RSS को मना पाएंगे BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा, केरल बैठक में संघ-भाजपा समन्वय पर होगी चर्चा?
केरल के पलक्कड़ में आज से आरएसएस की तीन दिवसीय बड़ी बैठक शुरु हो गई है। तीन दिन तक चलने वाली इस बैठक को संघ और भाजपा के बीच नए सिरे से समन्वय स्थापित करने के तौर पर देखा जा रहा है। लोकसभा चुनाव के बाद समन्वय को लेकर हो रही बैठक को अहम माना जा रहा है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष शामिल हो रहे है। बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष औऱ केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा भी शामिल हो रहे है। तीन दिवसीय इस बैठक में आरएसएस और उससे जुड़े अनुषांगिक संगठनों के बीच समन्वय बढ़ाने पर भी विशेष चर्चा होगी। बैठक में आरएसएस से जुड़े 32 अनुषांगिक संगठन के प्रतिनिधि शामिल हो रहे है।
गौरतलब है कि आरएसएस का यह मंथन ऐसे समय हो रहा है जब जम्मू कश्मीर और हरियाणा में विधनसभा चुनाव चल रहे है और और महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर उलटी गिनती शुरु हो गई है। लोकसभा चुनाव के बाद इन चारों राज्यों में विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती है। जम्मू कश्मीर और हरियाणा में जमीनी स्थिति से भाजपा के पक्ष में नहीं है, ऐसे में भाजपा को संघ से बहुत उम्मीद है, यहीं कारण है कि संघ से आने वाले राममाधव को जम्मू कश्मीर का चुनाव प्रभारी बनाया गया है। गौरतलब है कि राम माधव लंबे समय से भाजपा में लूप लाइन में थे।
वहीं लोकसभा चुनाव में अपेक्षित परिणाम नहीं मिलने के पीछे आरएसएस और भाजपा के बीच समन्वय की कमी को भी एक कारण माना गया था। चुनाव के दौरान जिस तरह से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संघ को लेकर बयान दिया उससे भाजपा और संघ के बीच की तल्खी को जगजाहिर कर दिया था। दरअसल लोकसभा चुनाव के दौरान अपने एक इंटरव्यू में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि पहले हम इतनी बड़ी पार्टी नहीं थे और अक्षम थे। हमें आरएसएस की जरूरत पड़ती थी, लेकिन आज हम काफी आगे बढ़ चुके हैं और अकेले दम पर आगे बढ़ने में सक्षम हैं। इंटरव्यू के दौरान जब भाजपा अध्यक्ष से पूछा गया कि क्या भाजपा को अब आरएसएस के समर्थन की जरूरत नहीं है।
भाजपा और संघ की बीच इस तल्खी का खामियाजा भाजपा को उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्यों में उठाना पड़ा था। भाजपा उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में मात्र 35 सीटों पर जीत हासिल कर सकी। दरअसल भाजपा के लिए आरएसएस जो जमीन पर काम करता है, उसका फायदा भाजपा को चुनाव में होता है, लेकिन इस बार संघ वैसा एक्टिव नहीं रहा है जैसा वह 2014 और 2019 मे था।
तीन दिवसीय इस बैठक में सरसंघचालक मोहन भागवत समेत 32 से अधिक अनुषांगिक संगठनों से जुड़े 320 प्रतिनिधि बैठक में मौजूद है। बैठक से पहले आरएसएस नेता सुनील आंबेकर के अनुसार बैठक में बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रही हिंसा के साथ-साथ सभी समसामयिक मुद्दों और घटनाओं पर चर्चा होगी और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि उन पर अपनी-अपनी राय देंगे। इन मुद्दों पर पूरे संघ परिवार के एकजुट होकर काम करने की रणनीति पर भी चर्चा होगी।