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Last Modified: गुरुवार, 3 अक्टूबर 2024 (12:25 IST)

हवस का पुजारी ही क्यों, मौलवी क्यों नहीं, बोले पं.धीरेंद्र शास्त्री, विरोध करने वालों को बताया नालायक

हवस का पुजारी ही क्यों, मौलवी क्यों नहीं, बोले पं.धीरेंद्र शास्त्री, विरोध करने वालों को बताया नालायक - Uproar over Pandit Dhirendra Shastri statement
भोपाल। अपने बयानों के कारण अक्सर चर्चा में रहने वाले बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वेर पंडित धीरेंद्र शास्त्री एक बार फिर चर्चा में है। बिहार के बोधगया में एक कार्यक्रम में पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि बेहद सुनियोजित तरीके से हिंदुओं का ब्रेन वॉश किया गया। उन्होंने आगे कहा कि हमने हवस का पुजारी सुना है, लेकिन हवस का मौलवी क्यों नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि हम जातिवाद के बिल्कुल भी पक्ष में नहीं है। हम सिर्फ हिंदुत्व के पक्ष में है।

पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने आगे कहा कि आपने कभी भी किसी मुसलमान को अपने मौलवियों की हंसी उड़ाते या उनका मजाक बनाते नहीं देखा होगा, केवल हम ही लोग ऐसा करते हैं। हमारे दिमाग में बहुत ही प्रायोजित तरीके से ऐसे शब्दों को पहुंचाया और भरा गया है। पंडित शास्त्री ने कहा कि हम किसी के विरोध में नहीं हैं लेकिन हमारे मंदिरों को पाखंड की दुकान कहा जाता रहा है, साधु- संतों को सरेआम ढोंगी-पाखंडी बताया जाता रहा है।

वहीं बागेश्वर बाबा के बयान पर अब मुस्लिम धर्मगुरुओं ने कड़ी आपत्ति जताई है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के मौलाना शहाबुद्दीन ने बागेश्वर बाबा के बयान को आपत्तिजनक बताते हुए नफरती करार दिया है। उन्होंने कहा कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री हमेशा आपत्तिजनक बातें करते हैं। यह उनकी सोच को दर्शाता है। उन्हें हमेशा अच्छी बात बोलनी चाहिए। उन्होंने सभी धर्म के प्रचारकों को कठघरे में खड़ा कर दिया है।

विरोध करने वाले नालायक-वहीं अपने बयान का विरोध करने वाले को पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने नालायक बताया है। उन्होंने कहा यह नालायक है, इनको ज्ञान नहीं है। हमने किसी भी मजहब और किसी भी धर्म गुरु को नहीं बोला। हमनें अपने सनातनियों को जगाने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि प्रयोजित तरीके से हमारे हिंदुओं का ब्रेनवॉश किया जाता है। इसलिए सनतानियों को जगाने के हिंदुत्व के नाते बताया है। बोलचाल में सिर्फ हवस का पुजारी ही क्यों होता है, पुजारी हमारे सनातन धर्म का सबसे बडा पद है, सनातन धर्म में उसका सम्मान है और पूजा करते है। हवस का पादरी क्यों नहीं होता, हवस का मौलाना क्यों नहीं होता। अगर यह बोल दिया है तो लोगों को दिक्कत होने लगी है।
 
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