मंगलवार, 19 नवंबर 2024
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Written By Author वृजेन्द्रसिंह झाला

आम आदमी से ज्यादा सरकार के 'राजस्व' की चिंता क्यों?

आम आदमी से ज्यादा सरकार के 'राजस्व' की चिंता क्यों? - Why worry about the revenue of the government more than the common man?
इंदौर समेत मध्यप्रदेश के सभी शहरों में शराब की दुकानें तो खोल दी गई हैं, लेकिन बहुत से ऐसे व्यवसाय भी हैं जो 'तालाबंदी' का शिकार हैं। इंदौर शहर की ही बात करें तो यहां किराना दुकानों को 12 बजे तक खोलने की छूट दी गई है, वहीं शराब दुकानों को सुबह 8 से 5 बजे तक खोलने की अनुमति है।
 
इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रदेश और देश को चलाने के लिए राजस्व जरूरी होता है, लेकिन क्या आम आदमी को धन की जरूरत नहीं पड़ती? ... और शराब जिसे एक सामाजिक बुराई माना जाता है, उसकी दुकानों को खोलने के लिए किराना दुकानों से भी ज्यादा समय देना क्या सही है? क्या शराब की दुकानों पर जाने वाले लोगों से कोरोना नहीं फैलेगा? ऐसे और भी कई सवाल हो सकते हैं, लेकिन इनका जवाब किसी के पास भी नहीं है। क्योंकि पिछले लॉकडाउन में भी इस तरह के सवाल उठे थे। 
 
कपड़ा बाजार, सर्राफा बाजार, रेस्टोरेंट, इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की दुकानों समेत कई ऐसे व्यवसाय हैं, जिनसे न सिर्फ व्यापारियों का बल्कि उन दुकानों पर काम करने वाले हजारों लोगों का रोजगार जुड़ा हुआ है। इस तरह के लोग अभी पिछले लॉकडाउन का ही कर्जा नहीं चुका पाए हैं, इस बार के लॉकडाउन ने इनकी मुसीबत को और बढ़ा दिया है।
 
क्या कहते हैं कानूनविद : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व जज सुशील कुमार गुप्ता वेबदुनिया से बातचीत में सवाल उठाते हैं कि क्या शराब दुकानों पर लगने वाली भीड़ से कोरोना नहीं फैलता? वे कहते हैं कि लोगों के काम-धंधे चौपट हो गए हैं, सरकार ने खुद के राजस्व के लिए शराब दुकानें तो खोलने की अनुमति दे दी है, लेकिन आम लोगों की रोजी-रोटी का क्या होगा। इस तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए। 
लॉकडाउन तोड़ने गिरफ्तारी और मारपीट जैसी घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए न्यायमूर्ति गुप्ता कहते हैं कि इस तरह के मामलों में कानूनी प्रक्रिया का पूरा पालन किया जाना चाहिए। कानून से ऊपर कोई भी नहीं है। 
 
टेलरिंग का काम करने वाले वीरेन्द्र सिंह कहते हैं कि इन दिनों मकान किराया और घर का खर्च उठाने में बहुत मुश्किल हो रही है। कर्जा भी काफी हो गया है। इसी तरह ड्राइविंग स्कूल चलाने वाले अजय ने बताया कि कार फाइनेंस से ली हुई है, दुकान किराए की है, मकान भी किराए का है। इन सब चीजों को मैनेज करना काफी मुश्किल हो रहा है। 
 
क्या कहते हैं मनोरोग विशेषज्ञ : वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. रामगुलाम राजदान कहते हैं कि जिस तरह से लोगों के रोजगार और धंधे चौपट हुए हैं, उससे मनोरोगियों की संख्या में इजाफा संभावित है। सरकार को चाहिए कि वह इस तरह के लोगों की समस्याओं पर गंभीरता से ध्यान थे।
 
क्या कहा था विधायक ने : उल्लेखनीय है कि इंदौर के क्षेत्र क्रमांक 3 के विधायक आकाश विजयवर्गीय ने कहा था कि मध्यप्रदेश सरकार शराबबंदी करना चाहती है, लेकिन कोरोना के चलते लोगों के इलाज में काफी खर्च हो रहा है, ऐसे में राजस्व जुटाने के लिए शराब की दुकानें खोली गई हैं। हाल ही में पूर्व जस्टिस रमेश गर्ग ने भी सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए शासन-प्रशासन के नियम कायदों की आलोचना की थी।