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महावीर स्वामी के 8 अनमोल वचन

महावीर स्वामी के 8 अनमोल वचन - mahavir anmol vachan
भगवान महावीर स्वामी का जीवन त्याग और तपस्या से ओतप्रोत है। वे जैन धर्म के 24वें  तीर्थंकर हैं। पूरी दुनिया को उन्होंने सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया। उन्होंने दुनियाभर को  अपने वचनों से लाभान्वित किया। उनके अमृत वचन आज के युग में बहुत जरूरी और  बहुउपयोगी हैं।  यहां पाठकों के लिए प्रस्तुत हैं महावीर स्वामी के 8 अनमोल वचन- 

1. महावीर कहते हैं कि तुम दूसरों के साथ वह व्यवहार कभी मत करो, जो तुमको अच्छा ना  लगे।
 
2 अपनी आत्मा को पहचान लो। ये ही आपको संसार के दु:ख और रोग, जन्म-मृत्यु का चक्र  तथा भूख-प्यास आदि से बचने का सही रास्ता है। 
 

3. कमजोर वर्ग की सेवा करना हर मनुष्य का कर्तव्‍य है। यही मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी है। 
 
4. सभ्यता जैनियों की पहचान है अत: जो वस्त्र और श्रृंगार दूसरे के हृदय को विचलित कर दे,  ऐसे वस्त्र-श्रृंगार आदि सभ्य लोगों के नहीं हैं। 
 
5. किसी भी प्राणी को मारकर बनाए गए प्रसाधन सामग्री का उपयोग करने से उस व्यक्ति को  भी उतना ही पाप लगता है जितना किसी जीव को मारने वाले को। 
 
6. भगवान महावीर की नजर में दूसरों के दुर्गुणों को न देखकर उसके सद्गुणों को ग्रहण करने  वाला ही सज्जन है।
 
7. जैसा हम स्वयं जीना चाहते हैं, वैसे ही संसार के सभी प्राणियों को जीने दो, क्योंकि वे भी  आपसे यही चाहते हैं इसलिए खुद भी जीओ और औरों को भी जीने दो। 
 
8 भगवान महावीर का आदर्श वाक्य- 'मित्ती में सव्व भूएसु।'
 
'सब प्राणियों से मेरी मैत्री है', सभी इसी रास्ते को अपनाएं। 
 
- राजश्री कासलीवाल 
 
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