ज्योतिरादित्य सिंधिया ने विजयपुर में चुनाव प्रचार नहीं करने का खोला राज, भाजपा की हार पर दिया बड़ा बयान
भोपाल। विजयपुर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार और कैबिनेट मंत्री रामनिवास रावत की हार के बाद अब पार्टी में गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है। विजयपुर में भाजपा की हार और उपचुनाव में प्रचार नहीं करने पर पहली केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बोलते हुए कहा अगर मुझे कहा जाता, तो मैं जरूर जाता। सिंधिया के इस बयान प्रदेश के सियासी पारे को गर्मा दिया है।
ग्वालियर-चंबल के चार दिन प्रवास पर शनिवार रात ग्वालियर पहुंचे कैबिनेट मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से जब मीडिया ने सवाल किया कि लोग कह रहे है कि महाराज के नहीं जाने से विजयपुर में भाजपा की हार हुई है, तो इस पर सिंधिया ने कहा कि “इस पर हमें चिंतन करना होगा, जरुर चिंता की बात है और अगर मुझे कहा जाता तो मैं जरूर जाता”। यहां पर यह गौर करना होगा कि भाजपा ने विजयपुर और बुधनी उपचुनाव को लेकर जो स्टार प्रचारकों की सूची जारी की उसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम छठवें स्थान पर था।
सिंधिया ने विजयपुर से क्यों बनाई थी दूरी?-विजयपुर उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार रामनिवास रावत की गिनती साल 2020 से पहले सिंधिया समर्थक नेता के तौर पर होती थी लेकिन मार्च 2020 में जब सिंधिया अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हुए तो रामनिवास रावत कांग्रेस में ही रहे। वहीं इस साल लोकसभा चुनाव के दौरान रामनिवास रावत कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए। रामनिवास रावत की भाजपा में एंट्री की पूरी जमावट विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने की थी।
वहीं विजयपुर उपचुनाव की पूरी कमान विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने संभाल रखी थी ग्वालियर-चंबल की सियासत में सिंधिया और तोमर की सियासी अदावत किसी से छिपी नहीं है औ यहीं कारण है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित उनके गुट के सभी नेताओं ने पूरे चुनाव से दूरी बना ली थी। भाजपा के स्टार प्रचारक होने के बाद भी सिंधिया का विजयपुर में एक भी चुनावी रैली नहीं करना भी सियासी गलियारों में काफी चर्चा में रहा। वहीं सिंधिया गुट का कोई भी बड़ा नेता विजयपुर में चुनाव प्रचार करने नहीं पहुंचा। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों ने जिस तरह से उपचुनाव से दूरी बनाई उसका असर सीधे चुनाव परिणाम पर देखने को मिला।
रामनिवास रावत ने भी कहीं भितरघात की बात-वहीं विजयपुर उपचुनाव में भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ता कांग्रेस से भाजपा में आए रामनिवास रावत को स्वीकार नहीं कर पाए और पूरे चुनाव के दौरान भाजपा के कोर कार्यकर्ता सक्रिय नजर नहीं आए, यह भाजपा की हार का बड़ा कारण बना। चुनाव में हार के बाद खुद रामनिवास रावत ने चुनाव में भितराघात होने की बात कही थी। मीडिया से बात करते हुए रामनिवास रावत ने कहा कि कुछ लोगों को उनका मंत्री पद रास नहीं आया और उन्होंने लोगों के साथ भाजपा के मूल कार्यकर्ताओं को बरगलाया। रामनिवास रावत ने कहा कि कुछ लोगों ने भाजपा के मूल कार्यकर्ताओं को बरगलाया कि इसे आगे बढ़ने से यह अपने लोगों को ही आगे बढ़ाएगा।