हिंदू बांग्लादेशी बल्लेबाज ने दी नवरात्रि की शुभकामनाएं तो मिला इस्लाम कबूल करने का प्रस्ताव
भारत के खिलाफ एशिया कप 2018 में शतक बनाने वाले बांग्लादेशी सलामी बल्लेबाज लिट्टन दास को पिछले साल सिर्फ 1 मैच में टी-20 की कप्तानी मिली थी। वह एक बेहद ही तकनीकी रूप से सक्षम बल्लेबाज हैं।
लेकिन बांग्लादेश के फैंस को सिर्फ उनके रनों से प्यार है। हाल ही में जब लिट्टन दास ने नवरात्रि के शुरु होने से पहले मां दुर्गा को फोटो अपने फेसबुक अकाउंट पर यह लिखकर पोस्ट की कि मां दुर्गा आने वाली है, शुभो महालया तो उनको बहुत सी नफरत झेलनी पड़ी।
रविवार को Voice Of Bangladeshi Hindus नामक ट्विटर हैंडल ने एक फोटो अपलोड किया जिसमें यह साफ पता चल रहा है कि इस्लामी जनता इस फोटो और दास का मजाक उड़ा रही है। कुछ बांग्लादेशी जनता ने तो लिट्टन दास को इस्लाम कबूलने का प्रस्ताव तक रख दिया।
सौम्या सरकार के खिलाफ भी धर्म के आधार पर बच्चे निकया था मिलने से इनकार
बांग्लादेश के सलामी बल्लेबाज सौम्या सरकार ने भारत के खिलाफ एकमात्र टी-20 जीत में अहम भूमिका निभाई थी जो दिल्ली में खेला गया था। वह नैसर्गिक बाएं हाथ के बल्लेबाज माने जाते हैं जो मैदानी शॉट्स खेलकर तेजी से रन बनाते हैं।
कम ही बल्लेबाज होते हैं जो तीनों प्रारूप में अपनी जगह बनाने में कामयाब हो। सौम्या सरकार में यह खूबी है और वह ना केवल बांग्लादेश क्रिकेट का भविष्य माने जाते हैं बल्कि तमीम इकबाल की जगह जल्द ले सकते हैं ऐसी संभावना है।
इतनी प्रतिभा के बावजूद सौम्या सरकार की एक गलती है। वह यह कि वह इस्लामिक देश बांग्लादेश में एक हिंदू है। इस कारण उनके ही देश का एक नन्हा क्रिकेट फैन उनसे नहीं मिलना चाहता।
हाल ही में Voice Of Bangladeshi Hindus नामक ट्विटर हैंडल ने एक वीडियो अपलोड किया जिसमें एक पत्रकार बांग्लादेशी बच्चे से सवाल पूछ रहा है कि उसे किस क्रिकेटर से मिलना है। इस पर बच्चे ने हाल ही के कुछ बांग्लादेशी क्रिकेटरों के नाम गिनाए।
बच्चे ने कहा उसे पूर्व कप्तान मशरफे मुर्तजा, बाएं हाथ के तेज गेंदबाज मुस्तफिजुर रहमान और दाएं हाथ के तेज गेंदबाज तस्कीन अहमद इसके अलावा सरीफुल इस्लाम से मिलने में दिलचस्पी है।
इसके बाद पत्रकार ने पूछा सौम्या सरकार तो बच्चे ने कहा कि वह तो हिंदू क्रिकेटर है मुझे उससे नहीं मिलना है। यह वीडियो ट्विटर पर खासा वायरल हो गया है।
लेकिन ब्लैक लाइव मैटर पर घुटने झुकाने वाले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों ने इस पर कोई राय कोई आलोचना तक नहीं की। आईसीसी और बीसीसीआई ने भी मौन धारण कर रखा है और संभवत यह जारी भी रहेगा।