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Last Modified: मंगलवार, 4 अप्रैल 2023 (09:57 IST)

अयोध्या के संत की राहुल गांधी को पेशकश, कहा- चाहे तो हनुमानगढ़ी मंदिर में रहें, जानिए क्यों खास है यह स्थान

अयोध्या के संत की राहुल गांधी को पेशकश, कहा- चाहे तो हनुमानगढ़ी मंदिर में रहें, जानिए क्यों खास है यह स्थान - ayodhaya saint offer to rahul gandhi to live in hanumangadi
अयोध्या। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को संसद सदस्य के तौर पर आवंटित घर खाली करने का नोटिस मिलने के बाद देशभर से उनके घरों में रहने की पेशकश की जा रही है। इस बीच उत्तर प्रदेश के अयोध्या में स्थित प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मंदिर के एक संत ने राहुल गांधी को मंदिर में निवास करने की पेशकश की है।
 
हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत ज्ञान दास की प्रतिष्ठित गद्दी के उत्तराधिकारी संजय दास ने उनसे मंदिर परिसर में रहने की पेशकश की। उन्होंने राहुल गांधी को अपना खुला समर्थन देते हुए कहा कि अगर राहुल गांधी हनुमानगढ़ी परिसर में आकर रहना चाहते हैं तो उनका स्वागत है।
 
संजय दास ने कहा कि राहुल गांधी का पवित्र नगरी में अयोध्या के संत स्वागत करते हैं, हम उन्हें अपना निवास स्थान प्रदान करते हैं। दास संकट मोचन सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं।
 
हनुमानगढ़ी से जुड़ी खास बातें : अयोध्या की सरयू नदी के दाहिने तट पर ऊंचे टीले पर स्थित हनुमानगढ़ी सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है। अयोध्या में राम जन्मभूमि के दर्शन करने से पूर्व यहां पर हनुमानजी के ही दर्शन करना होते हैं। 
 
माना जाता है कि लंका विजय करने के बाद हनुमान यहां एक गुफा में रहते थे और राम जन्मभूमि और रामकोट की रक्षा करते थे। इसी कारण इसका नाम हनुमानगढ़ या हनुमान कोट पड़ा। इसे ही हनुमानजी का घर भी कहा गया।
 
कहते हैं कि अयोध्या के महंत बाबा अभयराम ने नवाब शुजाउद्दौला (1739-1754) के शहजादे की जान बचाई थी। जब वैद्य और हकीम ने हाथ टेक दिए थे तब कहते हैं कि नावाब के मंत्रियों ने अभयरामदास से मिन्नत की थी कि एक बार आकर नवाब के पुत्र को देख लें। फिर बाबा अभयराम ने कुछ मंत्र पढ़कर हनुमानजी के चरणामृत का जल छिड़का था जिसके चलते उनके पुत्र की जान बच गई थी। नवाब ने प्रसन्न होकर बाबा से उस समय कहा कि कुछ मांग लीजिये। तब बाबा ने कहा कि हम तो साधु है हमें क्या चाहिए। हनुमानजी की कृपा से आपका पुत्र ठीक हुआ है यदि आपकी इच्छा हो तो हनुमान गढ़ी बनवा दीजिये। तब नवाब ने इसके लिए 52 बीघा भूमि उपलब्ध करवाई थी।
 
यह भी कहा जाता है कि इस मंदिर के लिए भूमि को अवध के नवाब ने दी थी और लेकिन लगभग दसवीं शताब्‍दी के मध्‍य में उनकी रखैल के द्वारा बनवाया गया था। हालांकि कुछ लोग इस घटना को लखनऊ और फैजाबाद के प्रशासक सुल्तान मंसूर अली से भी जोड़कर देखते हैं। लेकिन यह भी कहा जाता है कि 300 साल पूर्व संत अभयारामदास के सहयोग से हनुमान मंदिर का विशाल निर्माण संपन्न हुआ था। संत अभयारामदास निर्वाणी अखाड़ा के शिष्य थे। 
 
हनुमान गढ़ी, वास्‍तव में एक गुफा मंदिर है। यहां तक पहुंचने के लिए लगभग 76 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। यहां पर स्थापित हनुमानजी की प्रतिमा केवल छः (6) इंच लंबी है, जो हमेशा फूलमालाओं से सुशोभित रहती है। इस मंदिर परिसर के चारों कोनो में परिपत्र गढ़ हैं। मंदिर परिसर में मां अंजनी व बाल (बच्‍चे) हनुमान की मूर्ति है जिसमें हनुमानजी, अपनी मां अंजनी की गोदी में बालक रूप में लेटे हैं। हनुमानगढ़ी में ही अयोध्या की सबसे ऊंची इमारत भी है जो चारों तरफ से नजर आती है। इस विशाल मंदिर व उसका आवासीय परिसर करीब 52 बीघे में फैला है। 
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