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Last Modified: नई दिल्ली , शुक्रवार, 23 जून 2023 (21:18 IST)

विपक्ष के स्वार्थी गठबंधन के निशाने पर भारत की तिजोरी

विपक्ष के स्वार्थी गठबंधन के निशाने पर भारत की तिजोरी - India coffers on target of selfish alliance of opposition : Smriti Irani
BJP target on opposition: भाजपा ने विपक्षी दलों की एकजुटता को ‘स्वार्थ का गठबंधन’ करार दिया और दावा किया कि उनका मकसद आगामी लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हराना नहीं है, बल्कि उनके निशाने पर ‘भारत की तिजोरी’ है।
 
बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी दलों की ओर से साल 2024 के लोकसभा चुनाव में साथ मिलकर लड़ने की घोषणा के तत्काल बाद यहां पार्टी मुख्यालय में केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता स्मृति ईरानी ने यह आरोप भी लगाया कि जो राजनीतिक दल कभी एक दूसरे को आंखों नहीं सुहाते थे, वे भारत को आर्थिक प्रगति से वंचित करने के संकल्प से एकत्रित हुए हैं।
 
उन्होंने कहा कि यह गठबंधन स्वार्थ का है। हम कतई भ्रमित ना हों कि निशाने पर मोदी हैं, बल्कि भारत की तिजोरी है। उन्होंने कहा कि जब भी ये एक साथ आए, भ्रष्टाचार लाए, परिवारवाद लाए और राष्ट्र की आर्थिक प्रगति को संकुचित करने का आरोप अपने संग लेकर आए।
 
ज्ञात हो कि विपक्ष के 15 राजनीतिक दलों के नेताओं ने वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए साझा रणनीति तय करने के लिए शुक्रवार को पटना में मैराथन बैठक की, जिसमें यह फैसला किया गया कि वे प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ेंगे। विपक्षी दलों की अगली बैठक अगले महीने शिमला में होगी।
 
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की मेजबानी में यह बैठक मुख्यमंत्री के आवास ‘1 अणे मार्ग’ पर हुई, जिसमें करीब 30 विपक्षी नेताओं ने भाग लिया।
 
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे एवं पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव, शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने बैठक में भाग लिया।
 
द्रमुक नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता महबूबा मुफ्ती, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी राजा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी और कुछ अन्य नेता इस बैठक में शामिल हुए।
 
इस कड़ी में उन्होंने सत्ता में रहते हुए पश्चिम बंगाल की तत्कालीन वामपंथी सरकार द्वारा वर्तमान मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी का किए गए ‘अपमान’ का उल्लेख किया और कहा कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कभी नहीं सोचा होगा कि कि वह उन्हीं वामपंथी दलों के साथ गठबंध करेंगी।
 
ईरानी ने विपक्षी गठबंधन में शामिल दलों के नेताओं की पूर्व से जुड़ी आपसी लड़ाई का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘स्वार्थ का ये गठबंधन’ बहुमुखी है और संवाद अलग-अलग शैली में करता है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने कभी कल्पना नहीं की होगी कि जिस ममता बंदोपाध्याय के हाथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खून से सने हैं, वही हाथ एक दिन राहुल गांधी के सर पर दिखाई देंगे।
 
ईरानी ने कहा कि तमिलनाडु की जनता ने कभी यह कल्पना नहीं की होगी कि जिस कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या में सहयोग देने का आरोप द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) पर लगाया था, एक दिन उसी के साथ गांधी खानदान के रिश्ते और मधुर होंगे।
 
उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी का शुरुआत में ही गठबंधन को राजनीतिक रूप से ब्लैकमेल करना इस बात का संकेत है कि इस अपवित्र राजनीतिक गठबंधन के साथ क्या अनहोनी होने वाली है।
 
विपक्षी दलों की बैठक को राजनीतिक नवजागरण का गवाह बताने के लिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जिनका जागरण उत्तर प्रदेश में न हुआ हो, वह बिहार में जाकर पुनर्जागरण की बात करें, तो ‘हास्यास्पद’ है। (भाषा)
 
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