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Last Updated : गुरुवार, 5 दिसंबर 2024 (19:45 IST)

Devendra Fadnavis तीसरी बार बने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, इन चुनौतियों का कैसे करेंगे सामना

Devendra Fadnavis  तीसरी बार बने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, इन चुनौतियों का कैसे करेंगे सामना - devendra fadnavis chief minister of maharashtra
maharashtra cm news : दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में एक भव्य समारोह में देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। इसके साथ ही नई सरकार में फिर से दो डिप्टी सीएम बनाए गए हैं। शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे और एनसीपी प्रमुख अजित पवार को डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी मिली है। शपथग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कई केंद्रीय मंत्री, महायुति गठबंधन के कई वरिष्ठ नेता और कई राज्यों के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री शामिल थे। नाराजगी की अटकलों के बीच शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने उप मुख्यमंत्री का पद संभाला। 20 नवंबर के विधानसभा चुनाव में भाजपा के निर्णायक प्रदर्शन के बाद फडणवीस (54) को बुधवार को प्रदेश भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया। इसी के साथ उनके तीसरी बार राज्य की बागडोर संभालने की राह तैयार हो गई।
राज्यपाल ने दिलाई शपथ 
महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. देवेंद्र फडणवीस ने तीसरी बार सीएम के तौर पर प्रदेश की कमान संभाली है। इससे पहले वाली सरकार में एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री थे जबकि बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी के अध्यक्ष अजित पवार डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। अब नई सरकार में नेतृत्व बदल गया है।

20 मिनट तक चला कार्यक्रम, फिल्म और उद्योग जगत की हस्तियां
फिल्म एवं मनोरंजन जगत, उद्योग जगत, सार्वजनिक जीवन की तमाम हस्तियां इस मौके पर उपस्थित थीं। शपथ ग्रहण समारोह करीब 20 मिनट के अंदर ही संपन्न हो गया। मंच पर प्रधानमंत्री मोदी के पहुंचते ही सबसे पहले राष्ट्रगान का गायन हुआ और राज्यपाल ने फडणवीस को शपथ दिलाई। बाद में मंच पर उपस्थित अतिथियों ने तीनों नेताओं से मिल कर शुभकामनाएं दीं।  
 
फडणवीस ने छुए पीएम मोदी के पैर
फडणवीस के शपथ लेने के बाद राज्यपाल ने पुष्पगुच्छ देकर नये मुख्यमंत्री का अभिनंदन किया। इसके बाद फडणवीस ने मोदी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। दोनों उप मुख्यमंत्रियों को भी राज्यपाल ने गुलदस्ते देकर अभिनंदन किया और प्रधानमंत्री ने भी दोनों से गर्मजोशी से हाथ मिला कर शुभकामनाएं दीं। तीनों नेताओं के शपथ लेने के बाद राष्ट्रगान के साथ शपथग्रहण समारोह संपन्न हो गया।
 
शिंदे ने बाला साहब ठाकरे और आनंद दिघे को किया याद
इसके बाद शिंदे को शपथ दिलाई गई। शिन्दे से शपथ लेने से पूर्व शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे और उनके राजनीतिक गुरू रहे पार्टी के नेता अनंत दिघे को याद किया। शिन्दे के बाद पवार को शपथ दिलाई गई। 
 
ये रहे समारोह में मौजूद 
समारोह में उपस्थित अन्य अतिथियों में गुरुवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, केंद्रीय मंत्री एस जयशंकर, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री एवं लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान, केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, पूर्व राज्यसभा सांसद विजय रुपानी, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, बिहार के मुख्यमंत्री एवं जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष नीतीश कुमार, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं तेलुगु देशम पार्टी के नेता एन चंद्रबाबू नायडू, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, खेल जगत से सचिन तेंदुलकर और फिल्म जगत से सलमान खान, शाहरुख़ खान, माधुरी दीक्षित, संजय दत्त, रणवीर सिंह उपस्थित रहे।

 
कैसा रहा राजनीतिक सफर 
साधारण पृष्ठभूमि से उठकर महाराष्ट्र की राजनीति में अपना लोहा मनवाने वाले भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कद्दावर नेता देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वे इससे पहले भी दो बार इस पद पर रह चुके हैं। फडणवीस की राजनीतिक यात्रा उल्लेखनीय रही है। इस दौरान उन्होंने एक गुमनाम पार्षद से लेकर नागपुर का सबसे युवा महापौर बनने का गौरव हासिल किया। इसके बाद उन्होंने भाजपा के भीतर एक प्रमुख नेता के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की। उल्लेखनीय बात यह है कि वह शिवसेना के मनोहर जोशी के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने वाले दूसरे ब्राह्मण हैं।
सबसे युवा महापौर 
देवेंद्र फडणवीस 22 वर्ष की आयु में नागपुर नगर निगम के पार्षद बने तथा 1997 में 27 वर्ष की आयु में इसके सबसे युवा महापौर बने। फडणवीस ने अपना पहला विधानसभा चुनाव 1999 में लड़ा और जीत हासिल की। ​​इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार तीन विधानसभा चुनाव जीते। पिछले महीने हुए चुनाव में उन्होंने अपनी नागपुर दक्षिण पश्चिम सीट बरकरार रखी। महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य में कई नेताओं के विपरीत फडणवीस पर कभी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा है।
 
