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Last Updated : गुरुवार, 27 फ़रवरी 2025 (14:36 IST)

पीथमपुर में ही नष्ट होगा भोपाल का जहरीला कचरा, सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप से इनकार

supreme court
Union Carbide waste material : सुप्रीम कोर्ट ने 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले अपशिष्ट को मध्य प्रदेश के धार जिले के पीथमपुर क्षेत्र में स्थानांतरित कर उसका निपटान करने के मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से गुरुवार को इनकार कर दिया।
 
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ए जी मसीह की पीठ ने यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के संयंत्र से निकले अपशिष्ट के निपटान के गुरुवार को होने वाले परीक्षण पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया।
 
पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई), राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के विशेषज्ञों ने मुद्दों पर अपने विचार दिए हैं, जिन पर उच्च न्यायालय के साथ-साथ विशेषज्ञ पैनल ने भी गौर किया है। शीर्ष अदालत ने कचरे के निपटान का विरोध करने वाली नागरिक संस्थाओं के सदस्यों सहित पीड़ित पक्षों से इस मामले पर सुनवाई कर रहे उच्च न्यायालय के पास जाने को कहा।
 
सुप्रीम कोर्ट ने 25 फरवरी को प्राधिकारियों से कहा था कि वे उसे मध्य प्रदेश के धार जिले के पीथमपुर क्षेत्र में 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के खतरनाक अपशिष्ट के निपटान के संबंध में बरती गई सावधानियों के बारे में अवगत कराएं।
 
अब बंद हो चुकी यूनियन कार्बाइड फैक्टरी के लगभग 377 टन खतरनाक कचरे को भोपाल से 250 किलोमीटर और इंदौर से लगभग 30 किलोमीटर दूर धार जिले के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में एक संयंत्र में निपटान के लिए ले जाया गया था।
 
यूनियन कार्बाइड फैक्टरी से दो-तीन दिसंबर, 1984 की रात को अत्यधिक जहरीली गैस ‘मिथाइल आइसोसाइनेट’ (एमआईसी) का रिसाव हुआ था, जिसके कारण 5,479 लोग मारे गए थे और 5 लाख से अधिक लोग अपंग हो गए थे। इसे दुनिया की सबसे भयावह औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है।
edited by : Nrapendra Gupta