कैसे गूगल पहुंचा गांव-गांव, ग्रामीण महिलाएं ऑनलाइन
भारत के ग्रामीण इलाकों में रहने वाली लाखों करोड़ों महिलाओं को नहीं मिल पा रही इंटरनेट की सुविधा को देखते हुए, गूगल ने इंटरनेट उन तक पहुंचाने की कोशिश की है। गूगल की यह कोशिश साइकिल के माध्यम से हो रही है। पिछले साल लांच हुए इस प्रोग्राम के माध्यम से करीब, 9,000 साथी ट्रेनर की मदद से करीब 10 लाख महिलाएं इस प्रोग्राम से लाभ ले चुकी हैं।
अल्फाबेट आईएनसी यूनिट ने हजारों महिला ट्रेनरों की भर्ती कर एक विशाल टीम तैयार की है। इन टीमों को दूरदराज इलाकों में साइकिल के साथ भेजा जाता है। यहां ये महिलाएं गांवों में बसी महिलाओं को इंटरनेट की दुनिया की एक झलक देती हैं। हर साइकिल के साथ इंटरनेट से जुडे कई स्मार्टफोंस और टैबलेट होती हैं। जिनके माध्यम से ग्रामीण महिलाएं इंटरनेट को समझती हैं।
इस योजना के पीछे उद्देश्य ऐसे लोगों को इंटरनेट से जोड़ना है जिन्होंने कभी ईमेल भी नहीं भेजा। उन्हें यह समझाना है कि कैसे इंटरनेट उनकी जिंदगी सुधार सकता है। कई ऐसे परिवार हैं जो इंटरनेट से जुड़ने का आर्थिक भार उठा सकते हैं परंतु इसका महत्व उन्हें पता नहीं।
'इंटरनेट साथी' नाम के इस प्रोजेक्ट के लिए गूगल ने लोकल इंस्टीट्यूट टाटा ट्रस्ट से पार्टनरशिप की है। इंस्ट्रक्टर्स के पास बड़े बॉक्स में गूगल के एंड्राइड मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम के चलने वाले डिवाइस होते हैं। साथी या इंस्ट्रक्टर साइकिल से गांव गांव जाकर महिलाओं को इंटरनेट चलाना सिखाती हैं।
एक साथी कमला देवी कहती हैं ,"मैं श्योर नहीं थी कि मैं ऐसा कर पाउंगी कि नहीं" उन्होंने स्वयं भी अपनी साथी ट्रेनिंग के पहले इंटरनेट नहीं चलाया था। कमला अब ग्रामीण महिलाओं को इंटरनेट पर रेसिपी और सिलाई के तरीके दिखाती हैं। इसके अलावा वाइस क्यूरीज़ से कैसे बिना टाइप किए सर्च की जाती है, यह भी प्रोग्राम का हिस्सा है।