फडणवीस का राजनीतिक उत्थान 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले शुरू हुआ जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वरिष्ठ भाजपा नेता अमित शाह का समर्थन हासिल किया। मोदी ने एक चुनावी रैली में फडणवीस को ‘नागपुर का देश को उपहार’ बताया था, जो फडणवीस पर उनके विश्वास को दर्शाता था। हालांकि मोदी ने 2014 के लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में धुआंधार प्रचार अभियान चलाया था, लेकिन चुनावों में पार्टी की अभूतपूर्व जीत का कुछ श्रेय तत्कालीन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष फडणवीस को भी गया था।
 
नितिन गडकरी पिता को मानते हैं गुरु 
जनसंघ और बाद में भाजपा के नेता रहे गंगाधर फडणवीस के पुत्र देवेंद्र ने युवावस्था में राजनीति में कदम रखा और 1989 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हुए। पूर्व भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी दिवंगत गंगाधर को अपना ‘राजनीतिक गुरु’ कहते हैं।
सिंचाई घोटाले को लेकर कांग्रेस को घेरा
महाराष्ट्र के सबसे मुखर नेताओं में से एक फडणवीस को कथित सिंचाई घोटाले को लेकर तत्कालीन कांग्रेस-राकांपा सरकार को मुश्किल में डालने का श्रेय भी दिया जाता है।
और फिर मैं वापस आऊंगा
फडणवीस को 2019 के विधानसभा चुनाव में तब झटका लगा जब अविभाजित शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद को लेकर चुनाव पूर्व गठबंधन से हाथ खींच लिया और भाजपा नेता का ‘‘मैं वापस आऊंगा’’ उद्घोष अधूरा रह गया। उन्होंने 23 नवंबर, 2019 को दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और उनके साथ अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद संभाला। हालांकि उच्चतम न्यायालय के आदेश पर अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने से पहले ही फडणवीस ने 26 नवंबर को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। वह महज तीन दिन मुख्यमंत्री रहे।
 
अनिच्छा से उपमुख्‍यमंत्री
शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेतृत्व में उद्धव ठाकरे बाद में मुख्यमंत्री बने, लेकिन जून 2022 में वरिष्ठ शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे द्वारा पार्टी को विभाजित किए जाने के बाद उन्होंने (ठाकरे ने) इस्तीफा दे दिया और बाद में शिंदे मुख्यमंत्री बन गए।
 
शिवसेना में बड़े पैमाने पर उठापटक और ठाकरे के पद छोड़ने के बाद कई राजनीतिक विश्लेषकों का दावा था कि इस घटनाक्रम में फडणवीस का हाथ है और वह मुख्यमंत्री बनेंगे। हालांकि भाजपा की दूसरी योजनाएं थीं और अनिच्छुक फडणवीस को उपमुख्यमंत्री का पद संभालने के लिए कहा गया। उपमुख्यमंत्री के रूप में पिछले ढाई वर्षों का उनका कार्यकाल खास रहा और 23 नवंबर के विधानसभा चुनाव परिणाम उनके लिए बहुप्रतीक्षित उपलब्धि की तरह आए।
फडणवीस के सामने रहेंगी ये चुनौतियां भी रहेंगी
 
चुनाव में किए गए वादों को पूरा करने का साथ-साफ सरकारी खजाने का भी ख्याल रखना होगा। बेरोजगारी और किसानों की चुनौतियों का समाधान तलाशना होगा तो मराठा और ओबीसी बीच संतुलन बनाकर रखने का भी चैलेंज फडणवीस के सामने होगा। इसके अलावा एकनाथ शिंदे और अजित पवार को अपने डिप्टी के रूप में लेकर कुशलता के साथ सरकार चलाना फडणवीस के लिए कम चुनौतीपूर्ण नहीं है। 
लाड़की बहिन योजना का खर्च 
2024 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के अगुवाई वाले महायुति को मिली जीत में सबसे अहम भूमिका ‘लाड़की बहिन योजना’ रही है। शिंदे सरकार ने लाड़की बहिन योजना के तहत महिलाओं को 1500 रुपये प्रति माह दे रही है। योजना लाभ महाराष्ट्र की 2 करोड़ महिलाओं को मिल रहा है। शिंदे सरकार ने वादा किया था कि सत्ता में फिर लौटते हैं तो 1500 को बढ़ाकर 2100 रुपए कर देंगे। इस योजना के तहत महाराष्ट्र सरकार को 45 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।  Edited by : Sudhir Sharma