मंगलवार, 26 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. चुनाव 2023
  2. विधानसभा चुनाव 2023
  3. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023
  4. BJP will contest elections in Madhya Pradesh on the face of Chief Minister Shivraj Singh Chouhan
Written By Author विकास सिंह
Last Modified: गुरुवार, 18 मई 2023 (15:08 IST)

कर्नाटक में भाजपा की हार के बाद मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में शिवराज का चेहरा बना जरूरी 'मजबूरी'?

कर्नाटक में भाजपा की हार के बाद मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में शिवराज का चेहरा बना जरूरी 'मजबूरी'? - BJP will contest elections in Madhya Pradesh on the face of Chief Minister Shivraj Singh Chouhan
Madhya Pradesh Political News: कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री के चेहरे में बदलाव का भाजपा का फॉर्मूला बुरी तरह खारिज होने के बाद अब चुनावी राज्य मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh Election 2023) में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर लंबे समय से लग रही अटकलों पर लगभग विराम लग गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) इन दिनों जिस आत्मविश्वास से लबरेज दिखाई दे रहे है, वह इस बात का साफ संकेत है कि अब पार्टी उनके ही नेतृत्व में चुनावी मैदान में उतरने जा रही है।
 
कर्नाटक में भाजपा की हार के बाद मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर चुनावी मैदान में उतरना क्यों जरूरी मजबूरी बन गया है, इसको सिलसिलेवार समझते है।  
 
ओबीसी वोटरों पर शिवराज का मबजूत पकड़-कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य में बड़ा वोट बैंक रखने वाले लिंगायत समुदाय के बड़े नेता बीएस येदियुरप्पा को  मुख्यमंत्री पद से हटाकर एसआर बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया था। कर्नाटक विधानसभ चुनाव के नतीजें बताते है चुनाव में लिंगायत का बड़ा वोट बैंक भाजपा से खिसक गया, जिसके चलते चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। 
 
वहीं अगर मध्यप्रदेश की राजनीति की बात की जाए तो मध्यप्रदेश में कुल वोटर्स में ओबीसी वोटर्स की संख्या 48 फीसदी है और शिवराज सिंह चौहान राज्य में ओबीसी के सबसे बड़े चेहरे है। मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग के 27 फीसदी आरक्षण देने का मामला जिस तरह से लगातार गर्माता रहा है, ऐसे में पार्टी शिवराज सिंह चौहान को लेकर कोई भी फैसला लेकर ओबीसी के बड़े वोट बैंक को नाराज नहीं करना चाहेगी। 

पिछले साल हुए पंचायत और निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के मुद्दे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिस अंदाज में सरकार की ओबीसी हितैषी छवि को जनता के सामने रखा उससे ठीक चुनाव से पहले वह सरकार की ओबीसी हितैषी छवि का एक बड़ा संदेश देने में कामयाब हो गए है। पिछले दिनों सागर में ओबीसी वर्ग में आने वाले कुशवाहा समाज के सम्मेलन में शिरकत कर शिवराज ने बड़े वोट बैंक को साधने की कोशिश की। 

डबल इंजन सरकार के मजबूत चेहरे शिवराज- विधानसभा चुनाव में भाजपा डबल इंजन की सरकार के नारे के साथ चुनावी मैदान में है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार अपने लोकलुभावन फैसले  जैसे मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना, मुख्यमंत्री युवा कौशल कमाई योजना के साथ मजबूत सरकार की छवि गढ़ने का पूरा प्रयास कर रहे है। सौम्य और उदारवादी छवि वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनाव से पहले ठीक पहले भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों मे फैसला ऑन द स्पॉट कर रहे है।

बुधवार को पृथ्वीपुर में कार्यक्रम में पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से जब स्थानीय लोगों ने आरटीओ की शिकायत की तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंच से उनको संस्पेंड कर दिया। वहीं चुनावी साल में शिवराज का बदला अंदाज-चुनावी साल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के तेवर एकदम बदले हुए है। कार्यक्रमों में हाथ में माइक लेकर जनता के बीच जाकर संवाद करने वाले शिवराज लोगों की शिकायतों को सुन रहे है और त्वरित कार्रवाई कर रहे है। 
 
बात चाहे कानून व्यवस्था की हो या सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं को लाभार्थी तक पहुंचाने की शिवराज कोई भी ढील देने के मूड में नहीं दिखाई दे रहे है। मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से मुकाबले में भाजपा का सबसे बड़ा मुद्दा ‘मजबूत सरकार’ और ‘लाभार्थी’ होने जा रहा है, ऐसे में शिवराज अपनी लगातार बैठकों से प्रशासनिक स्तर पर कामकाज में कसावट लाकर जनता को सीधा संदेश देना चाह रहे है।

विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान में ‘मजूबत सरकार’ और ‘लाभार्थी’ भाजपा के चुनावी एजेंडे में सबसे उपर होंगे और चुनाव से ठीक पहले शिवराज सिंह चौहान इस सभी मोर्चों पर एक साथ काम कर विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत दिलाने की जमीन तैयार कर रहे है। 
शिवराज को मिला मोदी-संघ का साथ- देश में भाजपा के सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का रिकॉर्ड बनाने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ की कसौटी पर पूरी तरह खरा उतरते है। चुनावी साल में प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी का लगातार मध्यप्रदेश के कार्यक्रमों में वर्चुएल और एक्चुअल  रूप से शामिल होना और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तारीफ करना भी इस बात के साफ संकेत है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की चुनाव में भाजपा के सबसे बड़े चेहरे होंगे। 
 
उज्जैन में श्री महाकाल लोक के भव्य लोकार्पण कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंच पर खुलकर तारीफ की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री महाकाल लोक के भव्य निर्माण के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तारीफ करते हुए कहा था कि “श्री महाकाल लोक के भव्य निर्माण के लिए विशेष रूप से भाई शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार का हद्य से अभिनंदन करता हूं,जो लगातार इनते समर्पण से इस सेवा यज्ञ में लगे हुए है”। 
 
वहीं मध्यप्रदेश में चुनाव में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूरी तरह शिवराज सिंह चौहान के साथ है। पिछले दिनों भपाल में मुख्यमंत्री निवास पर संघ से जुड़े  संगठनों के पदाधिकारियों से मिलकर चुनाव से पहले उनका फीडबैक लिया।
 
भरोसेमंद और जननेता की छवि वाला सियासी कद-मध्यप्रदेश बतौर मुख्यमंत्री अपनी चौथी पारी खेल रहे शिवराज सिंह चौहान की छवि एक जननेता की है। पांव-पांव भैय्या के नाम जाने पहचाने जाने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पूरे प्रदेश में जमीनी पकड़ है और आज मध्यप्रदेश की राजनीति में उनके कद के बराबर दूसरा नेता नजर भी नहीं आता है। ऐसे में जब कांग्रेस कमलनाथ को भावी मुख्यमंत्री के तौर पर चुनाव में प्रोजेक्ट कर रही है तब चुनाव में भाजपा के समाने उसी कद चेहरे को उतारना सियासी मजबूरी है।  
 
वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह खुद को पार्टी के एक अनुशासित कार्यकर्ताओं के रूप में पेश कर करते है। शिवराज को जब भाजपा संसदीय बोर्ड से हटाया गया और उनके सियासी भविष्य को लेकर कई सवाल उठ रहे थे,तब उन्होंने मीडिया के एक सवाल पर कहा था कि “मुझे कतई अहम नहीं है कि मैं बहुत योग्य हूं। मैं तो पार्टी का आभारी हूं कि इतने साल से इतने काम मुझे दिए है। अगर कल मुझे दरी बिछाने का काम दे दिया जाएगा तो शिवराज सिंह चौहान दरी बिछाने का काम भी राष्ट्रीय पुनर्निर्माण का हिस्सा मानकर करेगा"।
 
दरअसल मध्यप्रदेश में भाजपा ने 2018 का विधानसभा चुनाव शिवराज सिंह चौहान के  चेहरे पर लड़ा था और चुनाव परिणाम भाजपा के खिलाफ गए थे। ऐसे में प्रदेश के सियासी गलियारों में लंबे समय से इस बात की अटकलें लगाई जा रही थी कि भाजपा क्या 2023 का विधानसभा चुनाव फिर शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर लड़ेगी या एंटी इंकमबेंसी के चलते भाजपा नए चेहरे के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी। ऐसे में  जब अब कर्नाटक  विधानसभा चुनाव में  भाजपा को करारी हार मिल चुकी है और लोकसभा चुनाव से पहले साल के अंत में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव जो लोकसभा चुनवा से पहले सेमिफाइनल के तौर पर देखे जाएंगे वहां पर अकेले मध्यप्रदेश में ही भाजपा सत्ता में काबिज है, ऐसे में अब इस बात की संभावना बहुत कम है कि पार्टी चुनाव से पहले कोई बड़ा निर्णय ले पाएगी।
 
ये भी पढ़ें
कमलनाथ का एक और चुनावी दांव, सरकार में आने पर 100 यूनिट बिजली माफ, 200 यूनिट तक मिलेगी हाफ