रांची। पीटर हैंड्सकोंब (नाबाद 72) और शॉन मार्श (53) की जुझारू पारियों की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने भारत के खिलाफ तीसरा टेस्ट सोमवार को ड्रॉ करा लिया। ऑस्ट्रेलिया ने पांचवें और अंतिम दिन मैच ड्रॉ समाप्त होने तक दूसरी पारी में 100 ओवर में छह विकेट पर 204 रन बनाए और टीम इंडिया की बढ़त हासिल करने की उम्मीदों को तोड़ दिया।
तीसरा टेस्ट ड्रॉ समाप्त होने के बाद अब दोनों टीमें अब 1-1 की बराबरी पर हैं। सीरीज का फैसला अब धर्मशाला में 25 मार्च से होने वाले चौथे और अंतिम टेस्ट से होगा। यदि भारत धर्मशाला में जीतता है तो वह गावस्कर-बॉर्डर ट्रॉफी पर कब्जा कर सकेगा लेकिन यदि ऑस्ट्रेलिया जीता या मैच ड्रॉ करा गया तो गावस्कर-बॉर्डर ट्रॉफी उसके कब्जे में रहेगी।
भारत को रांची टेस्ट जीतने की पूरी उम्मीद थी जब उसने सुबह के सत्र में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीवन स्मिथ को निपटाने के साथ ही लंच तक मेहमान टीम के चार विकेट 83 रन तक गिरा दिए थे। लेकिन मार्श और हैंड्सकोंब ने जुझारू प्रदर्शन करते हुए पांचवें विकेट के लिए 124 रन की बहुमूल्य साझेदारी कर मैच को ड्रॉ की ओर धकेल दिया।
वर्ष 2010-11 के बाद यह पहला मौका है जब किसी मेहमान टीम ने भारत में पहली पारी में पिछड़ने के बाद मैच ड्रॉ करा लिया। मैच ड्रॉ कराने का श्रेय पूरी तरह दो बल्लेबाजों को जाता है जिन्होंने धैर्य और संयम का नमूना पेश करते हुए भारतीय गेंदबाजों को हावी होने से रोक दिया। मार्श ने 197 गेंदें खेलकर 53 रन में सात चौके लगाए जबकि हैंड्सकोंब ने 200 गेंदें खेलकर नाबाद 72 रन में सात चौके लगाए।
मार्श और हैंड्सकोंब के बीच पांचवें विकेट के लिए 124 रन की साझेदारी 62.1 ओवर में बनी। इसी तथ्य से अंदाजा लगाया जा सकता है कि दोनों बल्लेबाजों ने अपना विकेट बचाए रखने के लिए कितना जबरदस्त संघर्ष किया। भारतीय कप्तान विराट कोहली ने तमाम कोशिशें कीं लेकिन इस साझेदारी को तोड़ने में उन्हें नाकामी हाथ लगी।
लेफ्ट आर्म स्पिनर रवींद्र जडेजा ने 92वें ओवर में जब मार्श को आउट कर इस साझेदारी को तोड़ा तब तक बहुत देर हो चुकी थी। मार्श का विकेट 187 के स्कोर पर गिरा। दूसरी पारी में अपने पहले विकेट के लिए तरस रहे स्टार ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को तीन रन बाद ही आखिर सफलता हाथ लग गयी जब उन्होंने ग्लेन मैक्सवेल (2) को मुरली विजय के हाथों कैच करा दिया। विजय ने ही मार्श का कैच भी लपका।
मैक्सवेल का विकेट जब गिरा तो ऑस्ट्रेलियाई पारी का 95वां ओवर चल रहा था और 100 ओवर पूरे होते ही दोनों कप्तान ड्रॉ के लिए सहमत हो गए। यह टेस्ट मैच नाटकीय उतार चढ़ाव से भरपूर रहा, जिसमें भारतीय टीम ने अपना दबदबा तो बनाया लेकिन अंतिम दिन के आखिरी दो सत्र में टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया की दृढ़ता में सेंध नहीं लगा पाई।
भारत के लिए मैच में सबसे सफल गेंदबाज रहे जडेजा ने दूसरी पारी में 44 ओवर में 18 मैडन रखते हुए मात्र 54 रन दिए और चार विकेट हासिल किए। जडेजा ने इस तरह मैच में कुल नौ विकेट लिए। उन्होंने पहली पारी में 49.3 ओवर में 124 रन पर चार विकेट लिए थे।
