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Written By एन. पांडेय
Last Updated : शुक्रवार, 6 जनवरी 2023 (13:40 IST)

800 घरों पर मंडरा रहा है खतरा, सैन्य छावनियां भी संकट में, जानिए भारत के लिए क्यों खास है जोशीमठ

जोशीमठ से ग्राउंड रिपोर्ट

800 घरों पर मंडरा रहा है खतरा, सैन्य छावनियां भी संकट में, जानिए भारत के लिए क्यों खास है जोशीमठ - Joshimath crisis : deep cracks in 800 houses,
जोशीमठ। समुद्र तल से 1875 मीटर की ऊंचाई पर बसे भारत-चीन सीमा के अंतिम शहर जोशीमठ से डराने वाली खबरें आ रही है। घर, सड़कों के बाद सैन्य छावनियां भी भू धंसाव की चपेट में हैं। अब तक 107 परिवार शिफ्ट कर दिए गए हैं। लगभग 5 हजार से अधिक भवनों वाले जोशीमठ में गैर सरकारी सूत्रों के मुताबिक 800 से अधिक भवनों में दरारें देखी गई है। सरकार के अनुसार, 561 से अधिक भवनों में दरार आ चुकी है।
जोशीमठ बचाव संघर्ष समिति के आंदोलन के बाद जोशीमठ में सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गई है। विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना की टनल व हेलंग-मारवाड़ी बायपास का निर्माण कार्य रोक दिया गया है। इसके अलावा नगरपालिका के भी सभी निर्माणों पर रोक लगा दी गई है। 
 
अब भू धंसाव की चपेट में यहां हाई वे से लेकर सैन्य छावनी भी आती जा रही है। विश्वप्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम, सीमांत माणा गांव व विख्यात पर्यटक स्थल औली के रस्ते में पड़ने वाले जोशीमठ के लोग दहशत में जी रहे हैं। 
किरायेदार मकान छोड़ रहे हैं, मकान मालिक ढहने की कगार पर बैठे अपने जर्जर मकानों की रखवाली को मजबूर हैं। सेना की ब्रिगेड, गढ़वाल स्काउट्स और भारत तिब्बत सीमा पुलिस की बटालियन समेत उसका विशाल इन्फ्रास्ट्रक्चर भी कमोबेश इसी स्थिति में है।

चेतावनियों की अनदेखी : यह संकट इस वक्त अनायास नहीं खड़ा हुआ है। 1970 के दशक में तत्कालीन गढ़वाल कमिश्नर की अध्यक्षता वाली एक कमेटी इसकी चेतावनी दे चुकी थी। उसने कुछ संस्तुतियां यहां की दीर्घकालीन सेहत के लिए जारी की थी लेकिन उन पर अमल न तत्कालीन यूपी की अविभाजित सरकार ने किया न ही उत्तराखंड सरकार ने।
 
 
 
क्यों खास है जोशीमठ : जोशीमठ कोई साधारण शहर नहीं है। आदि गुरू शंकराचार्य ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए देश के 4 कोनों में धर्म ध्वजावाहक 4 सर्वोच्च धार्मिक पीठों में से एक, ज्योतिर्पीठ यहां स्थापित कराई। साल 1962 के भारत चीन युद्ध के बाद देश की सरकार ने भी यहाँ गढ़वाल स्काउट्स का मुख्यालय और 9 माउंटेंन ब्रिगेड का मुख्यालय स्थापित कर यहीं से नीती-माणा दर्रों और बाड़ाहोती पठार पर चीनी हरकतों पर नजर रखने का मेकेनिज्म खड़ा किया।
 
बार-बार चीनी सेना जोशीमठ के करीब बाड़ाहोती की ओर से ही घुसपैठ करने का प्रयास करती रहती है। उन पर नजर रखने के लिए भारत तिब्बत पुलिस की बटालियन और उसका माउंटेंन ट्रेनिंग सेंटर यहीं है। लेकिन प्रतिदिन धंसाव की जद में आ रहा जोशीमठ आज अनियंत्रित अदूरदर्शी विकास की भेंट चढ़ रहा है।
 
एक तरफ तपोवन विष्णुगाड परियोजना की एनटीपीसी की सुरंग ने जमीन को भीतर से खोखला कर दिया है दूसरी तरफ बायपास सड़क जोशीमठ की जड़ पर खुदाई करके पूरे शहर को नीचे से हिला रही है। लगातार इस बात को यहां के जागरूक लोग कह रहे थे। पर्यावरणविद लगातार सरकार को चेतावनी रहे थे। सरकार उनको धता बताते हुए विकास के नाम पर मनमानी करने देती रही।
 
भूस्खलन क्षेत्र के ऊपर बसा है जोशीमठ : भूवैज्ञानिकों के अनुसार जोशीमठ शहर मुख्यतः पुराने भूस्खलन क्षेत्र के ऊपर बसा है और इस प्रकार के क्षेत्रों में जल निस्तारण की उचित व्यवस्था न होने की स्थिति में जमीन में अन्दर जाने वाले पानी के साथ मिट्टी एवं अन्य के पानी के साथ बह जाने के कारण भू-धंसाव की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
 
इसी कारण वैज्ञानिकों ने इसके आसपास किसी भी तरह का भारी निर्माण करना बेहद जोखिमपूर्ण बताया था। ओली की ढलानों पर भी छेड़छाड़ न करने का सुझाव वैज्ञानिक लगातार देते रहे थे क्योंकि जोशीमठ के ऊपर औली की तरफ से 5 नाले आते हैं। धार्मिक एवं पौराणिक के अलावा सामरिक दृष्टि से भी अहमियत रखने वाले जोशीमठ नगर का अस्तित्व ही अब सवालों के घेरे में आ गया है।
 
जोशीमठ का धार्मिक महत्व : 49.75 वर्ग किमी क्षेत्र में विस्तृत 30 हजार से अधिक की आबादी वाला यह नगर चमोली जिले का अंतिम तहसील एवं ब्लाक मुख्यालय होने के साथ ही बदरीनाथ धाम व हेमकुंड साहिब यात्रा का मुख्य पड़ाव भी है। जोशीमठ का उल्लेख ‘स्कंद पुराण’ के केदारखंड समेत ‘विष्णु पुराण’, ‘शिव पुराण’ आदि ग्रंथों में भी हुआ है। कहते हैं कि नृसिंह बदरी मंदिर यहां आदि शंकराचार्य के आगमन से पूर्व से ही अस्तित्व में था।
Edited by : Nrapendra Gupta 
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