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Written By एन. पांडेय
Last Updated : गुरुवार, 19 जनवरी 2023 (12:04 IST)

जोशीमठ संकट : नृसिंह मंदिर में बद्रीनाथ का खजाना, क्या है सरकार की चिंता?

जोशीमठ संकट : नृसिंह मंदिर में बद्रीनाथ का खजाना, क्या है सरकार की चिंता? - joshimath crisis  : Treasure of badrinath in narsingh mandir
जोशीमठ। जोशीमठ में बढ़ रहे भू-धसाव क्षेत्र को देखते हुए आशंका जताई जा रहा है कि नृसिंह मंदिर में दरार आने से कहीं  बद्रीनाथ मंदिर का खजाना कहीं पहाड़ के नीचे न दब जाए। बद्रीनाथ का खजाना हर साल शीतकाल में जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में शिफ्ट कर दिया जाता है। नृसिंह मंदिर के आसपास बढ़ते जास रहे भू धसाव से सरकार और बदरी केदार मंदिर समिति बद्रीनाथ मंदिर के खजाने की सुरक्षा को लेकर चिंतित है।
 
आशंका जताई जा रहा है कि नृसिंह मंदिर में दरार में आने से कहीं ये खजाना पहाड़ के नीचे न दब जाए। इसके लिए बीकेटीसी ( बद्री केदार मंदिर समिति) वैकल्पिक व्यवस्था की तैयारी में जुट गई है। बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने पीपलकोटी में मंदिर समिति के निरीक्षण भवन का निरीक्षण किया।
 
अजेंद्र अजय ने कहा है कि जोशीमठ में भू-धंसाव की स्थिति अगर और विकराल होती है तो बद्रीनाथ धाम का खजाना पीपलकोटी में मंदिर समिति के निरीक्षण भवन में शिफ्ट करने पर विचार किया जा सकता है।
 
अजेंद्र अजय के अनुसार जरूरत पड़ने पर निरीक्षण भवन के हॉल को स्ट्रांग रूम बनाया जाएगा। चारधाम यात्रा संपन्न होते ही बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के हेड ऑफिस के साथ ही बदरीनाथ धाम का करोड़ों का खजाना भी जोशीमठ शिफ्ट कर दिया जाता है।
 
खजाने मौजूदा समय में बदरीनाथ के खजाने में करोड़ों की नकदी के अलावा 30 क्विंटल चांदी, 45 किलो से अधिक सोना व अन्य जेवरात शामिल हैं। जोशीमठ में भू-धंसाव से स्थिति के बिगड़ते जाने से वहां रखे खजाने को पीपलकोटी शिफ्ट करने की योजना बनाई जा रही है।
 
मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि अभी नृसिंह मंदिर व मंदिर समिति के कार्यालय को कोई खतरा नहीं है लेकिन भविष्य में खतरे से इनकार भी नहीं किया जा सकता है।

क्या है राहत की बात : आपदा प्रबंधन सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ में प्रारम्भ में निकलने वाले पानी का डिस्चार्ज जो कि 6 जनवरी 2023 को 540 एल.पी.एम. था, वर्तमान में घटकर 100 एल.पी.एम. हो गया है। यह एक राहत की खबर है। जोशीमठ में भू-धंसाव के कारण अभी तक 849 ऐसे भवनों को चिन्हित किया गया है जिनमें दरारें आई है। सुरक्षा के दृष्टिगत 250 परिवारों के 838 सदस्यों को अस्थायी राहत शिविरों में विस्थापित किया है।