महाभारत में अभिमन्यु का हत्यारा जयद्रथ, जानिए 6 खास बातें
महाभारत में जयद्रथ की कुरुक्षेत्र के युद्ध में अहम भूमिका थी। उसने कई ऐसे काम किए थे जिसके चलते उसका नाम आज तक लिया जाता है। आओ जानते हैं उसके संबंध में 6 खास बातें।
1. सिंधु सभ्यता महाभारत काल में मौजूद थी। महाभारत में इस जगह को सिन्धु देश कहते थे। इस सिन्धु देश का राजा जयद्रथ था। जयद्रथ कौरवों की ओर से लड़ा था।
2. जयद्रथ का विवाह धृतराष्ट्र की पुत्री दुःश्शाला के साथ हुआ था। इस मान से दुर्योधन का जीजा था जयद्रथ।
3. जुए में अपना सब कुछ गंवा देने के बाद जब पांडव वनवास की सजा काट रहे थे, तब उसकी बुरी नजर अकेली द्रौपदी पर पड़ी। उसने द्रौपदी के समक्ष विवाह प्रस्ताव रखा लेकिन द्रौपदी ने ठुकरा दिया। तब उसने द्रौपदी के साथ जबरदस्ती की और उसे रथ पर ले जाने का दुस्साहस भी किया। लेकिन एन वक्त पर पांडव आ गए और उसे बचा लिया। भीम ने तब जयद्रध की खूब पिटाई की और द्रौपदी के आदेश पर जयद्रथ के सिर के बाल मुंडकर उसको पांच चोटियां रखने की सजा दी और सभी जनता के सामने उसका घोर अपमान करवाया।
4. युद्ध में चक्रव्यूह में अकेला फंसा अभिमन्यु जब रथ का पहिया उठाकर युद्ध कर रहा था। कहते हैं कि वह नौ नौ महारथियों से लड़ रहा था। जयद्रथ के कारण ही अभिम्यु के पीछे आ रहे पांडव चक्रव्यूह में अभिम्यु के मदद के लिए नहीं आ पाए थे क्योंकि जयद्रथ ने सभी को चक्रव्यू में जाने से रोक दिया था। अभिमन्यु के चक्रव्यूह में घुस जाने के बाद जयद्रथ चक्रव्यूह के अंदर घुसने से चारों पांडवों को रोक देता है। इसी कारण अभिम्यु निहत्था ही मारा जाता है।
5. अभिमन्यु की मृत्यु का समाचार जब अर्जुन को मिला तो वे बेहद क्रोधित हो उठे और अपने पुत्र की मृत्यु के लिए शत्रुओं का सर्वनाश करने का फैसला किया। सबसे पहले उन्होंने कल की संध्या का सूर्य ढलने के पूर्व जयद्रथ को मारने की शपथ ली और कहा कि यदि मैं ऐसा नहीं कर पाया तो खुद की चीता बनाकर उसमें भस्म हो जाऊंगा। यह घोषणा सुनकर कौरव पक्ष में हर्ष व्याप्त हो गया और उन्होंने जयद्रथ को छुपा दिया गया, ताकि सूर्यास्त से पहले जयद्रथ का वध न हो पाए और इस तरह अर्जुन खुद ही आत्महत्या कर मारा जाएगा। तब ऐसे में युद्ध यहीं समाप्त होकर कौरव पक्ष विजयी हो जाएगा। लेकिन पांडव पक्ष ने जब यह घोषणा सुनी तो सभी में निराशा और चिंता के बादल छा गए। श्रीकृष्ण ऐसे समय भी मुस्कुरा रहे थे।
6. दिन भर युद्ध चलता रहा लेकिन जयद्रथ कहीं नजर नहीं आया। ऐसा कहते हैं कि तब श्रीकृष्ण ने माया का खेला खेला और वक्त के पहले ही सूर्यास्त कर दिया। युद्ध भूमि में संध्या का अंधेरा छा गया। यह देख अर्जुन आत्मदाह के लिए चिता तैयार करने लगा। दोनों पक्ष के ही योद्धा यह नजारा देखने के लिए गोल घेरा बनाकर खड़े हो गए। कौरवों के चेहरे पर मुस्कुराहट थी। सभी के लिए यह एक तमाशा जैसा हो गया था।
इस बीच जिज्ञासा वश छुपा हुआ जयद्रथ भी हंसते हुए यह नराजा देखने के लिए यह सोचकर बाहर निकल आया कि अब तो सूर्यास्त हो ही गया है। जब श्रीकृष्ण ने जयद्रथ को देखा तो उन्होने अर्जुन को इशारा किया और तभी सभी ने देखा कि सूरज निकल आया है अभी तो सूर्यास्त हुआ ही नहीं है। यह देखकर जयद्रथ घबराकर भागने लगा लेकिन अर्जुन ने उसे भागने का मौका दिए बगैर उसकी गर्दन उतार दी। जय श्रीकृष्णा ।