वागर्थ : नवंबर 2008
अंक - 160
संपादक : एकांत श्रीवास्तव/कुसुम खेमानी प्रकाशक : डॉ. कुसुम खेमानीपता : वागर्थ भारतीय भाषा परिषद36-
ए ,शेक्सपियर सरणी ,कोलकाता 700017फोन : 033- 2287 9962, 32930659मोबाइल : 093324 28635 वातायनयह मुलक हमारा भी है क्याविजेंद्र की कविता में चरित्र : तस्वीरन अब बड़ी हो चली तथा अन्य कविताएँ बतरस विदेशी धरती पर हमारे मंदिरों के ठाठस्मरण वेणु गोपाल : हवाएँ चुप भी रहती हैं : संपादकीय टिप्पणीप्रभा खेतान : एक और आकाश की खोज में उनका अनंत सफ़र : अरुण माहेश्वरीसंवाद रचनाकार और आलोचक दोनों कवि के भीतर जुड़वाँ भाई की तरह रहते हैं प्रख्यात कवि केदारनाथ सिंह से सत्येंद्र पांडेय, कुसुम खेमानी एवं एकांत श्रीवास्तव की बातचीतकविता केदारनाथ सिंह : फसल, सार्त्र की कब्र परगीत शलभ श्रीराम सिंह : धड़कनों में कहीं, स्वातंत्र्योत्तर भारत, ताल भर सूरज, एक और नया गीत, अब तक यात्रा मेंकथा साहित्य सूर्यबाला : जब हम घर नहीं, एक सपने में रहते थे...रामकुमार उपाध्याय : भवदीय नंगर चंद्र (बांग्ला कहानी)अनु. सोमा बंदोपाध्यायदीपक शर्मा : मिर्च का दानाप्रमिला वर्मा : लिटिल ईज़कविता शिवकुटी लाल वर्मा : रचना, नसीब लोकतंत्र का, संवेदना के सीमान्तों मेंनीलाभ : कविनामा - आलोकधन्वा, राजेश जोशी, नरेंद्र जैन, विनोद कुमार शुक्ल और विष्णु खरे के लिए पाँच कविताएँनवल : तुमने मेरे पथरीले घर में कदम रखा, सरो के दरख्त जैसी रोशनी मेरे सामने है, मैं मान लेता हूँ कि मेरे पास कहने के लिए नया कुछ नहीं, कड़ी धूप में बादल के टुकड़े के नीचे, हर रात लौटते हुए सोचता हूँ, कई बार मैंने अपने दिल से कहा। राजेंद्र उपाध्याय : प्रेम पत्र, रोटी, कवि का नंबर, आ गएलाल्टू : ये जो फल हैं, किन कोनों में छिपाओगे, आदतन ही बीत जाएगा दिन, एक दिन, कल चिंताओं से रात भर गुफ़्तगू कीआनंद संगीत : खेल, एक पेड़ ही बचा
आलेख : राजेश्वर सक्सेना : फ्रांस के दर्शन में संकटनीलकांत : हम सुख़न फ़हम हैं, ग़ालिब के तरफ़दार नहींग़ालिब और 1857 संस्मरणकनक तिवारी : प्रमोद वर्मा : बेतरतीब यादेंकवितानिर्मला पुतुल : मर के भी अमर रहते हैं सचाई के लिए लड़ने वाले, बाँस, अब आम आदमी को नसीब नहीं होता आम, बाघ, मैंने अपने आँगन में गुलाब लगाएआभा : बहनें, सच, माँ से बातें, यहाँगीत चतुर्वेदी : बच्ची की कहानी, प्रश्न, अमूर्त्त, प्रेम कविता, फील गुडदेवांशु पाल : गाँधी चौक सौमित्र सक्सेना : खुशबू, आवरण, विदापरख राजेश जोशी : छगनबा दमामी और अन्य कविताएँ (कविता संग्रह) : देवव्रततरसेम गुजराल : राम कथा एक पुनर्पाठ (विमर्श) : विनोद शाहीरेशमी पांडा मुखर्जी : कहानियाँ : नौ भागों में (कहानी संग्रह) : सुधानिशांत : खबर का मुँह विज्ञापन से ढँका है (कविता संग्रह) : लीलाधर जगूड़ी ईश्वर को मोक्ष (कविता संग्रह) : नीलाभसामान की तलाश (कविता संग्रह) : असद ज़ैदीअश्विनी कुमार : दुख चिट्ठीरसा है (कविता संग्रह) : अशोक वाजपेयीसांस्कृतिक गतिविधियाँ : झरोखा : नई पुस्तकें लोकमत : चिट्ठियाँमूल्य : 20 रु.