कैफे कॉफी डे चीफ वीजी सिद्धार्थ, 26 साल में लाभ को 300 गुना बढ़ाया, भारत की कॉफी को दुनिया में दिलाई पहचान
मेंगलुरु (कर्नाटक)। कैफे कॉफी डे के फाउंडर और पूर्व विदेश मंत्री एसएम कृष्णा के दामाद वीजी सिद्धार्थ की लाश सुबह मेंगलुरु की नेत्रावती नदी में मिली। वे सोमवार से लापता थे। इसके बाद से ही नदी में सर्च अभियान चलाया जा रहा था। सिद्धार्थ का 27 जुलाई का पत्र सामने आया था। इसमें इक्विटी पार्टनर और कर्जदाताओं के दबाव का उल्लेख था। पिछले कुछ सालों से सिद्धार्थ कॉफी बिजनेस समेत अन्य कारोबारों में नकदी संकट से जूझ रहे थे। 2 साल पहले उनके ठिकानों पर आयकर विभाग के छापे भी पड़े थे।
60 वर्षीय सिद्धार्थ ने मेंगलुरु जाते समय नेत्रावती के पुल पर कार रुकवाई और ड्राइवर को कहा कि वे वॉक पर जा रहे हैं। जब 2 घंटे तक लौटे नहीं तो ड्राइवर ने पुलिस को सूचना दी। इसके बाद से ही उनके आत्महत्या करने की आशंका जताई जा रही थी।
खबरों के अनुसार कॉफी-डे ग्लोबल की होल्डिंग फर्म कॉफी-डे एंटरप्राइजेज पर इस साल मार्च तक 6,550 करोड़ रुपए का कर्ज था। यह रिपोर्ट भी है कि माइंडट्री में सिद्धार्थ द्वारा अपनी हिस्सेदारी बेचने के बाद कर्ज काफी कम हो गया था। सिद्धार्थ ने पिछले दिनों आईटी कंपनी माइंडट्री में अपनी पूरी 20.4 प्रतिशत हिस्सेदारी 3,000 करोड़ रुपए में लार्सन एंड टूब्रो को बेच दी थी।
इस साल मार्च तक देश के 200 शहरों में कैफे कॉफी डे (सीसीडी) के 1,752 कैफे थे। पहला कैफे 1996 में बेंगलुरु में ब्रिगेड रोड पर खोला था। भारत के बाहर पहला कैफे 2005 में ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में खोला गया था। ऑस्ट्रिया, चेक रिपब्लिक और मलेशिया में भी कंपनी का बिजनेस है। सीसीडी हर साल 28 हजार टन कॉफी एक्सपोर्ट करती है। 2 हजार टन देश में बेचती है। देशभर में कंपनी में करीब 30 हजार कर्मचारी हैं। सिद्धार्थ ने सीसीडी के अलावा हॉस्पिटेलिटी चेन भी शुरू की थी। इसके तहत 7-स्टार रिसॉर्ट का संचालन किया जाता है।
कॉफी के दिग्गजों से ली टक्कर : कर्नाटक में मुलयनगिरी पर्वत श्रृंखला की तलहटी में बसे चिकमंगलूर की पहचान जायकेदार कॉफी के लिए है। कहा जाता है मशहूर सूफी संत बाबा बुदन यमन से कॉफी के 7 बीज लेकर आए थे और उनमें से एक चिकमंगलूर में फला-फूला। 'कॉफी लैंड' चिकमंगलुर की कॉफी को नए प्रयोगों के साथ बतौर एक ब्रांड स्थापित करने का श्रेय वीजी सिद्धार्थ को जाता है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एमएस कृष्णा के दामाद वीजी सिद्धार्थ ने 2 दशक की मेहनत के बाद भारत को दुनिया के मशहूर कॉफी दिग्गजों से टक्कर लेने में सक्षम बना दिया।
20 ठिकानों पर मारे थे छापे : इंकम टैक्स विभाग ने 2017 में सिद्धार्थ के 20 ठिकानों पर छापेमारी की थी। तब से परेशानियां और बढ़ती गईं। यह सिलसिला इस साल भी जारी रहा। आयकर विभाग ने बकाया टैक्स की मांग करते हुए उनके शेयर अटैच कर दिए थे।
सिद्धार्थ का जन्म कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले में हुआ था। परिवार 140 साल से कॉफी प्लांटेशन से जुड़ा हुआ है। 1993 में सिद्धार्थ ने कॉफी-डे ग्लोबल (अमलगेमेटेड बीन कॉफी ट्रेडिंग कंपनी) की शुरुआत की थी। सिर्फ 6 करोड़ रुपए था। वित्त वर्ष 2017-18 में कैफे कॉफी-डे ग्लोबल का रेवेन्यू 1,777 करोड़ रुपए और 2018-19 में 1,814 करोड़ रुपए पहुंच गया।
चिट्ठी में किया था प्रताड़ना का जिक्र : लापता होने से पहले पुलिस को सिद्धार्थ की एक चिट्ठी भी मिली थी। इसमें उन्होंने लिखा था कि मैं उनसे माफी मांगता हूं, जो मुझ पर विश्वास करते हैं। मैंने 37 साल मेहनत की। लेकिन फायदेमंद बिजनेस मॉडल नहीं बना सका। मुझे इंकम टैक्स के पूर्व डीजी ने प्रताड़ित किया।