सिंधिया राजवंश के करोड़ों के आभूषणों से गोपाल मंदिर में राधा-कृष्ण का श्रृंगार
श्रद्धालु कर रहे ऑनलाइन दर्शन
देश भर में कृष्ण जन्माष्टमी की धूम है। कोरोना के चलते इस बार मंदिरों में हर साल की तरह श्रद्धालुओं का भीड़ नहीं है लेकिन कन्हैया के आगमन के लिए मंदिरों को हर साल की तरह इस बार भी विशेष तौर पर सजाया गया है।
ग्वालियर के फूलबाग स्थित गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी पर राधा-कृष्ण का करोड़ों की कीमत के हीरे जवाहरात से विशेष श्रृंगार किया गया है। सिंधिया राजवंश के यह आभूषण हीरे और पन्ना जड़ित हैं और आज इनकी कीमत 100 करोड़ के आसपास आंकी जाती है।
सिंधिया राजवंश के ये बेशकीमती प्राचीन ज्वैलरी मध्यभारत की सरकार के समय गोपाल मंदिर को सौंप दिए गए थे। जन्माष्टमी के मौके पर हर साल जिला कोषालय से कड़ी सुरक्षा के बीच इनको मंदिर लाया जाता है और फिर राधाकृष्ण का विशेष श्रृंगार किया जाता है।
इस दौरान मंदिर की सुरक्षा के लिए बड़े पैमाने पर पुलिस बल की तैनाती की जाती है। कोरोना के चलते इस बार मंदिर में श्रद्धालुओं की एंट्री पर रोक लगी हुई है और श्रृंगार के बाद श्रद्धालु फेसबुक लाइव के जरिए दर्शन कर पा रहे है।
भगवान के जेवरातों में राधाकृष्ण का सफेद मोती वाला पंचगढ़ी हार, सात लड़ी हार, जिसमें 62 असली मोती और 55 पन्ने लगे हैं। इसके साथ राधा रानी के मुकुट में 16 ग्राम पन्ना रत्न लगे हुए हैं। भगवान के भोजन के लिए सोने, चांदी के प्राचीन बर्तन भी हैं। गोपाल मंदिर में स्थापित भगवान राधाकृष्ण की प्रतिमा को इन ज्वैलरी से सुसज्जित करने की परंपरा आजादी के पूर्व से चली आ रही है।