,038 करोड़ रुपए के संदिग्ध लेन-देन को रोका गया है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि शाह ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और सभी बैंकों के समन्वय में ‘म्यूल’ खातों की पहचान के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग करने के प्रयास जारी हैं, ताकि उनका पता लगाने के लिए एक प्रणाली स्थापित की जा सके।
 
गृह मंत्री ने कहा कि सरकार ये सुनिश्चित करेगी कि ये ‘म्यूल’ खाते चालू होने से पहले ही बंद कर दिए जाएं। ‘म्यूल’ खाता वह बैंक खाता होता है, जिसका उपयोग धन शोधन या अवैध गतिविधियों से हासिल धन के लेन-देन के लिए किया जाता है। उन्होंने कहा कि ‘आई4सी’ पोर्टल पर कुल 1,43,000 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं, जिसका उपयोग 19 करोड़ से अधिक लोगों ने किया है।
 
1930 हेल्पलाइन : शाह ने कहा कि वित्तीय साइबर धोखाधड़ी के मद्देनजर, ‘1930’ हेल्पलाइन एक ही जगह पर सभी समाधान प्रदान करती है, जिसमें कार्ड ब्लॉक करने जैसी विभिन्न सेवाएं प्रदान की जाती हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि लोगों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्र ‘रोको-सोचो-कार्रवाई करो’ के बारे में जागरूक किया जाए, ताकि वे साइबर अपराध के खिलाफ अधिक सतर्क रहें।
 
गृहमंत्री ने कहा कि हाल के वर्षों में भारत में डिजिटल बुनियादी ढांचे का विस्तार हुआ है, जिसके कारण स्वाभाविक रूप से साइबर हमलों की संख्या में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि अलग नजरिए से देखें तो साइबरस्पेस ‘सॉफ्टवेयर’, ‘सेवाओं’ और ‘यूजर’ का एक जटिल नेटवर्क बनाता है। उन्होंने कहा कि जब तक हम सॉफ्टवेयर, सेवाओं और ‘यूजर’ के माध्यम से साइबर धोखाधड़ी को नियंत्रित करने पर विचार नहीं करते, तब तक साइबरस्पेस के मुद्दों को हल करना असंभव होगा।
 
साइबर अपराधों ने भौगोलिक सीमाओं को मिटाया : शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में गृह मंत्रालय ने भारत को साइबर-सुरक्षित राष्ट्र बनाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि साइबर अपराध ने सभी भौगोलिक सीमाओं को मिटा दिया है और इसे ‘सीमाहीन’ अपराध कहा है, क्योंकि इसकी कोई सीमा या तय स्वरूप नहीं है। गृहमंत्री ने कहा कि भारत ने पिछले दशक में ‘डिजिटल क्रांति’ देखी है और इस डिजिटल क्रांति के आकार एवं पैमाने को समझे बिना, ‘हम साइबर डोमेन में चुनौतियों का सामना नहीं कर सकते’। उन्होंने कहा कि आज देश के 95 प्रतिशत गांव डिजिटल रूप से जुड़े हुए हैं, जबकि एक लाख ग्राम पंचायतें वाई-फाई हॉटस्पॉट से लैस हैं।
 
क्या होते हैं म्यूल अकाउंट : म्यूल अकाउंट ऐसे बैंक अकाउंट होते हैं, जिनका इस्तेमाल साइबर जालसाज अपराध से मिले पैसे को ठिकाने लगाने के लिए करते हैं। ये अकाउंट उनके खुद के नहीं होते। दरअसल, यदि वे अपने खुद के अकाउंट का इस्तेमाल करते हैं, तो केवायसी (KYC) नियमों की वजह से उन्हें पकड़ना आसान हो जाता है। इससे बचने के लिए साइबर ठग किसी अन्य व्यक्ति के बैंक अकाउंट का इस्तेमाल करते हैं। 
 
इनके खाते का इस्तेमाल मनी म्यूल की तरह होता है। मनी म्यूल वह व्यक्ति होता है जो धोखाधड़ी के शिकार लोगों से प्राप्त धन को प्राप्त करता है और उसे आगे बढ़ाता है। कुछ मनी म्यूल जानते हैं कि वे आपराधिक गतिविधि में मदद कर रहे हैं, जबकि अन्य इस बात से अनजान भी होते हैं कि वह ठगों की मदद कर रहे हैं। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala