शनिवार, 21 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. ISRO launch crue module of Gaganyaan mission
Written By
Last Updated : शनिवार, 21 अक्टूबर 2023 (12:12 IST)

मिशन गगनयान के क्रू मॉड्यूल का सफल परीक्षण, ISRO को मिली बड़ी सफलता

mission gaganyaan
ISRO Gaganyaan mission : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शनिवार को गगनयान मिशन का क्रू मॉड्यूल सफलतापूर्वक लांच किया। इसरो ने TV-D1 का पहला परीक्षण किया। चंद्रयान और आदित्य एल1 के बाद स्पेस मिशन में इसे भारत की बड़ी सफलता माना जा रहा है।

रॉकेट का प्रक्षेपण पहले शनिवार सुबह 8 बजे के लिए निर्धारित था, लेकिन बाद में इसे दो बार कुल 45 मिनट के लिए टाला गया।
 
इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने बाद में बताया कि किसी विसंगति के कारण प्रक्षेपण तय कार्यक्रम के अनुसार नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि टीवी-डी1 रॉकेट का इंजन तय प्रक्रिया के अनुसार चालू नहीं हो सका था। इसके बाद, इसरो ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, प्रक्षेपण रोके जाने के कारण का पता लगा लिया गया है और उसे दुरुस्त कर दिया गया है। प्रक्षेपण आज पूर्वाह्न 10 बजे होगा।
 
2 घंटे की देरी और टीवी-डी1 इंजन के शुरुआत में तय प्रक्रिया के तहत चालू नहीं हो पाने के बाद पैदा हुई घबराहट के बीच इसरो के वैज्ञानिकों ने रॉकेट का सटीक प्रक्षेपण किया। यान के ‘क्रू मॉड्यूल’ (जिसमें अंतरिक्ष यात्री सवार होंगे) एवं ‘क्रू एस्केप’ (चालकदल बचाव प्रणाली) पृथक्करण का लक्ष्य हासिल करते ही श्रीहरिकोटा स्थित मिशन नियंत्रण केंद्र में सांसें थाम कर बैठे वैज्ञानिकों ने तालियां बजाकर इसका स्वागत किया।
 
इसरो ने घोषणा की कि टीवी-डी1 मिशन पूरी तरह सफल रहा। तय योजना के अनुसार पेलोड बाद में समुद्र में सुरक्षित तरीके से गिर गए।
 
इसरो का लक्ष्य तीन दिवसीय गगनयान मिशन के लिए मानव को 400 किलोमीटर की पृथ्वी की निचली कक्षा में अंतरिक्ष में भेजना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है।
 
इस ‘क्रू मॉड्यूल’ के साथ परीक्षण यान मिशन, समग्र गगनयान कार्यक्रम के लिए एक मील का पत्थर है क्योंकि उड़ान परीक्षण के लिए लगभग पूरी प्रणाली एकीकृत है।
 
इस परीक्षण उड़ान की सफलता शेष परीक्षणों और मानवरहित मिशन के लिए मंच तैयार करेगी, जिससे भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के साथ पहला गगनयान कार्यक्रम शुरू होगा, जिसके 2025 में आकार लेने की उम्मीद है।
 
‘क्रू मॉड्यूल’ रॉकेट में पेलोड है, और यह अंतरिक्ष यात्रियों के लिए अंतरिक्ष में पृथ्वी जैसे वातावरण के साथ रहने योग्य जगह है। इसमें एक दबावयुक्त धात्विक 'आंतरिक संरचना' और 'थर्मल सुरक्षा प्रणालियों' के साथ एक बिना दबाव वाली 'बाहरी संरचना' शामिल है।
 
इसमें क्रू इंटरफेस, जीवन रक्षक प्रणाली, वैमानिकी और गति में कमी से जुड़ी प्रणाली (डिसेलेरेशन सिस्टम) मौजूद हैं। नीचे आने से लेकर उतरने तक के दौरान चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इसे पुन: भेजने के लिए भी डिजाइन किया गया है।
 
‘टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन’ (टीवी-डी1) क्रू एस्केप सिस्टम और क्रू मॉड्यूल को 17 किमी की ऊंचाई पर प्रक्षेपित करेगा, जिसके श्रीहरिकोटा के पूर्वी तट से लगभग 10 किमी दूर समुद्र में सुरक्षित उतरने की उम्मीद है।
 
बाद में बंगाल की खाड़ी से नौसेना द्वारा इन्हें खोज कर निकाला जाएगा। टीवी-डी1 यान एक संशोधित ‘विकास’ इंजन का उपयोग करता है जिसके अगले सिरे पर ‘क्रू मॉड्यूल’ और यात्री बचाव प्रणाली लगी होती है। रॉकेट 34.9 मीटर लंबा है और इसका भार 44 टन है।
 
टीवी-डी1 उड़ान एक ‘सिम्युलेटेड थर्मल सुरक्षा प्रणाली’ के साथ एकल-दीवार वाली बिना दबाव वाली एल्यूमीनियम की संरचना है। परीक्षण वाहन डी1 मिशन का लक्ष्य नए विकसित परीक्षण वाहन के साथ चालक बचाव प्रणाली की रॉकेट से अलग होने और सुरक्षित वापसी की क्षमता को प्रदर्शित करना है।
 
मिशन के कुछ उद्देश्यों में उड़ान प्रदर्शन और परीक्षण वाहनों का मूल्यांकन, चालक बचाव प्रणाली, क्रू मॉड्यूल विशेषताएं, और अधिक ऊंचाई पर गति नियंत्रण शामिल हैं। इस अभियान के माध्यम से, वैज्ञानिकों का लक्ष्य चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, जिन्हें वास्तव में गगनयान मिशन के दौरान एलवीएम-3 रॉकेट से ‘क्रू मॉड्यूल’ में भेजा जाएगा।