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Last Updated : शुक्रवार, 11 जुलाई 2025 (14:21 IST)

दृष्टि IAS वाले विकास दिव्यकीर्ति बुरे फंसे, जज ने लगाई फटकार, क्‍या है IAS vs Judge वीडियो वाला कनेक्‍शन?

Vikas Divyakirti of Drishti IAS got into trouble
दृष्टि आईएएस (Drishti IAS) के संस्थापक विकास दिव्यकीर्ति अक्‍सर चर्चा में रहते हैं और विवादों में भी। इस बार फिर विवादों में है। इस बार जज साहेब ने मारसाब को जमकर फटकार लगाई है। दरअसल, एक मामले में दृष्टि आईएएस (Drishti IAS) के संस्थापक विकास दिव्यकीर्ति की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। 'IAS vs Judge' विषय पर बनाए गए उनके एक वीडियो को लेकर अजमेर कोर्ट ने संज्ञान लिया है। कोर्ट ने उन पर न्यायपालिका के अपमान का आरोप लगाते हुए कड़ी टिप्पणी की है और उन्हें 22 जुलाई को अजमेर कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है।

क्या है पूरा मामला : विकास दिव्यकीर्ति ने एक वीडियो बनाया था जिसमें उन्होंने आईएएस (IAS) और जज (Judge) के बीच एक तुलनात्मक बातचीत का चित्रण किया था। यह वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था और इस पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं भी सामने आई थीं।

वीडियो में दिव्यकीर्ति ने क्या कहा था : अपने वीडियो में, विकास दिव्यकीर्ति एक काल्पनिक संवाद दर्शाते हैं जहां वे एक IAS अधिकारी और एक जज के बीच की शक्ति और सामाजिक स्थिति पर टिप्पणी करते हैं। इस दौरान, उनकी कुछ टिप्पणियों को न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक और व्यंग्यात्मक माना गया है, जिसके कारण कोर्ट ने इस मामले का संज्ञान लिया है।

कोर्ट ने क्या कहा : इस मामले में अजमेर कोर्ट ने अपने आदेश में बेहद सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा है कि "प्रथम दृष्टया इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि दिव्यकीर्ति ने तुच्छ प्रसिद्धि पाने के लिए दुर्भावनापूर्ण इरादे से न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक और व्यंग्यात्मक भाषा का इस्तेमाल किया है।" कोर्ट की यह टिप्पणी अत्यंत गंभीर है, क्योंकि यह सीधे तौर पर दिव्यकीर्ति के इरादों पर सवाल उठाती है और उनके द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा को आपत्तिजनक मानती है।

आगे क्या होगा : कोर्ट के आदेश के बाद, विकास दिव्यकीर्ति को 22 जुलाई को अजमेर कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होना होगा. इस मामले में आगे की कानूनी कार्यवाही शुरू होगी और कोर्ट यह तय करेगा कि दिव्यकीर्ति के खिलाफ अवमानना (Contempt) की कार्रवाई की जाए या नहीं। यह घटना शिक्षाविदों और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है कि सार्वजनिक मंचों पर न्यायपालिका के प्रति सम्मान बनाए रखना कितना आवश्यक है।
Edited By: Navin Rangiyal
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