मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Sundar lal bahuguna dies due to corona
Last Modified: शुक्रवार, 21 मई 2021 (15:39 IST)

पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा का कोरोना से निधन, चिपको आंदोलन में निभाई थी बड़ी भूमिका

पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा का कोरोना से निधन, चिपको आंदोलन में निभाई थी बड़ी भूमिका - Sundar lal bahuguna dies due to corona
ऋषिकेश। पर्यावरणविद स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व पद्मभूषण सुंदरलाल बहुगुणा का ऋषिकेश एम्स में निधन हो गया है। वे 94 वर्ष के थे तथा कोरोना संक्रमण की चपेट में आने पर उन्हें बीती 8 मई को एम्स में भर्ती किया गया था। आज शुक्रवार को उन्होंने अस्पताल में अंतिम सांस ली।

एम्स के जनसंपर्क अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल ने जानकारी दी कि उनको आईसीयू में लाइफ सपोर्ट में रखा गया था। उनके रक्त में ऑक्सीजन का लेवल कम होने लगा था। चिकित्सा विशेषज्ञ उनकी निरंतर स्वास्थ्य संबंधी निगरानी कर रहे थे। शुक्रवार की दोपहर करीब 12 बजे पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा ने अंतिम सांस ली।
शुक्रवार को ही पूरे राजकीय सम्मान के साथ पर्यावरणविद बहुगुणा का अंतिम संस्कार ऋषिकेश गंगा तट पर करने की तैयारी है।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने पर्यावरणविद् बहुगुणा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त हुए इसे देश की अपूरणीय क्षति बताया है।1972 में चिपको आंदोलन को दिशा देने में बहुगुणा की अहम भूमिका थी। वे पारिस्थितिकी को सबसे बड़ी आर्थिकी मानते थे। यही वजह भी है कि वे उत्तराखंड में बिजली की जरूरत पूरी करने के लिए छोटी-छोटी परियोजनाओं के पक्षधर थे। इसलिए वे टिहरी बांध जैसी बड़ी परियोजनाओं के पक्षधर नहीं थे। इसे लेकर उन्होंने वृहद आंदोलन भी किया।

सुंदरलाल बहुगुणा का राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में बड़ा नाम था। 1972 में चिपको आंदोलन में उनकी सबसे बड़ी भूमिका रही थी। वन संरक्षण के लिए उन्होंने काफी कार्य किए थे।चिपको आंदोलन को पूरे विश्व में सराहा गया था। उत्तराखंड के ज्वलंत मुद्दों से उनका सरोकार रहता था। उत्तराखंड में बिजली की जरूरत पूरी करने के लिए वे बड़े बांधों के बजाए छोटी-छोटी परियोजनाओं के पक्षधर थे। टिहरी बांध जैसी बड़ी परियोजनाओं का विरोध करते हुए उन्होंने कई आंदोलन भी किए। प्रकृति, वनों, नदियों के संरक्षण के लिए चलाई गई उनकी कई मुहिम आज भी जारी हैं।

माटू जनसंगठन के विमल भाई के अनुसार, गांधी-विनोबा के मूल्यों के साथ प्रसिद्ध चिपको आंदोलन के बड़े सिपाही, गंगा को अविरल बहने दो, गंगा को निर्मल रहने दो के नारे को जीवन में आत्मसात करने वाले इस महान पुरुष को सच्ची श्रद्धांजलि होगी कि हम पर्यावरण के लिए, गंगा के लिए, हिमालय के लिए कार्य करते रहें।अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव पुरुषोत्तम शर्मा ने ख्यात पर्यावरणविद और आंदोलनकारी सुंदरलाल बहुगुणा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि सुंदरलाल बहुगुणा ने युवावस्था में टिहरी राजशाही के खिलाफ चले प्रजामंडल आंदोलन से जन आंदोलनों में अपनी शिरकत शुरू की।

उसके बाद उन्होंने जल, जंगल, जमीन पर जनता के अधिकार की लड़ाई में सात दशक तक सक्रिय भागीदारी की।चिपको आंदोलन और टिहरी बांध के खिलाफ दशकों तक चले किसान आंदोलनों में उनकी नेतृत्वकारी भूमिका ने उन्हें पूरी दुनिया में ख्याति दिलाई।उन्होंने कहा, सुंदरलाल बहुगुणा का जाना उत्तराखण्ड और पूरी दुनिया में जन आंदोलनों के लिए एक बड़ी क्षति है। किसानों ने अपना एक सच्चा साथी खो दिया है।

सुंदर लाल बहुगुणा का नारा था धार ऐंच डाला, बिजली बणावा खाला-खाला यानी ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पेड़ लगाइए और निचले स्थानों पर छोटी-छोटी परियोजनाओं से बिजली बनाइए। सादा जीवन, उच्च विचार को आत्मसात करते हुए वे जीवनभर प्रकृति व वनों के संरक्षण में जी-जान से लगे रहे।
ये भी पढ़ें
इंटरनेट एक्सप्लोरर 15 जून 2022 को होगा सेवामुक्त : माइक्रोसॉफ्ट