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Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 12 जून 2025 (11:27 IST)

सोनम और राजा की कुंडली का मंगल बना अमंगल? क्या ग्रहों का था कोई खेल? जानिए कुंडली में मंगल दोष का कैसे करें उपाय

sonam raghuwanshi kundali
sonam and raja raghuvanshi case: मध्य प्रदेश के राजा रघुवंशी की हत्या के मामले में उसकी पत्नी सोनम पर हत्या करवाने का गंभीर आरोप लगा है। इस मामले में एक चौंकाने वाला पहलू सामने आया है – रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि सोनम के ज्योतिषी ने सोनम और राजा की कुंडली में मांगलिक दोष था। इस घटना के बाद से यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या वाकई ज्योतिषीय दोषों का वैवाहिक जीवन और यहां तक कि किसी की जान पर भी इतना गहरा असर हो सकता है?  आइए जानते हैं कि मांगलिक दोष क्या है, इसके क्या प्रभाव होते हैं और इसके निवारण के उपाय क्या हैं।

मांगलिक दोष क्या होता है?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब जन्म कुंडली में मंगल ग्रह लग्न (पहले भाव), चौथे भाव, सातवें भाव, आठवें भाव या बारहवें भाव में स्थित होता है, तो इसे मांगलिक दोष या मंगल दोष कहा जाता है। इन भावों में मंगल की स्थिति को विवाह और वैवाहिक सुख के लिए चुनौतीपूर्ण माना जाता है।

मंगल दोष के प्रभाव: क्या हमेशा अमंगल ही होता है?
यह आम धारणा है कि मंगल दोष के प्रभाव के कारण वैवाहिक जीवन में कठिनाइयां आती हैं, जैसे कि जीवनसाथी से अनबन, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, या यहां तक कि अलगाव। सोनम और राजा के मामले में भी शायद कुछ ऐसा ही हुआ होगा। हालांकि, ज्योतिष में यह भी कहा जाता है कि अगर वर और वधू दोनों की कुंडली में मंगल दोष होता है, तो मंगल एक-दूसरे के दोष को काट देता है। यह एक प्रकार का "मांगलिक से मांगलिक का मेल" होता है। लेकिन, यह भी सत्य है कि 28 वर्ष की आयु तक मंगल का प्रभाव बना रहता है, जिसका अर्थ है कि शुरुआती वर्षों में थोड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

इसके साथ ही, यह भी देखना महत्वपूर्ण है कि कुंडली में मंगल की स्थिति कैसी है और बाकी ग्रहों के साथ उसका कैसा संबंध बन रहा है। केवल सामान्य रूप से मांगलिक दोष की वजह से रिश्ता नहीं चल पाया यह कहना गलत होगा। मंगल यदि अपनी उच्च राशि में हो, मित्र ग्रहों के साथ हो या शुभ दृष्टियों में हो, तो उसके नकारात्मक प्रभाव काफी हद तक कम हो जाते हैं। वहीं, यदि मंगल अशुभ ग्रहों से दृष्ट हो या नीच राशि में हो, तो इसके प्रभाव अधिक तीव्र हो सकते हैं।

मांगलिक दोष के प्रभाव:
मांगलिक दोष के कई प्रकार के प्रभाव बताए जाते हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
  • वैवाहिक जीवन में परेशानियां: मांगलिक दोष के कारण विवाह में देरी, जीवनसाथी से कलह, वाद-विवाद, और यहां तक कि तलाक जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। कुछ मामलों में यह जीवनसाथी के स्वास्थ्य या सुरक्षा पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
  • स्वभाव पर प्रभाव: मंगल ग्रह का प्रभाव व्यक्ति के स्वभाव को क्रोधी, गुस्सैल और अहंकारी बना सकता है, जिससे रिश्तों में और अधिक खटास आ सकती है।
  • आर्थिक परेशानियां: कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि मांगलिक दोष आर्थिक अस्थिरता या धन हानि का कारण भी बन सकता है।
  • स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं: मंगल दोष से रक्त संबंधी बीमारियां या दुर्घटनाओं का भय भी बताया जाता है।
 
मंगल दोष में भी वैवाहिक जीवन को सुखी और मंगलमय कैसे बनाएं? मंगल दोष के उपाय
यदि आपकी कुंडली में मांगलिक दोष है, तो घबराने की आवश्यकता नहीं है। ज्योतिष में इसके निवारण के कई उपाय बताए गए हैं:
  1. मांगलिक से विवाह: सबसे प्रचलित उपाय यह है कि एक मांगलिक व्यक्ति को दूसरे मांगलिक व्यक्ति से ही विवाह करना चाहिए। इससे दोनों के मंगल का प्रभाव संतुलित हो जाता है और दोष का नकारात्मक असर कम हो जाता है।
  2. कुंभ विवाह: यदि कोई मांगलिक व्यक्ति गैर-मांगलिक से विवाह करना चाहता है, तो विवाह से पहले कुंभ विवाह (भगवान विष्णु की प्रतिमा, पीपल के पेड़ या मिट्टी के घड़े से प्रतीकात्मक विवाह) करवाया जाता है।
  3. हनुमान जी की पूजा: मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करना, हनुमान चालीसा का पाठ करना और सुंदरकांड का पाठ करना मंगल दोष को शांत करने में सहायक होता है।
  4. मंगल मंत्र का जाप: "ॐ अं अंगारकाय नमः" मंत्र का नियमित जाप करना मंगल के अशुभ प्रभावों को कम करता है।
  5. दान: मंगलवार के दिन गुड़, गेहूं, लाल मसूर दाल, रक्त चंदन, लाल वस्त्र आदि का दान करना भी शुभ माना जाता है।
  6. भात पूजा: उज्जैन स्थित मंगलनाथ मंदिर में भात पूजा का विशेष महत्व है। यह पूजा मंगल दोष निवारण के लिए अत्यंत प्रभावी मानी जाती है।
  7. रत्न धारण: अनुभवी ज्योतिषी की सलाह पर मूंगा रत्न धारण करना भी मंगल दोष के प्रभाव को कम करने में सहायक हो सकता है।
  8. कुंभ विवाह: यह एक ज्योतिषीय उपाय है जिसमें किसी मांगलिक व्यक्ति का पहले किसी वृक्ष (जैसे पीपल या बरगद) या किसी धातु की मूर्ति (जैसे भगवान विष्णु की प्रतिमा) से विवाह कराया जाता है। इसके बाद वास्तविक विवाह किया जाता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन उपायों को किसी योग्य और अनुभवी ज्योतिषी की सलाह के बाद ही अपनाना चाहिए। किसी भी ज्योतिषीय दोष को अंधविश्वास का आधार न बनाएं, बल्कि सही जानकारी और मार्गदर्शन के साथ ही आगे बढ़ें।

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