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Bhishma Niti : भीष्म पितामह की यह 10 नीतियां जो अपनाएगा, वही सफलता पाएगा

Motivational Story
भीष्म ने युद्ध के पहले और बाद में बहुत ही महत्वपूर्ण बातें कही थी। ऐसी कई बातें थी जिसे उन्होंने धृतराष्ट्र, दुर्योधन, कृष्ण, अर्जुन और युधिष्ठिर से कहा था। शरशय्या पर लेटे भीष्म ने युधिष्ठिर को संबोधित करके सभी को उपदेश दिया। उनके उपदेशों में राजनीति, नीति, जीवन और धर्म की गूढ़ बाते होती थी। आओ जानते ही कि भीष्म ने क्या कहा था।
 
 
1. ऐसे वचन बोलो जो, दूसरों को प्यारे लगें। दूसरों को बुरा भला कहना, दूसरों की निन्दा करना, बुरे वचन बोलना, यह सब त्यागने के योग्य हैं। दूसरों का अपमान करना, अहंकार और दम्भ, यह अवगुण है।
 
2. त्याग के बिना कुछ प्राप्त नहीं होता। त्याग के बिना परम आदर्श की सिद्धि नहीं होती। त्याग के बिना मनुष्य भय से मुक्त नहीं हो सकता। त्याग की सहायता से मनुष्य को हर प्रकार का सुख प्राप्त हो जाता है।
 
3. सुख दो प्रकार के मनुष्यों को मिलता है। उनको जो सबसे अधिक मूर्ख हैं, दूसरे उनको जिन्होंने बुद्धि के प्रकाश में तत्व को देख लिया है। जो लोग बीच में लटक रहे हैं, वे दुखी रहते हैं।
 
4. जो पुरुष अपने भविष्य पर अधिकार रखता है (अपना पथ आप निश्चित करता है, दूसरों की कठपुतली नहीं बनता) जो समयानुकूल तुरन्त विचार कर सकता है और उस पर आचरण करता है, वह पुरुष सुख को प्राप्त करता है। आलस्य मनुष्य का नाश कर देता है।
 
5. सनातन काल से जब-जब किसी ने स्त्री का अपमान किया है, उसका निश्चित ही विनाश हुआ है। भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया कि, स्त्री का पहला सुख उसका सम्मान ही है। उसी घर में लक्ष्मी का वास रहता है, जहां स्त्री प्रसन्न रहती है। जिस घर में स्त्री का सम्मान न हो और उसे कई प्रकार के दुःख दिए जाते हो, उस घर से लक्ष्मी सहित अन्य देवी-देवता भी चले जाते हैं।
 
6. भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया कि जब नदी पूरे वेग के साथ समुद्र तक पहुंचती है तो बड़े से बड़े वृक्ष को बहाकर अपने साथ ले जाती है। एक बार समुद्र ने नदी से पूछा कि तुम्हारा जल प्रवाह इतना तेज और शक्तिशाली है कि उसमें बड़ा से बड़ा पेड़ बह जाता है लेकिन ऐसा क्या है कि छोटी घास, कोमल बेल और नरम पौधों को बहाकर नहीं ला पाती? नदी ने कहा कि जब मेरे जल का बहाव आता है तो बेलें अपने आप झुक जाती है। किंतु पेड़ अपनी कठोरता के कारण यह नहीं कर पाते हैं, इसीलिए मेरा प्रवाह उन्हें उखाड़कर बहा ले आता है।
 
7. महाभारत के युद्ध के पहले जब श्रीकृष्ण संधि के लिए हस्तिनापुर आए थे तब भीष्म ने दुर्बुद्धि दुर्योधन को यह कहकर समझाया था कि जहां श्रीकृष्ण है, जहां धर्म है, उसी पक्ष की जीत होनी निश्चित है। इसलिए बेटा दुर्योधन! भगवान कृष्‍ण की सहायता से तुम पांडवों के साथ संधि कर लो, यह संधि के लिए बड़ा अच्छा अवसार हाथ आया है। व्यक्ति को सदा धर्म की ओर ही रहना चाहिए।
 
8. भगवाद श्रीकृष्‍ण की तरह भीष्म पितामह ने भी कहा था कि परिवर्तन इस संसार का अटल नियम है और सबको इसे स्वीकारना ही पड़ता है क्योंकि कोई इसे बदल नहीं सकता।
 
9. भीष्म पितामह ने कहा था कि एक शासक को अपने पुत्र और अपनी प्रजा में किसी भी प्रकार का कोई भी भेदभाव नहीं रखना चाहिए। ये शासन में अडिगता और प्रजा को समृद्धि प्रदान करता है।
 
10. भीष्म पितामह ने कहा था कि सत्ता सुख भोगने के लिए नहीं, अपितु कठिन परिश्रम करके समाज का कल्याण करने के लिए होता है।
 
संदर्भ- महाभारत
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