रविवार, 21 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. ghaziabad positive story
Written By
Last Updated : रविवार, 16 अक्टूबर 2022 (16:05 IST)

कोरोना काल में चलाया था ऑक्सीजन लंगर, अब बने गरीब गर्भवती महिलाओं के संकटमोचक

कोरोना काल में चलाया था ऑक्सीजन लंगर, अब बने गरीब गर्भवती महिलाओं के संकटमोचक - ghaziabad positive story
नई दिल्ली। कोरोना महामारी के दौरान ‘खालसा हेल्प इंटरनेशनल’ ने गाजियाबाद के इंदिरापुरम स्थित श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा में अनोखे ऑक्सीजन लंगर के जरिये सैंकडों मरीजों के जीवन की डोर को बांधे थी। कोरोना के बाद भी सेवा जज्बा कम नहीं हुआ और यह संगठन अब गरीब गर्भवती महिलाओं का संकटमोचक बन गया है।
 
संगठन के अध्यक्ष और ऑक्सीजन मैन के नाम से विख्यात गुरुद्वारा प्रमुख गुरप्रीत सिंह रम्मी ने ‘प्रेग्नो-केयर’ अभियान के जरिये गर्भवती महिलाओं को संपूर्ण जांच, पोषण और सुरक्षित प्रसव की सुविधाएं प्रदान करने की पहल की है।
 
रम्मी ने बताया कि गुरुद्वारा में संचालित डिस्पेंसरी में इलाज के लिए आने वाली गरीब महिलाओं में गर्भावस्था और खुद की सेहत से जुड़ी जानकारियों के अभाव को देखकर हमने अपनी स्वास्थ्य सेवा के तहत ‘प्रेग्नो-केयर’ को शुरु करने का फैसला लिया गया।
 
उन्होंने कहा कि लगभग सात महीने पहले एक गर्भवती महिला को ‘गोद’ लेने के साथ ‘प्रेग्नो-केयर’ की शुरुआत की गई और फिलहाल 30 गर्भवती महिलाओं के इलाज, जांच और प्रसव की व्यवस्था हम कर रहे हैं। अब तक सरकारी और निजी अस्पतालों की मदद से चार महिलाओं का प्रसव भी कराया गया है।
 
जिन चार महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया है उनमें आरिफा (23) पत्नी रियाजुद्दीन निवासी गाजियाबाद, मीनाक्षी (24) पत्नी अमित कुमार, निवासी नंदग्राम (गाजियाबाद), काजल कुमारी (21) पत्नी पंकज कुमार निवासी दादरी और आलो (24) पत्नी फैजल निवासी मकनपुर (गाजियाबाद) शामिल हैं।
 
सभी महिलाओं ने दूसरे बच्चे के रूप में बेटी को जन्म दिया है। आरिफा, मीनाक्षी, काजल और आलो ने क्रमशः 23,26, 29 और 30 सितंबर को बेटियों को जन्म दिया है।
 
रम्मी ने कहा कि तमाम परामर्श और सहयोग के बावजूद परिजनों की अज्ञानता के कारण ऐसी परिस्थितियां बनी कि काजल का प्रसव दादरी में उसके घर पर ही कराना पड़ा। अनपढ़ मजदूर काजल दादरी में ईंट-भट्ठे पर काम करती है और 29 सितंबर को तड़के चार बजे जब उसे प्रसव पीड़ा शुरू हुई तो वह समझ ही नहीं पाई कि बच्चे का जन्म होने वाला है।
 
उन्होंने बताया कि जब दर्द बढ़ा तो परिजनों ने पांच बजे प्रेग्नो-केयर की सहायक दीपा को फोन किया, जिसने तुरंत स्वास्थ्य सेवा प्रमुख गौरव कुमार को जानकारी दी। कुमार ने डॉक्टर के साथ एक स्वास्थ्य टीम दादरी भेजी। जब वे वहां पहुंचे तो पाया कि नवजात के गले में गर्भ नाल फंस गई है और वह अटक गयी है। स्वास्थ्य टीम ने मजबूरी में वहीं प्रसव कराया और उसके बाद जच्चा-बच्चा को गाजियाबाद स्थित जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया। प्रसव के बाद दो दिन तक वह वहां भर्ती रही।
 