जडेजा ने ही भारत को सुबह महत्वपूर्ण सफलताएं दिलाई। जडेजा ने विपक्षी कप्तान स्मिथ और तेज गेंदबाज इशांत शर्मा ने मैट रेनशॉ के रूप में महत्वपूर्ण विकेट निकालकर ऑस्ट्रेलिया को संकट में डाल दिया। ऑस्ट्रेलिया ने सुबह मैच के शुरूआती एक घंटे तक कोई विकेट गिरने नहीं दिया और कल के दूसरी पारी में 23 रन पर दो विकेट से आगे अपनी पारी को नियंत्रित ढंग से आगे बढ़ाया।
नाबाद बल्लेबाज रेनशा ने सात रन से आगे खेलना शुरू किया और दूसरे छोर पर कप्तान स्मिथ ने उनके साथ पारी को आगे बढ़ाया। दोनों बल्लेबाजों ने तीसरे विकेट के लिए 21.2 ओवर में 36 रन की साझेदारी निभाई। हांलाकि फिर से काफी फिट दिखाई दे रहे कप्तान विराट कोहली गेंदबाजों का हौसला बढ़ाते रहे।
भारत को दिन का पहला विकेट निकालने के लिए 21 ओवर का लंबा इंतजार करना पड़ा। लेकिन दिल्ली के इशांत ने 29वें ओवर में रेनशॉ को पगबाधा कर ऑस्ट्रेलिया को 59 रन के मामूली स्कोर पर तीसरा झटका दे दिया। रेनशॉ ने 84 गेंदों की पारी में एक चौका लगाकर 15 रन बनाए।
इसके अगले ओवर की पहली ही गेंद पर जडेजा ने पहली पारी के शतकधारी स्मिथ (21) को बोल्ड कर भारत को अहम विकेट दिला दिया। जडेजा की मिडल और लेग स्टम्प पर पड़ी गेंद पर स्मिथ ने अपना बल्ला हवा में उठा दिया और गेंद टर्न लेकर उनका ऑफ स्टम्प ले उड़ी। स्मिथ बोल्ड होने के बाद कुछ देर तो हतप्रभ रह गए जबकि भारतीय खेमे में जश्न छा गया।
जडेजा ने स्मिथ को उसी अंदाज में बोल्ड किया जिस तरह उन्होंने नाथन लियोन को कल बोल्ड किया था। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मौजूदा सीरीज में चल रही खींचातानी के केंद्र बिंदु स्मिथ दूसरी पारी में दबाव में आ गए और 68 गेंदों में दो चौके लगाकर 21 रन ही बना पाए। दुनिया के नंबर एक बल्लेबाज ने पहली पारी में नाबाद 178 रन बनाए थे।
ऑस्ट्रेलिया का चौथा विकेट 63 के स्कोर पर गिरा। लंच के समय मार्श 15 और हैंड्सकोंब चार रन पर नाबाद थे। दोनों ने लंच के बाद दूसरे सत्र में धीमी गति से बल्लेबाजी करते हुए 66 रन जोड़े। चायकाल के समय ऑस्ट्रेलिया का स्कोर चार विकेट पर 149 रन पहुंच चुका था। तब मार्श 38 और हैंड्सकोंब 44 रन बना चुके थे।
चायकाल के बाद भारत ने हैंड्सकोंब के खिलाफ रिव्यू लिया लेकिन यह खारिज हो गया। हैंड्सकोंब ने अपना अर्धशतक 126 गेंदों पर पूरा कर लिया। भारत ने 81वें ओवर में दूसरी नयी गेंद ली और 83वें ओवर में मार्श के खिलाफ भारत का रिव्यू भी खारिज हो गया। मार्श ने अपना अर्धशतक 190 गेंदों में पूरा किया।
ऑफ स्पिनर अश्विन का विकेटों के लिए संघर्ष भारत की उम्मीदों पर खासा भारी पड़ा। जडेजा को दूसरे छोर से कोई सहयोग नहीं मिला और ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज अपनी स्थिति सुधारते चले गए। अश्विन ने पहली पारी में 34 ओवर में 114 रन पर एक विकेट लिया था और दूसरी पारी में उन्हें 30 ओवर में 71 रन पर एक विकेट मिला। उमेश यादव 15 ओवर में 36 रन देकर कोई विकेट नहीं निकाल पाए। इशांत को 11 ओवर में 30 रन पर एक विकेट मिला।
भारत की पहली पारी में शानदार 202 रन बनाने वाले चेतेश्वर पुजारा को 'मैन ऑफ द मैच' घोषित किया गया। इस मैच में कोई विवाद तो नहीं हुआ लेकिन दोनों टीमों के खिलाड़ियों ने एक दूसरे पर छींटाकशी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब सीरीज का फैसला धर्मशाला में जाकर होगा। (वार्ता)