उपवास के वैज्ञानिक फायदे
दुनिया भर की संस्कृतियों में उपवास रखा जाता है। इसके कई फायदे हैं। विज्ञान तो इसे बीमारियों के खिलाफ कारगर हथियार भी मान रहा है।
कैसे हुई रिसर्च
जर्मनी के दो प्रतिष्ठित संस्थानों DZNE और हेल्महोल्ज सेंटर के साझा शोध में उपवास संबंधी कई जानकारियां सामने आयी हैं। वैज्ञानिकों ने चूहों के दो ग्रुप बनाये। एक को उपवास कराया और दूसरे को नहीं।
शरीर को फायदा
भोजन के बीच में लंबा अंतराल रखना, यानि एक दिन उपवास रखते हुए सिर्फ पानी पीना। जिन चूहों को ऐसा कराया गया वे पांच फीसदी ज्यादा जिए।
बुढ़ापे की रफ्तार
बुढ़ापे में शरीर की सक्रियता कम हो जाती है। आंख और कान भी कमजोर हो जाते हैं। चाल धीमी पड़ जाती है। वैज्ञानिकों ने बुढ़ापे से जुड़ी 200 समस्याओं पर गौर किया। बुढ़ापे पर उपवास का कोई असर नहीं पड़ता।
ढल जाता है शरीर
शुरू में उपवास करने से शरीर परेशान होता है, लेकिन वक्त के साथ उसे भूखे पेट रहने की आदत पड़ जाती है। 12 घंटे तक कुछ न खाने वाले लोगों के शरीर में ऑटोफागी नाम की सफाई प्रक्रिया शुरू हो जाती है। बेकार कोशिकाओं को शरीर साफ करने लगता है। भूख और उपवास नई कोशिकाओं के निर्माण में फायदेमंद है। ऑटोफागी की खोज के लिए 2016 में जापान वैज्ञानिक योशिनोरी ओसुमी को नोबेल पुरस्कार मिला था।
कैंसर से बचाव
चूहों में भी मौत का सबसे बड़ा कारण कैंसर ही है। वैज्ञानिकों ने कैंसर से जूझ रहे चूहों के भी दो ग्रुप बनाये। एक को व्रत कराये, दूसरे को नहीं। जांच में पता कि भूखे रहने वाले चूहों के शरीर में कैंसर कोशिकाएं धीमी गति से बढ़ीं। उपवास वाले चूहे 908 दिन जीवित रहे। वहीं लगातार खाने वाले 806 दिन।
औषधि है उपवास
उपवास से जीवन लंबा हो सकता है। डायबिटीज और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा भी कम हो सकता है। लेकिन उपवास का बुढ़ापे पर कोई असर नहीं दिखा। वैज्ञानिकों के मुताबिक बुढ़ापे की परेशानियां एक प्राकृतिक प्रक्रिया हैं। (रिपोर्ट: जीएच/ओएसजे)