रम्मी ने कहा कि हमने इससे सबक सीखा है। प्रेग्नो-केयर के तहत गर्भवती महिलाओं को परामर्श, विटामिन तथा अन्य पोषक तत्व प्रदान करने, उपचार, जांच के साथ-साथ इस बात पर पूरा जोर दिया जाता है कि वे किसी भी हाल में संकोच नहीं करें और संपर्क कर अपनी स्थिति से जरूर अवगत कराएं।
 
उन्होंने कहा कि खालसा हेल्प प्रसव में सरकारी अस्पतालों का सहयोग लेता है, लेकिन उसने निजी अस्पतालों को भी अपने साथ जोड़ा है और स्थिति के अनुरूप उनका भी सहयोग लिया जाता है।
 
‘खालसा हेल्प इंटरनेशनल’ के तहत स्वास्थ्य सेवा का जिम्मा संभाल रहे गौरव कुमार ने बताया कि प्रसव के दौरान सबसे अधिक कठिनाई का सामना आलो को करना पड़ा। कुमार ने कहा कि आलो को प्रसव के लिए गाजियाबाद के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था, इस दौरान उसके काला पीलिया (हेपेटाइटिस-सी) से ग्रस्त होने की पुष्टि हुई। प्रसव के बाद उसे उपचार के लिए पहले दिल्ली के गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल और फिर लेडी हार्डिंग अस्पताल में भर्ती कराया गया।
 
अस्पताल में इलाज के बाद अपने बच्चे को नियमित जांच के लिए गुरुद्वारा स्थित डिस्पेंसरी में लाई आलो ने बताया कि मेरी बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है, लेकिन मुझे अभी भी कमजोरी है, डॉक्टरों का कहना है कि उबरने में वक्त लगेगा। यह मेरा नया जन्म है, क्योंकि खालसा हेल्प की मदद से ही मुझे सही उपचार मिल पाया और जान बची।
 
कुमार ने बताया कि प्रेग्नो-केयर सिर्फ गर्भवती महिलाओँ के गर्भावस्था और प्रसव तक के उपचार तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके तहत नवजात के टीकाकरण और अन्य जरूरतों का भी ध्यान रखा जाता है।
 
‘जोमैटो’ के डिलीवरी कर्मचारी अमित कुमार ने भी प्रेग्नो केयर के तहत पत्नी का यहां पंजीकरण कराया था। अमित ने कहा कि मुझे यहां एक डिलीवरी के दौरान इस सेवा का पता चला। मेरी पत्नी ने 26 सितंबर को बच्ची को जन्म दिया है। पत्नी अभी स्वास्थ्य लाभ कर रही है, लेकिन बच्ची की जांच अपेक्षित थी और उसी के लिए वह यहां आए हैं।
 
प्रेग्नो-केयर पहल का खाका तैयार करने वाले ‘खालसा हेल्प इंटरनेशनल’ के वरिष्ठ निदेशक हरजोत सिंह चड्ढा ने इस पहल के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि जच्चा-बच्चा की सुरक्षा को लेकर देश में अभी और ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है, क्योंकि अभी भी कुल प्रसव में से लगभग 20 फीसदी घर पर होते हैं। अकुशल तरीके से कराए गए ये प्रसव जच्चा-बच्चा की मौत का बड़ा कारण हैं।
 
संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष 2.5 करोड़ बच्चे जन्म लेते हैं, लेकिन इनमें से प्रति मिनट एक की मौत हो जाती है।
 
गुरुद्वारा से संचालित प्रेग्नो-केयर पहल के तहत खालसा हेल्प अपने संसाधनों के जरिये तो गर्भवती महिलाओं की मदद तो कर ही रहा है साथ ही वह संपन्न लोगों और समूहों को भी इसमें योगदान के लिए प्रेरित कर रहा है। इसके लिए वह लोगों को गर्भवती महिलाओं की जांच, उपचार, दवाओं और प्रसव से जुड़ी जिम्मेदारियों के वहन करने के लिए आग्रह कर रहा है।
Edited by : Nrapendra Gupta (भाषा)
ये भी पढ़ें
Congress President Polls : वोटिंग से पहले शशि थरूर की आपत्ति के बाद हुआ ये बदलाव