कम्प्यूटर बाबा की जमानत अर्जी खारिज, बंदूक के बारे में जेल में होगी पूछताछ
इंदौर। जबरन घर में घुसकर एक व्यक्ति पर तलवार से हमले के प्रयास के मामले में जिला अदालत ने विवादास्पद धार्मिक नेता कम्प्यूटर बाबा को जमानत पर रिहा करने से मंगलवार को इंकार कर दिया।
प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट (जेएमएफसी) एमपी सिंह ने दोनों पक्षों की दलीलों पर गौर करने के बाद नामदेव दास त्यागी (कम्प्यूटर बाबा का असली नाम) की जमानत अर्जी खारिज कर दी। इसके साथ ही 54 वर्षीय धार्मिक नेता को 28 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश दिया।
इससे पहले एक दिन की पुलिस हिरासत अवधि खत्म होने के बाद शहर की एरोड्रम थाना पुलिस ने कम्प्यूटर बाबा को अदालत में पेश किया था। अधिकारियों ने बताया कि एरोड्रम थाने में दर्ज मामले में कम्प्यूटर बाबा और उनके कुछ साथियों पर आरोप है कि उन्होंने राजेश खत्री नाम के व्यक्ति के घर में जबरन घुसकर ना केवल उससे गाली-गलौज और मारपीट की, बल्कि उस पर तलवार से हमले का प्रयास भी किया।
खत्री का आरोप है कि यह घटना करीब डेढ़ महीने पहले इसलिए हुई क्योंकि उन्होंने कम्प्यूटर बाबा के अम्बिकापुरी एक्सटेंशन स्थित आश्रम में चलने वाली अनैतिक गतिविधियों को लेकर विवादास्पद धार्मिक नेता के सामने आपत्ति जताई थी।
सरकारी वकील विमल मिश्रा ने बताया कि कम्प्यूटर बाबा की पुलिस हिरासत अवधि के दौरान वह तलवार बरामद कर ली गई है जो इस अपराध में इस्तेमाल की गई थी।
मिश्रा ने यह भी बताया कि एक अन्य अदालत ने दूसरे मामले में गांधी नगर पुलिस को अनुमति दी है कि वह जेल में न्यायिक हिरासत के तहत बंद कम्प्यूटर बाबा से बुधवार को पूछताछ कर सकती है। उन्होंने बताया कि इस मामले में कम्प्यूटर बाबा और उनके कुछ साथियों पर अनुसूचित जाति वर्ग से ताल्लुक रखने वाले एक ग्राम पंचायत सचिव से 8 नवंबर को अभद्रता, मारपीट और गाली-गलौज के आरोप हैं।
प्राथमिकी में यह आरोप भी है कि विवादास्पद धार्मिक नेता ने जम्बूर्डी हप्सी गांव की पंचायत के इस सचिव पर बंदूक तानी और जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए उसे जान से मारने की धमकी दी। सरकारी वकील ने बताया कि जेल में पूछताछ के दौरान कम्प्यूटर बाबा से इस अपराध में इस्तेमाल बंदूक के बारे में भी सवाल किए जाएंगे।
अधिकारियों ने बताया कि पुलिस और प्रशासन के दल ने इंदौर शहर से सटे जम्बूर्डी हप्सी गांव में सरकारी जमीन पर बने कम्प्यूटर बाबा के कथित रूप से अवैध आश्रम को आठ नवंबर को ढहा दिया था।
इसके साथ ही भाजपा और कांग्रेस की पिछली सरकारों में राज्यमंत्री के दर्जे से नवाजे गए धार्मिक नेता को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 151 (संज्ञेय अपराध घटित होने से रोकने के लिए की जाने एहतियातन गिरफ्तारी) के तहत सीधे जेल भेज दिया गया था।
उन्होंने बताया कि इस कार्रवाई के बाद कम्प्यूटर बाबा के खिलाफ गांधी नगर और एरोड्रम क्षेत्रों के पुलिस थानों में दो आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे। (भाषा)